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भुवनेश्वरी स्तुति

क्या आप माँ भुवनेश्वरी का आशीर्वाद और जीवन में समृद्धि चाहते हैं? भुवनेश्वरी स्तुति से पाएं माँ का दिव्य आशीर्वाद – जानिए इसका पाठ और चमत्कारी लाभ।

भुवनेश्वरी स्तुति के बारे में

भुवनेश्वरी स्तुति देवी भुवनेश्वरी की महिमा का गुणगान करने वाली एक पवित्र स्तुति है। देवी भुवनेश्वरी दस महाविद्याओं में चौथी महाविद्या हैं और उन्हें संपूर्ण ब्रह्मांड की अधिष्ठात्री शक्ति माना जाता है। "भुवन" का अर्थ है संसार और "ईश्वरी" का अर्थ है स्वामिनी, अर्थात् वे सम्पूर्ण जगत की स्वामिनी हैं।

देवी भुवनेश्वरी: ब्रह्मांड की अधिष्ठात्री और ऐश्वर्य प्रदायिनी

दश महाविद्याओं में चतुर्थ स्थान पर प्रतिष्ठित, देवी भुवनेश्वरी को समस्त ब्रह्मांड की स्वामिनी और सृष्टि की जननी माना जाता है। 'भुवनेश्वरी' नाम का अर्थ है 'भुवन (सृष्टि) की ईश्वरी (देवी)'। वे आदि शक्ति का वह स्वरूप हैं, जो समस्त लोकों का पालन-पोषण करती हैं और सभी इच्छाओं को पूर्ण करती हैं। उनकी उपासना से साधक को ऐश्वर्य, शक्ति, ज्ञान और सांसारिक तथा आध्यात्मिक दोनों तरह की सफलताएँ प्राप्त होती हैं।

श्री भुवनेश्वरी स्तुति

उद्यद्दिनद्युतिमिंदुकिरीटां तुंगकुचां नयनत्रययुक्ताम् ।

स्मेरमुखीं वरदाभयहस्तां रत्नालंकृत सर्वांगीं वंदे ॥

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं सौः ह्रीं भुवनेश्वर्यै नमः ॥

जयति जय जय माँ भुवनेश्वरी, त्रिभुवन की महारानी।

सृष्टि, स्थिति, संहार की शक्ति, तेरी महिमा ज्ञानी ॥

रत्न सिंहासन पर बैठी, मुस्कुराता मुख तेरा।

कमल के समान सुंदर नयन, हरता दुःख मेरा ॥

वर और अभय मुद्रा धारण, देती सुख और शांति।

तेरी कृपा से मिटती है, हर मन की भ्रांति ॥

चंद्रमा का मुकुट सुशोभित, केश घने और काले।

रत्न आभूषण पहने माँ, भक्तों के रखवाले ॥

सूर्य के समान तेजमय काया, जगमगाती है सारी।

सकल लोकों की स्वामिनी तू, हे माँ सुखकारी ॥

तू ही लक्ष्मी, तू ही दुर्गा, तू ही है सरस्वती।

त्रिदेवी का स्वरूप तेरा, देती है सद्गति ॥

जो भी तेरी शरण में आया, खाली हाथ न लौटा।

मनवांछित फल पाता है, तेरी कृपा से मोटा ॥

अज्ञान तिमिर हरण कर माँ, दे ज्ञान का प्रकाश।

भव सागर से पार लगा दे, पूर्ण कर हर आस ॥

ॐ भुवनेश्वरी देव्यै नमः। ॐ जगत जनन्यै नमः।

भुवनेश्वरी स्तुति पाठ विधि

भुवनेश्वरी स्तुति का पाठ करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखने से इसके पूर्ण लाभ प्राप्त होते हैं:

