वट सावित्री पूजा सामग्री
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वट सावित्री पूजा सामग्री

पति की दीर्घायु के लिए रखा जाने वाला वट सावित्री व्रत हो सफल और शुभ। जानिए पूजन सामग्री की पूरी लिस्ट और सरल पूजा विधि, जिससे पूजा में न रहे कोई कमी।

वट सावित्री पूजा सामग्री के बारे में

वट सावित्री पूजा में उपयोग की जाने वाली सामग्री का विशेष धार्मिक महत्व होता है। बांस की टोकरी, सावित्री-सत्यवान की मूर्ति, धागा, फल, फूल, लाल कपड़ा, दीपक और जल से पूजा की जाती है। वट वृक्ष की पूजा स्त्रियां पति की लंबी उम्र और वैवाहिक सुख के लिए करती हैं।

वट सावित्री व्रत: अखंड सौभाग्य और अटूट प्रेम का पावन पर्व

भारतीय संस्कृति में ऐसे कई व्रत और त्योहार हैं जो प्रेम, त्याग और अटूट संबंधों का प्रतीक हैं। इन्हीं में से एक है वट सावित्री व्रत, जिसे सुहागिन स्त्रियाँ अपने पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य के लिए रखती हैं। यह पर्व देवी सावित्री और सत्यवान की पौराणिक कथा से जुड़ा है, जहाँ सावित्री ने अपने पति के प्राण यमराज से वापस लाकर अपने दृढ संकल्प, बुद्धि और पतिव्रता धर्म का परिचय दिया था।

ज्येष्ठ मास की अमावस्या या पूर्णिमा को मनाया जाने वाला यह व्रत, प्रकृति के साथ मनुष्य के संबंध और एक पत्नी के अपने पति के प्रति असीम प्रेम को दर्शाता है। इस विशेष दिन पर, वट वृक्ष (बरगद का पेड़) की पूजा का विधान है, क्योंकि माना जाता है कि इसमें त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) का वास होता है और यह दीर्घायु व समृद्धि प्रदान करता है। वट सावित्री की पूजा में उपयोग की जाने वाली हर सामग्री का अपना गहरा आध्यात्मिक महत्व है, जो इस व्रत को और भी पवित्र बनाता है।

वट सावित्री की पूजा और सामग्रियों का महत्व

वट सावित्री व्रत में उपयोग की जाने वाली प्रत्येक सामग्री का विशेष महत्व होता है, जो पूजा को पूर्णता प्रदान करता है:

  • वट वृक्ष: यह पूजा का केंद्र है। वट वृक्ष को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का निवास स्थान माना जाता है। इसकी जड़ में ब्रह्मा, तने में विष्णु और अग्रभाग में शिव का वास होता है। यह दीर्घायु, दृढ़ता और अमरता का प्रतीक है।
  • सत्यवान-सावित्री और यमराज की प्रतिमा: ये इस कथा के मुख्य पात्र हैं। इनकी पूजा कर सावित्री के समर्पण और यमराज से सत्यवान के प्राण वापस लाने की कथा का स्मरण किया जाता है।
  • लाल धागा (कलावा/मौली): यह वट वृक्ष पर लपेटा जाता है, जो अखंड सौभाग्य, सुरक्षा और बंधन का प्रतीक है। जितनी बार धागा लपेटा जाता है, उतनी ही बार पति की लंबी आयु की कामना की जाती है।
  • श्रृंगार सामग्री: सिंदूर, चूड़ियाँ, बिंदी, महावर आदि सुहाग की निशानियाँ हैं, जो माता सावित्री को अर्पित की जाती हैं और स्त्रियाँ स्वयं भी धारण करती हैं। यह अखंड सौभाग्य की कामना का प्रतीक है।
  • फल (विशेषकर आम और केला): ये प्रकृति की देन और समृद्धि का प्रतीक हैं, जिन्हें भगवान और वट वृक्ष को अर्पित किया जाता है।
  • चना: यह सत्यवान के पुनर्जीवित होने और जीवन के फिर से फलने-फूलने का प्रतीक माना जाता है।

वट सावित्री पूजन सामग्री लिस्ट

वट सावित्री की पूजा के लिए आवश्यक सामग्री की एक विस्तृत सूची यहाँ दी गई है:

