इस साल दीपावली पर लक्ष्मी पूजन के सही समय और विधि की पूरी जानकारी प्राप्त करें।
दीपावली के बारे में
प्रमुख हिंदू पर्व दिवाली भगवान राम की अयोध्या वापसी की याद में मनाया जाता है। कार्तिक अमावस्या पर पड़ने वाले इस पर्व पर हर वर्ष घर-घर दीप जलाकर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। ये दिन अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक माना जाता है। दीपावली में माता लक्ष्मी की पूजा को शुभ मुहूर्त में करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। संध्या समय में लक्ष्मी पूजन के कई मुहूर्त होते हैं। आइए जानते हैं साल 2025 में दीपावली कब है, इसे क्यों मनाया जाता है और इस दिन दीपों का महत्व क्या है.....
अमावस्या तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 20, 2025 को 03:44 पी एम बजे
अमावस्या तिथि समाप्त - अक्टूबर 21, 2025 को 05:54 पी एम बजे
अन्य शहरों में दीपावली (लक्ष्मी पूजा) मुहूर्त
07:38 पी एम से 08:37 पी एम, अक्टूबर 20 - पुणे
07:08 पी एम से 08:18 पी एम, अक्टूबर 20 - नई दिल्ली
07:20 पी एम से 08:14 पी एम, अक्टूबर 20 - चेन्नई
07:17 पी एम से 08:25 पी एम, अक्टूबर 20 - जयपुर
07:21 पी एम से 08:19 पी एम, अक्टूबर 20 - हैदराबाद
07:09 पी एम से 08:19 पी एम, अक्टूबर 20 - गुरुग्राम
07:06 पी एम से 08:19 पी एम, अक्टूबर 20 - चण्डीगढ़
05:06 पी एम से 05:54 पी एम, अक्टूबर 21 - कोलकाता
07:41 पी एम से 08:41 पी एम, अक्टूबर 20 - मुम्बई
07:31 पी एम से 08:25 पी एम, अक्टूबर 20 - बेंगलूरु
07:36 पी एम से 08:40 पी एम, अक्टूबर 20 - अहमदाबाद
07:07 पी एम से 08:18 पी एम, अक्टूबर 20 - नोएडा
विशेष नोट:-
ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार दिवाली पर लक्ष्मी पूजन के लिए अमावस्या की रात होना ज़रूरी होता है, लेकिन 21 अक्टूबर को अमावस्या तिथि प्रदोष काल और निशिता काल से पहले समाप्त हो रही है जबकि 20 अक्टूबर को अमावस्या तिथि प्रदोष काल से लेकर निशिता काल तक व्याप्त रहेगी। ऐसे में तिथियों और पंचांग के अनुसार, इस बार 20 अक्टूबर की रात को लक्ष्मी पूजन करना अधिक शुभ रहेगा।
निशिता काल मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त - 11:41 पी एम से 12:31 ए एम, अक्टूबर 21
अवधि - 00 घण्टे 51 मिनट्स
निशिता काल - 11:41 पी एम से 12:31 ए एम, अक्टूबर 21
सिंह लग्न - 01:38 ए एम से 03:56 ए एम, अक्टूबर 21
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त स्थिर लग्न के बिना
अमावस्या तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 20, 2025 को 03:44 पी एम बजे
अमावस्या तिथि समाप्त - अक्टूबर 21, 2025 को 05:54 पी एम बजे
चौघड़िया पूजा मुहूर्त
दीवाली लक्ष्मी पूजा के लिये शुभ चौघड़िया मुहूर्त
अपराह्न मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) - 03:44 पी एम से 05:46 पी एम
सायाह्न मुहूर्त (चर) - 05:46 पी एम से 07:21 पी एम
रात्रि मुहूर्त (लाभ) - 10:31 पी एम से 12:06 ए एम, अक्टूबर 21
उषाकाल मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर) - 01:41 ए एम से 06:26 ए एम, अक्टूबर 21
अन्य शुभ मुहूर्त
मुहूर्त
समय
ब्रह्म मुहूर्त
04:44 ए एम से 05:34 ए एम
प्रातः सन्ध्या
05:09 ए एम से 06:25 ए एम
अभिजित मुहूर्त
11:43 ए एम से 12:28 पी एम
विजय मुहूर्त
01:59 पी एम से 02:45 पी एम
गोधूलि मुहूर्त
05:46 पी एम से 06:12 पी एम
सायाह्न सन्ध्या
05:46 पी एम से 07:02 पी एम
अमृत काल
01:40 पी एम से 03:26 पी एम
निशिता मुहूर्त
11:41 पी एम से 12:31 ए एम, अक्टूबर 21
क्या है दीपावली का पर्व?
