
क्या आप जानते हैं गुरु प्रदोष व्रत 2026 कब है? जानिए इस पवित्र व्रत की तिथि, पूजा विधि, मुहूर्त और भगवान शिव की आराधना का रहस्य – सब कुछ एक ही जगह!
हमारे जीवन में व्रत और त्यौहारों का विशेष स्थान है। ये न केवल धार्मिक आस्था को मजबूत करते हैं, बल्कि मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा भी प्रदान करते हैं। इसी कड़ी में ‘गुरु प्रदोष व्रत’ एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे विशेष रूप से भगवान शिव की कृपा पाने और जीवन में समृद्धि लाने के लिए मनाया जाता है। आइए जानते हैं गुरु प्रदोष व्रत के बारे में विस्तार से।
गुरु प्रदोष हर महीने त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस महीने त्रयोदशी तिथि गुरुवार को पड़ती है, उस दिन किए जाने वाले प्रदोष व्रत को गुरु प्रदोष व्रत कहा जाता है।
साल 2026 में कुल चार गुरु प्रदोष व्रत पड़ रहे हैं, जिनकी तारीख इस प्रकार है: -
गुरु प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है। जो जातक भगवान शिव और माता पार्वती के आशीष से जीवन में सुख-समृद्धि पाने की कामना करते हैं और जीवन के उपरांत मोक्ष प्राप्त करना चाहते हैं, उनके लिए यह व्रत अत्यंत लाभकारी माना गया है।
इस व्रत का नाम प्रदोष इस कारण से पड़ा क्योंकि यह व्रत संध्या समय (प्रदोष काल) में मनाया जाता है। आपको बता दें कि प्रदोष काल सूर्यास्त के तुरंत बाद का समय होता है। मान्यता है कि इस काल में भगवान शिव की पूजा करने और व्रत रखने से सभी कष्टों का निवारण होता है, और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गुरु प्रदोष व्रत को करने से जातक को जीवन में कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं।
गुरु प्रदोष के दिन भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा करने से जन्म जन्मांतर के पापों का नाश होता है। यह व्रत व्यक्ति के मन को शुद्ध करता है और शांति व संयम का भाव उत्पन्न करता है।
इस दिन व्रत रखने और शिवजी की आराधना करने से व्यक्ति के जीवन में धन, मान-सम्मान और अवसरों की वृद्धि होती है। ऐसा माना जाता है कि यह व्रत विशेष रूप से व्यवसाय और करियर में सफलता दिलाने में सहायता करता है।
गुरु प्रदोष व्रत कठिनाइयों और परेशानियों से छुटकारा दिलाने में भी सहायक माना जाता है। जीवन में आने वाली बाधाएँ धीरे-धीरे कम होती हैं और मन में स्थिरता व आत्मविश्वास आता है।
इस दिन व्रत रखने और शिवजी की पूजा करने से मानसिक तनाव कम होता है, साथ ही लोग किसी प्रकार के असाध्य रोग से ग्रसित हैं, उन्हें भी स्वास्थ्य लाभ होता है, और जातक को आरोग्य का वरदान प्राप्त होता है।
गुरु प्रदोष व्रत करने से घर-परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। इससे परिवार के सदस्यों के साथ संबंधों में प्रेम व सौहार्द्य बना रहता है और वातावरण शांत व सुखमय होता है।
गुरु प्रदोष व्रत का महत्व बहुत अधिक है। इसे करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह व्रत पापों का नाश करता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
2026 में गुरु प्रदोष व्रत की तिथियां प्रत्येक माह की गुरुवार त्रयोदशी के अनुसार निर्धारित है। इस साल कुल चार गुरु प्रदोष व्रत पड़ रहे हैं। 01 जनवरी 2026, बृहस्पतिवार, 14 मई 2026, बृहस्पतिवार, 24 सितम्बर 2026, बृहस्पतिवार, 08 अक्टूबर 2026, बृहस्पतिवार।
गुरु प्रदोष व्रत की पूजा विधि में सबसे पहले घर को साफ करना, शिवलिंग की स्थापना, बेलपत्र, जल और दूध से अभिषेक करना, धूप-दीप से पूजा करना और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करना शामिल है। पूजा के बाद प्रसाद का वितरण किया जाता है।
इस व्रत के लिए जरूरी है कि जातक सच्चाई और धर्म का पालन करें, जरूरतमंदों को दान दें, पूरी आस्था और नियमपूर्वक शिवलिंग की पूजा करें, शिव मंदिर जाएं और पूरे दिन मन में भक्ति और श्रद्धा बनाए रखें।
गुरु प्रदोष व्रत भगवान शिव की कृपा पाने और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त करने के उद्देश्य से किया जाने वाला व्रत है। इसे गुरुवार को त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है।
‘गुरु प्रदोष व्रत’ पर भगवान शिव का स्मरण और पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है। यदि आप नियमित रूप से गुरु प्रदोष व्रत करते हैं, तो इसका पुण्यफल आपको जरूर प्राप्त होगा और भगवान भोलेनाथ सदा आपके सहाय होंगे।
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