  • वट वृक्ष: (पूजा के लिए साफ-सुथरा वट वृक्ष, यदि आसपास न हो तो उसकी डाली या चित्र)।
  • सत्यवान-सावित्री और यमराज की प्रतिमा या चित्र (अक्सर मिट्टी या धातु की छोटी प्रतिमाएं)।
  • लाल सूत/कलावा/मौली (वट वृक्ष पर लपेटने के लिए)।
  • बांस का पंखा (हवा करने और पूजा के लिए)।
  • जल के लिए लोटा/कलश (शुद्ध जल)।
  • दूध (अभिषेक के लिए)।
  • कच्चा सूत (कलावा जैसा ही, वृक्ष पर लपेटने के लिए)।
  • श्रृंगार सामग्री: सिंदूर, बिंदी, चूड़ियाँ, महावर (आलता), मेहंदी, काजल, कंघी (देवी को अर्पित करने के लिए)।
  • ताजा फल: आम, केला, लीची, अंगूर (ऋतुफल)।
  • मिठाई/भोग: पूड़ी, हलवा, गुड़-चना, भीगे हुए चने, कोई अन्य सात्विक मिठाई,नारियल (छिलके वाला)।
  • फूल: लाल या पीले फूल, फूलों की माला।
  • धूपबत्ती, दीपक, घी/तेल, रुई की बत्ती, माचिस।
  • कपूर (आरती के लिए)।
  • अक्षत (साबुत चावल), रोली, कुमकुम, चंदन, हल्दी।
  • पान का पत्ता, सुपारी, लौंग, इलायची।
  • दक्षिणा (कुछ सिक्के या नोट)।
  • एक चौकी या आसन (पूजा सामग्री रखने के लिए)।

वट सावित्री पूजन सामग्री कहाँ से खरीदें और कैसे चुनें?

कहाँ से खरीदें

  • स्थानीय पूजा सामग्री की दुकानें- ये सभी सामग्री एक जगह मिल सकती है।
  • फल और फूल की दुकानें- ताजे फल और फूल यहां उपलब्ध होंगे।
  • किराने की दुकानें- दूध, घी, गुड़, चना आदि खाद्य सामग्री।
  • ऑनलाइन प्लेटफॉर्म- अमेज़ॅन, फ्लिपकार्ट, या धार्मिक सामान बेचने वाली विशेष वेबसाइटों से आप पूजा किट या व्यक्तिगत सामग्री खरीद सकते हैं।

कैसे चुनें

  • सभी सामग्री शुद्ध और ताजी होनी चाहिए, विशेषकर फूल और फल।
  • यदि पूरा वट वृक्ष उपलब्ध न हो, तो उसकी एक डाली भी पूजा में उपयोग की जा सकती है, बशर्ते वह स्वस्थ हो।
  • लाल या पीले रंग का मजबूत सूती धागा चुनें जो आसानी से न टूटे।
  • नई और पूर्ण श्रृंगार सामग्री लें, जिसे आप बाद में स्वयं भी धारण कर सकती हैं।

पूजा में सामग्री का क्रम और उपयोग

वट सावित्री व्रत की पूजा आमतौर पर सुबह वट वृक्ष के नीचे की जाती है:

  • स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें। वट वृक्ष के पास साफ-सफाई करें और पूजा का संकल्प लें।
  • वट वृक्ष के चारों ओर जल, कच्चा सूत या कलावा लपेटते हुए परिक्रमा करें। परिक्रमा करते समय पति की लंबी आयु की कामना करें।
  • वृक्ष की जड़ में जल, दूध अर्पित करें।
  • सत्यवान-सावित्री और यमराज की प्रतिमाएं स्थापित करें।
  • रोली, चंदन, कुमकुम से वृक्ष और प्रतिमाओं पर तिलक करें।
  • फूल और माला चढ़ाएं।
  • धूपबत्ती और दीपक जलाएं।
  • सावित्री माता को श्रृंगार सामग्री अर्पित करें।
  • फल, चना, मिठाई आदि का भोग लगाएं।
  • व्रत की कथा सुनें या पढ़ें।
  • भगवान की आरती करें।
  • वट वृक्ष को प्रणाम करें और पति के लिए आशीर्वाद मांगें।
  • घर आकर पति के पैर छूकर आशीर्वाद लें।

निष्कर्ष

वट सावित्री व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि पति-पत्नी के रिश्ते की पवित्रता, प्रेम और समर्पण का एक सुंदर प्रतीक है। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि आस्था और दृढ़ संकल्प से किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है। यह भारतीय नारी की अदम्य शक्ति और उसके प्रेम की गहराई को दर्शाता है। इस व्रत की हर सामग्री, हर अनुष्ठान, पति-पत्नी के अटूट बंधन को और भी मजबूत करता है।

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Published by Sri Mandir·July 15, 2025

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