दीपावली, जिसे हम अक्सर “दीपों का त्योहार” कहते हैं, हिंदू धर्म का एक अत्यंत प्रमुख और पवित्र पर्व है। इसे अंधकार पर प्रकाश की विजय और असुरों पर धर्म की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। दीपावली शब्द संस्कृत के “दीप” (प्रकाश) और “आवली” (पंक्ति) से बना है, जिसका अर्थ होता है – दीपों की पंक्ति।
इस दिन घर-आँगन, मंदिर और सार्वजनिक स्थानों को दीपकों से सजाया जाता है और रात्रि को विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। यह
क्या है लक्ष्मी पूजा?
लक्ष्मी पूजा दीपावली पर्व का सबसे प्रमुख और शुभ अनुष्ठान है।
यह पूजा माता लक्ष्मी, अर्थात धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की देवी, को समर्पित होती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार यह पूजा कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को की जाती है।
इस दिन लोग अपने घरों, दुकानों और कार्यस्थलों की विधिवत सफाई और सजावट करते हैं, ताकि माता लक्ष्मी का आगमन हो सके।
इस दिन दीपक जलाने, धन की पूजा करने और माँ लक्ष्मी का आवाहन करने की परंपरा अत्यंत प्राचीन है।
यह केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी भारत का सबसे बड़ा उत्सव माना जाता है।
क्यों मनाते हैं दीपावली?
दीपावली का आयोजन कई धार्मिक और पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। प्रमुख कारण हैं:
भगवान राम की अयोध्या वापसी
रामायण के अनुसार भगवान राम, माता सीता और भाई लक्ष्मण 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। उनके स्वागत के लिए नगरवासियों ने दीप जलाकर रास्ता प्रकाशित किया। यही कारण है कि दीपावली दीपों के पर्व के रूप में मनाई जाती है।
मां लक्ष्मी की पूजा
इस दिन धन, सुख और समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। घर की समृद्धि और खुशहाली के लिए यह पूजा अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।
असुरों पर धर्म की जीत
दीपावली के दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसे भी अंधकार पर प्रकाश की विजय के रूप में देखा जाता है।
व्यक्तिगत और सामाजिक सुख-समृद्धि
दीपावली पर घरों की सफाई, सजावट, दान-पुण्य और मेलजोल समाज में सौहार्द और सामूहिक खुशहाली लाने का भी माध्यम है।
दीपावली का महत्व
धार्मिक महत्व
दीपावली भगवान राम, कृष्ण, लक्ष्मी और नरकासुर की कथाओं से जुड़ी हुई है। यह पर्व भक्ति और धार्मिक अनुष्ठानों का प्रतीक है।
आर्थिक महत्व
व्यापारियों और व्यवसायियों के लिए दीपावली का समय नए खाता-बही खोलने, सौभाग्य और समृद्धि प्राप्त करने का शुभ अवसर माना जाता है।
सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व
यह पर्व परिवार, मित्र और पड़ोसियों के बीच प्रेम, मेलजोल और सौहार्द बढ़ाने का समय होता है।
दीपावली के दौरान मिठाइयां बांटना, गिफ्ट देना और दान-पुण्य करना पारंपरिक संस्कृति का हिस्सा है।
आध्यात्मिक महत्व
दीपावली हमें अज्ञान और अंधकार से प्रकाश, पाप से पुण्य और दुःख से सुख की ओर ले जाने का संदेश देती है।
क्यों करते हैं लक्ष्मी पूजा?
