हरसिद्धि माता मंदिर इंदौर
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हरसिद्धि माता मंदिर इंदौर | Harsiddhi Mata Mandir Indore

जानिए इंदौर के पवित्र हरसिद्धि माता मंदिर का धार्मिक महत्व, स्थापना से जुड़ी कथाएं, दर्शन और आरती का समय तथा यात्रा से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी।

हरसिद्धि माता मंदिर के बारे में

हरसिद्धि माता मंदिर इंदौर का प्राचीन और प्रसिद्ध शक्ति पीठ है, जो देवी हरसिद्धि को समर्पित है। माना जाता है कि यहाँ सच्चे मन से पूजा करने पर देवी हरसिद्धि भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था, भक्ति और शक्ति का प्रमुख केंद्र है।

हरसिद्धि माता मंदिर, इंदौर का इतिहास (Harsiddhi Mata Mandir Indore)

हरसिद्धि माता मंदिर भारत के मध्यप्रदेश राज्य के इंदौर शहर में स्थित एक प्राचीन और अत्यंत श्रद्धेय मंदिर है। इसे इंदौर का सबसे पुरातन मंदिर माना जाता है। मंदिर के बगल में एक प्राचीन खंडहर भी स्थित है, जिसे रुक्मणी देवी का मंदिर कहा जाता है, जो अब भारतीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है। यहां मुंडन संस्कार से लेकर विवाह समारोह तक आयोजित किए जाते हैं। मंदिर में वर्ष में दो बार चैत्र नवरात्रि की दशमी और अश्विन मास की दशमी को माता का विशेष श्रृंगार किया जाता है, जब भक्तगण माता के सिंहवाहिनी स्वरूप के दर्शन करते हैं।

इस मंदिर का निर्माण 21 मार्च 1766 को देवी अहिल्याबाई होलकर द्वारा कराया गया था, उस समय इंदौर पर उनके पुत्र श्रीमंत मालेराव होलकर का शासन था। मंदिर में विराजमान देवी की दिव्य मूर्ति महिषासुर मर्दिनी मुद्रा में पूर्वाभिमुखी है। मंदिर परिसर में बाद में भगवान शंकर और हनुमान जी के मंदिर भी जोड़े गए। मां की यह मूर्ति एक प्राचीन बावड़ी से प्राप्त हुई थी, जो अब मंदिर के सामने मौजूद नहीं है।

हरसिद्धि माता मंदिर, इंदौर का महत्व एवं वास्तुकला

स्थानीय मान्यता के अनुसार, यहां पूजा-अर्चना करने से शरीर पर निकलने वाले दाने (जिन्हें 'माता' कहा जाता है) नहीं निकलते। हरसिद्धि माता की प्रतिमा में लगे नेत्र मीनाकार (मछली के आकार के) होते हैं, जिन्हें नाथद्वारा से मंगवाया जाता है। ये नेत्र चांदी पर मीना लगाकर तैयार किए जाते हैं और इन्हें लगाने के लिए कोई रासायनिक पदार्थ नहीं उपयोग होता, बल्कि मधुमक्खी के छत्ते से बने मेंढ का उपयोग किया जाता है।

मंदिर की वास्तुकला

हरसिद्धि माता मंदिर मराठा शैली में निर्मित है। इसमें मुख्य रूप से तीन देवी प्रतिमाएं विराजित हैं: हरसिद्धि देवी, महालक्ष्मी और सिद्धिदात्री। मंदिर का निर्माण वास्तु शास्त्र के अनुसार किया गया है। सूर्योदय के समय सूर्य की किरणें सीधा मूर्ति पर पड़ती हैं, जो इसकी वास्तुकला की विशेषता है। मंदिर परिसर में अष्ट भैरव भी स्थापित हैं।

प्रतिमाओं का विवरण

  • हरसिद्धि देवी की प्रतिमा: संगमरमर की बनी चार फुट ऊँची मूर्ति, चार भुजाओं में तलवार, त्रिशूल, घंटी और नरमुंड हैं।

  • महालक्ष्मी देवी की प्रतिमा: काले पाषाण से निर्मित, लगभग ढाई फीट ऊँची। एक हाथ में अमृत और दूसरे में कमल है।

  • सिद्धिदात्री देवी की प्रतिमा: संगमरमर की बनी हुई चारभुजाधारी मूर्ति, जिसमें खड्ग, त्रिशूल, ढाल और मुंड हैं।

हरसिद्धि माता मंदिर, इंदौर का समय

  • मंदिर खुलने का समय: 05:30 AM - 09:00 PM

  • सुबह की आरती: 05:30 AM - 06:00 AM

  • श्रृंगार आरती: 08:30 AM - 09:15 AM

  • सायंकाल आरती: 07:30 PM - 08:15 PM

मंदिर का प्रसाद

हरसिद्धि माता को फल, लड्डू, ड्राई फ्रूट्स, पेड़े और श्रद्धानुसार पूड़ी-सब्जी का भोग अर्पित किया जाता है।

हरसिद्धि माता मंदिर, इंदौर कैसे पहुंचें?

हवाई मार्ग

निकटतम हवाई अड्डा देवी अहिल्याबाई होल्कर एयरपोर्ट (IDR) है, जो मंदिर से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां से टैक्सी या ऑटो से मंदिर आसानी से पहुंचा जा सकता है।

रेल मार्ग

निकटतम रेलवे स्टेशन इंदौर रेलवे स्टेशन है, जो मंदिर से लगभग 4.5 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां से बस या ऑटो द्वारा मंदिर पहुंचना सुविधाजनक है।

सड़क मार्ग

हरसिद्धि माता मंदिर, इंदौर के सरवटे बस स्टैंड से करीब 4 किलोमीटर दूर है। मध्यप्रदेश के प्रमुख शहरों से इंदौर के लिए राज्य परिवहन निगम और निजी बसों की नियमित सेवाएं उपलब्ध हैं।

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Published by Sri Mandir·December 3, 2025

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