शुद्धि और पवित्रता: पाठ शुरू करने से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। मन को शांत और एकाग्रचित्त करें। स्थान का चुनाव: पूजा स्थान या एक शांत और स्वच्छ जगह का चुनाव करें। मूर्ति या चित्र स्थापना: देवी भुवनेश्वरी की एक मूर्ति या चित्र स्थापित करें। यदि उपलब्ध न हो तो मन में उनका ध्यान कर सकते हैं। दीप प्रज्वलन: एक घी का दीपक प्रज्वलित करें। धूप और अगरबत्ती जलाएँ। पुष्प और प्रसाद: देवी को लाल या पीले रंग के पुष्प (विशेषकर गुड़हल) अर्पित करें। मिठाई, फल या कोई भी सात्विक प्रसाद चढ़ा सकते हैं। संकल्प: पाठ शुरू करने से पहले, अपनी मनोकामना कहते हुए संकल्प लें कि आप किस उद्देश्य से यह पाठ कर रहे हैं। पाठ का समय: भुवनेश्वरी स्तुति का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन शुक्रवार का दिन या अष्टमी तिथि विशेष रूप से शुभ मानी जाती है। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में या शाम को सूर्यास्त के समय पाठ करना अधिक फलदायी होता है। एकाग्रता: पाठ करते समय मन को पूरी तरह से देवी भुवनेश्वरी पर केंद्रित करें। स्तुति के प्रत्येक शब्द और उसके अर्थ पर ध्यान दें। माला का उपयोग (वैकल्पिक): यदि आप मंत्रों का जाप कर रहे हैं, तो रुद्राक्ष या स्फटिक की माला का उपयोग कर सकते हैं। क्षमा याचना: पाठ समाप्त होने के बाद, यदि कोई त्रुटि हुई हो तो देवी से क्षमा याचना करें। प्रसाद वितरण: प्रसाद को भक्तों और परिवार के सदस्यों में वितरित करें।

भुवनेश्वरी स्तुति पाठ के फायदे

भुवनेश्वरी स्तुति का नियमित पाठ करने से साधक को कई प्रकार के लौकिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं:

ऐश्वर्य और समृद्धि की प्राप्ति: देवी भुवनेश्वरी समस्त ब्रह्मांड की स्वामिनी हैं, अतः उनकी स्तुति से साधक को अतुलनीय ऐश्वर्य, धन और भौतिक सुख-सुविधाएँ प्राप्त होती हैं। राज्य और सत्ता की प्राप्ति: जो लोग राजनीति या उच्च पदों पर हैं, उन्हें यह स्तुति शक्ति, प्रभाव और नेतृत्व क्षमता प्रदान करती है। इच्छाओं की पूर्ति: यह स्तुति साधक की सभी न्यायसंगत इच्छाओं को पूर्ण करने में सहायक मानी जाती है। आत्मविश्वास में वृद्धि: पाठ करने से व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ता है और वह स्वयं को सशक्त महसूस करता है। ज्ञान और विवेक का विकास: देवी भुवनेश्वरी ज्ञान की भी प्रदाता हैं। उनकी स्तुति से व्यक्ति में ज्ञान, विवेक और सही निर्णय लेने की क्षमता आती है। नकारात्मकता का नाश: यह स्तुति घर और व्यक्ति के आसपास से सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा, बुरी नज़र और बाधाओं को दूर करती है। शत्रु बाधा निवारण: देवी की कृपा से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और उनसे होने वाली परेशानियाँ दूर होती हैं। पारिवारिक सुख-शांति: इस स्तुति का पाठ घर में सुख-शांति, प्रेम और सौहार्द का वातावरण बनाता है। कुंडली में ग्रहों की अनुकूलता: माना जाता है कि भुवनेश्वरी देवी की उपासना से कुंडली में कमजोर ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है। सांसारिक और आध्यात्मिक उन्नति: यह स्तुति साधक को सांसारिक जीवन में सफलता दिलाते हुए आध्यात्मिक मार्ग पर भी आगे बढ़ने में मदद करती है।

भुवनेश्वरी स्तुति का पाठ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह एक शक्तिशाली आध्यात्मिक साधना है जो व्यक्ति के जीवन को समग्र रूप से समृद्ध और सफल बना सकती है।

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Published by Sri Mandir·June 30, 2025

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