शास्त्रों में वर्णन है कि कार्तिक अमावस्या की रात्रि को भगवान विष्णु के साथ माँ लक्ष्मी का पृथ्वी पर आगमन होता है।
इसलिए इस रात्रि में लक्ष्मी जी की पूजा करने से घर में धन, सौभाग्य और सुख-शांति का स्थायी वास होता है।
माना जाता है कि जिस घर में लक्ष्मी पूजन पूरे श्रद्धा और शुद्धता से किया जाता है
वहाँ ऋण, दरिद्रता, कलह और दुर्भाग्य का अंत होता है, और समृद्धि, सौभाग्य व सफलता का आगमन होता है।
व्यापारी वर्ग इस दिन को नववर्षारंभ के रूप में भी मनाते हैं
पुराने बहीखातों का समापन और नए बहीखातों (लेखा पुस्तकों) का उद्घाटन “चोपड़ा पूजन” के रूप में करते हैं,
जिससे आने वाले वर्ष में व्यवसाय में वृद्धि हो।
दीपावली पर पूजा की सामग्री लिस्ट
लक्ष्मी पूजा पर घर के बड़े-बुजुर्ग तल्लीनता से विधिवत पूजा की तैयारियों में लगे रहते हैं। श्री मंदिर आपके इस उत्साह को समझता है। आपके द्वारा की गई माता लक्ष्मी की पूजा में कोई भी त्रुटि न हो, इसीलिए हम यहां लेकर आएं हैं, दिवाली पर लक्ष्मी पूजा की चरणबद्ध संपूर्ण सामग्री, जो कुछ इस प्रकार है -
चौकी स्थापना और पूजा प्रारंभ
चौकी
चौकी स्थापन के स्थान पर स्वस्तिक या अल्पना बनाने के लिए अक्षत/ आटा
चौकी को शुद्ध करने के लिए गंगाजल
चौकी पर बिछाने के लिए लाल या पीला वस्त्र
एक तस्वीर जिसमें माता लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी भी विराजमान हो।
अष्टदल कमल बनाने के किये अक्षत
कर्पूर
पीतल का चौमुखी दीपक (जैसा आपके पास उपलब्ध हो)
घी
घंटी
पूजा की थाली
माता लक्ष्मी के स्नान-अभिषेक के लिए (अगर आप पूजा में मूर्ति स्थापित कर रहे हैं तो-)**
शक्कर
दूध
दही
शहद
जल/ गंगाजल
पंच उपचार
रोली
रक्त चंदन
कुमकुम - हल्दी
अक्षत
पुष्प-पल्लव**
लाल - पीले पुष्प
पुष्प माला
कमल का पुष्प
पंच पल्लव
पान के पत्ते
वस्त्र
मौली या कलावा
जनेऊ
चुनरी
गंध - श्रृंगार
अबीर
गुलाल
मेहंदी
धुप-अगरबत्ती
मुखवास के लिए ताम्बूल
लौंग
सुपारी
इलायची
पान का पत्ता
चढ़ावा और प्रसाद
चांदी का सिक्का
सात धान्य
पांच फल
खील-बताशे (खील अर्थात चावल की धानी)
सूखे मेवे
घर में बने पकवान
मिठाई
यथाशक्ति दक्षिणा
यदि इस दिन कलश स्थापना भी की जा रही है तो
नारियल
जल कलश
गंगाजल मिश्रित शुद्ध जल
जल में डालने के लिए पांच सामग्री (2-2 लौंग, इलायची, 1 हल्दी की गांठ, सिक्का, अक्षत)
कलश ग्रीवा पर बांधने के लिए कलावा
आम के पत्ते
अन्य - सज्जा
क्षमतानुसर मिट्टी के दीए
दीप प्रज्वलन के लिए तेल और बाती
यह लक्ष्मी पूजा की सम्पूर्ण सामग्री सूची है। इसके साथ ही आप अपने घर की पूंजी रुपी गुल्लक, गहने, सिक्के और व्यवसाय से जुड़े बहीखाता भी पूजा में रख सकते हैं।
दीपावली पर पूजा कैसे करें
दीपावली का नाम लेते ही हृदय आनंद और प्रकाश से भर उठता है। यह केवल एक पर्व नहीं, बल्कि अंधकार पर प्रकाश की विजय और नकारात्मकता पर सकारात्मकता के उत्थान का उत्सव है।
इस दिन माता लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर जी की पूजा कर घर-परिवार में धन, सुख, समृद्धि और सौभाग्य का स्वागत किया जाता है।
तो आइए, हम सब मिलकर जानते हैं — दिवाली की रात लक्ष्मी पूजा की विधिपूर्वक तैयारी, पूजन विधि और आरती का क्रम।
पूजा की तैयारी
सबसे पहले पूजा स्थल को साफ कर लें।
ज़मीन पर आटे या चावल से चौक या स्वस्तिक बनाएं।
उसके ऊपर लाल कपड़ा बिछाकर चौकी रखें।
अक्षत से आसन बनाकर भगवान गणेश और माता लक्ष्मी को विराजमान करें।
माता लक्ष्मी को गणेश जी के दाहिने ओर बैठाएं।
दोनों की मूर्तियों का मुख पूर्व या पश्चिम दिशा में रखें।
उनके आगे धन, गहने, चांदी के सिक्के या कुबेर जी की प्रतिमा रखें।
अब लक्ष्मी जी के दाहिने ओर अष्टदल कमल (अक्षत से बनाएं) रखें और उस पर जल से भरा कलश स्थापित करें।
कलश पर स्वस्तिक बनाएं, आम के पत्ते रखें और ऊपर मौली बंधा नारियल रख दें।
दीपक जलाना
दीपावली पर दीप जलाना अंधकार रूपी अज्ञान और नकारात्मकता को दूर करने का प्रतीक है।
दो बड़े चौमुखी घी के दीपक लक्ष्मी और गणेश जी के आगे जलाएं।
11 छोटे दीपक सरसों के तेल से जलाएं।
अपनी श्रद्धा अनुसार दीपों की संख्या 51 या 101 भी रख सकते हैं।
पूजा का आरंभ
शुभ मुहूर्त से पूर्व स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
परिवार सहित पूजा स्थल पर बैठें और जलपात्र का जल लेकर आचमन करें।
मंत्र:
ॐ केशवाय नमःॐ नारायणाय नमःॐ माधवाय नमः
अब दीपक, धूप और अगरबत्ती जलाकर देवी-देवताओं को दिखाएं।
आवाहन मंत्र
हाथ में पुष्प लेकर भगवान गणेश और माता लक्ष्मी का आवाहन करें –
गणेश जी के लिए:
“ॐ गं गणपतये नमः”
माता लक्ष्मी के लिए:
“ॐ महालक्ष्म्यै नमः”
अब दोनों प्रतिमाओं, कलश और दीपक पर पुष्प अर्पित करें।
माता लक्ष्मी को वस्त्रस्वरूप मौली चढ़ाएं और गणेश जी को जनेऊ अर्पित करें।
कुमकुम से तिलक लगाएं और चरणों में अक्षत चढ़ाएं।
भोग और अर्पण
अब भगवान को खील, बताशे, मिठाई, फल और पकवानों का भोग लगाएं।
कमल गट्टे, नारियल और पान के पत्तों पर लौंग-इलायची रखकर अर्पित करें।
इसके बाद जल लेकर चारों दिशाओं में छिड़कें।
आरती और प्रार्थना
अब परिवार सहित गणेश जी और माता लक्ष्मी की आरती करें –
गणेश आरती:
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा…
लक्ष्मी आरती:
जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता…
आरती के बाद हाथ जोड़कर प्रार्थना करें —
“हे माँ लक्ष्मी, हमारे घर में सुख, समृद्धि और सद्बुद्धि का वास बनाए रखें। हमारे जीवन से दरिद्रता और अज्ञान का नाश करें।”
अंत में पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा याचना करें।
पूजा का समापन
आरती के बाद दीपक और भोग का प्रसाद सभी को वितरित करें।
घर के प्रत्येक कमरे और द्वार पर दीप जलाएं।
घर के बड़ों का आशीर्वाद लें।
इस प्रकार लक्ष्मी पूजन विधि पूर्ण होती है।
माँ लक्ष्मी की कृपा से आपके जीवन में धन, सौभाग्य और उजाला बना रहे — यही मंगलकामना है।
दीपावली के दिन क्या करना चाहिए
दीपावली केवल दीपक जलाने का पर्व नहीं है, बल्कि इसे मनाने के दौरान कई धार्मिक अनुष्ठानों का पालन करना शुभ माना जाता है। इस दिन किए जाने वाले प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं:
स्नान और स्वच्छता: प्रातः स्नान कर घर की पूरी सफाई करें। माँ लक्ष्मी स्वच्छ और सुगंधित स्थान में ही निवास करती हैं।
घर सजाना: मुख्य द्वार पर आम्रपल्लव या तोरण लगाएँ, रंगोली बनाएं और दीपक जलाकर घर को प्रकाशमय बनाएं।
नए वस्त्र पहनें: पूजा के समय साफ और नए या अच्छे धुले हुए वस्त्र पहनें।
पूजन स्थिर लग्न में करें: ज्योतिष अनुसार स्थिर लग्न में पूजन करने से देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद स्थायी होता है।
संपूर्ण परिवार के साथ पूजा करें: पूरे परिवार के साथ लक्ष्मी पूजन करने से घर में धन, सौभाग्य और समृद्धि का वास होता है।
विशेष उपाय: लक्ष्मी यंत्र की स्थापना, शंख में गंगाजल चढ़ाना, 108 दीपक जलाना, लक्ष्मी मंत्र का जप, और कुबेर पूजन करना शुभ फलदायी है।
दीपावली के दिन क्या न करें
घर में झगड़ा या ऊँची आवाज़ से बचें।
रात में झाड़ू या बर्तन न चलाएँ।
नकारात्मक विचार या किसी के प्रति बुरा सोचने से परहेज करें।
अशुद्ध अवस्था में पूजा स्थल पर प्रवेश न करें।
दीपावली मनाने के लाभ
माँ लक्ष्मी की आराधना से धन और सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है।
घर-परिवार में सौभाग्य, शांति और संतोष का वातावरण बनता है।
व्यवसाय और नौकरी में उन्नति होती है।
बुद्धि, विवेक और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
घर में सदैव लक्ष्मी का स्थायी वास रहता है।
नकारात्मकता, अशुभता और आर्थिक संकट से मुक्ति मिलती है।
रामायण की कहानी
दिवाली से जुड़ी सबसे लोकप्रिय कहानी 14 साल के वनवास के बाद भगवान राम की अयोध्या वापसी और राक्षस राजा रावण को हराने की है। इस वनवास के दौरान, लंका के दुष्ट राजा रावण ने सीता का अपहरण कर लिया। बहुत सारी बाधाओं और लंबी खोज के बाद, भगवान राम ने अंततः लंका पर विजय प्राप्त की और सीता को बचाया। इस जीत और राजा राम की वापसी का जश्न मनाने के लिए, अयोध्या के लोगों ने राज्य को मिट्टी के दीयों से रोशन करके, मिठाइयां बांटकर और पटाखे फोड़कर जश्न मनाया, एक परंपरा जिसका पालन अभी भी अनगिनत लोग करते हैं जो त्योहार मनाते हैं।
मां काली की कहानी
भारत के कुछ हिस्सों में, विशेष रूप से बंगाल में, यह त्यौहार शक्ति की काली देवी मां काली की पूजा के लिए समर्पित है और बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि देवी काली ने पृथ्वी और स्वर्ग को क्रूर राक्षसों के हाथों से बचाने के लिए जन्म लिया था। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से, राक्षसों को मारने के बाद, देवी काली ने अपने क्रोध पर नियंत्रण खो दिया और अपने रास्ते में आने वाले सभी लोगों का वध करना शुरू कर दिया। इसलिए, भगवान शिव को उसकी हत्या की प्रवृत्ति को रोकने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ा। यही वह क्षण है जब वह अपनी लाल जीभ निकालकर भगवान शिव पर कदम रखती है और अंत में भय और पश्चाताप में अपनी हिंसक गतिविधि बंद कर देती है।
दिवाली में किसकी पूजा की जाती है?
माता लक्ष्मी : माता लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है। दिवाली के दिन लोग माता लक्ष्मी की पूजा करके धन, समृद्धि और सुख की कामना करते हैं। भगवान गणेश : भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है। माना जाता है कि भगवान गणेश की पूजा करने से सभी प्रकार के विघ्न दूर होते हैं और कार्य सिद्ध होते हैं।
दिवाली पर दीपों का क्या महत्व है?
अंधकार पर प्रकाश की विजय
दीपावली में दीपक जलाने का सबसे प्रमुख अर्थ है अज्ञान और अंधकार पर ज्ञान और प्रकाश की जीत।
जीवन में जो अंधकार और नकारात्मक ऊर्जा होती है, दीपक उसे दूर करके सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का प्रतीक
दीपक से उत्पन्न प्रकाश घर और वातावरण में शुभता, खुशहाली और समृद्धि लाता है।
इसे घर में रखने से लक्ष्मी माता का वास माना जाता है और धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।
आध्यात्मिक शांति और मानसिक सुकून
दीपक का प्रकाश मन को शांत करता है और ध्यान तथा पूजा में एकाग्रता बढ़ाता है।
यह तनाव, नकारात्मक भावनाओं और भय को दूर करने में मदद करता है।
परिवार और समाज में मेलजोल का प्रतीक
दीप जलाना केवल व्यक्तिगत पूजा नहीं, बल्कि परिवार और समाज में एकता, प्रेम और सहयोग का संदेश देता है
घर-घर दीपक जलाकर लोग एक-दूसरे के लिए शुभकामनाएँ और सकारात्मक ऊर्जा भेजते हैं।
ज्ञान, बोध और आध्यात्मिक जागृति
दीपक का प्रकाश बुद्धि और ज्ञान का प्रतीक माना गया है।
दीपावली पर दीपक जलाना यह सिखाता है कि अज्ञान, अंहकार और अज्ञानता को हराकर मनुष्य को ज्ञान और सत्संग की ओर अग्रसर होना चाहिए।