श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत का महत्व, शुभ मुहूर्त, पूजा की विधि और पौराणिक कथा जानें। यह लेख सरल हिंदी में पूरी जानकारी देता है।
श्रावण पुत्रदा एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित एक पावन तिथि है, जो श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आती है। यह व्रत संतान प्राप्ति की कामना से रखा जाता है और धर्म, पुण्य व मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
भक्तों नमस्कार, श्री मंदिर पर आपका स्वागत है।
सभी एकादशी तिथियों की तरह श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली पुत्रदा एकादशी भी भगवान विष्णु को समर्पित होती है। ये एकादशी साल में दो बार आती है, पहली एकादशी श्रावण मास में, तो दूसरी पौष मास में पड़ती है। मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने वाले जातक को संतान सुख और वाजपेय यज्ञ के समान पुण्यफल की प्राप्ति होती है।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 04:20 ए एम से 05:02 ए एम तक |
प्रातः सन्ध्या | 04:41 ए एम से 05:45 ए एम तक |
अभिजित मुहूर्त | 12:00 पी एम से 12:54 पी एम तक |
विजय मुहूर्त | 02:41 पी एम से 03:35 पी एम तक |
गोधूलि मुहूर्त | 07:09 पी एम से 07:30 पी एम तक |
सायाह्न सन्ध्या | 07:09 पी एम से 08:13 पी एम तक |
निशिता मुहूर्त | 12:06 ए एम, अगस्त 06 से 12:48 ए एम, 06 अगस्त तक |
रवि योग | 05:45 ए एम से 11:23 ए एम तक |
‘पुत्रदा’ का अर्थ होता है ‘पुत्र प्रदान करने वाली’। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी कहते हैं। इसे पवित्रा एकादशी और पवित्रोपना एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत विशेष रूप से उन दंपत्तियों के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है जो संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं।
श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की कृपा से संतान सुख प्राप्त करने की कामना से किया जाता है। इस दिन व्रत, उपवास, पूजा और विष्णु सहस्त्रनाम के जप के माध्यम से भक्त अपने हृदय की भावना प्रभु तक पहुंचाते हैं।
शास्त्रों के अनुसार, जो भी भक्त इस दिन श्रद्धा और समर्पण से व्रत करता है, उसे न केवल योग्य संतान की प्राप्ति होती है, बल्कि वह संतान दीर्घायु, बुद्धिमान और धर्मपरायण भी होती है। साथ ही, इस व्रत के प्रभाव से जीवन में रोग, दरिद्रता और संकट भी दूर हो जाते हैं।
सनातन व्रतों में एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस दिन संपूर्ण विधि और उचित सामग्री के साथ पूजा करना अत्यंत फलदायक होता है। एकादशी पर की जाने वाली पूजा की सामग्री कुछ इस प्रकार है -
नोट - गणेश जी की प्रतिमा के स्थान पर आप एक सुपारी पर मौली लपेटकर इसे गणेशजी के रूप में पूजा में विराजित कर सकते हैं।
इस सामग्री के द्वारा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा की जाती है, यह पूजा सेवा आपके लिए श्री मंदिर पर उपलब्ध है। आप इसका लाभ अवश्य उठायें।
हिन्दू पंचांग के अनुसार एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस लेख में आप एकादशी की पूजा की तैयारी एवं विधि जानेंगे।
पूजा की तैयारी
एकादशी की पूजा विधि
(सबसे पहले दीप प्रज्वलित इसीलिए किया जाता है, ताकि अग्निदेव आपकी पूजा के साक्षी बनें)
इस तरह आपकी एकादशी की पूजा संपन्न होगी। इस पूजा को करने से आपको भगवान विष्णु की कृपा निश्चित रूप से प्राप्त होगी।
भक्तों, भगवान विष्णु के एकादशी व्रत की महिमा इतनी दिव्य है, कि इसके प्रभाव से मनुष्य जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्त हो जाता है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी का भी विशेष महत्व है। हमारी पौराणिक मान्यताएं भी कहती हैं कि एकादशी व्रत से अद्भुत पुण्यफल प्राप्त होता है।
एकादशी का यह पावन व्रत आपके जीवन को और अधिक सार्थक बनाने में सहयोगी सिद्ध होगा। इसी विश्वास के साथ हम आपके लिए इस व्रत और पूजन से मिलने वाले 5 लाभों की जानकारी लेकर आए हैं। आइये, शुरू करते हैं..
ये एकादशी व्रत एवं पूजन आपके सभी शुभ कार्यों एवं लक्ष्य की सिद्धि करेगा। इस व्रत के प्रभाव से आपके जीवन में सकारात्मकता का संचार होगा, जो आपके विचारों के साथ आपके कर्म को भी प्रभावित करेगा।
इस एकादशी का व्रत और पूजन आर्थिक समृद्धि में भी सहायक है। यह आपके आय के साधन को स्थायी बनाने के साथ उसमें बढ़ोत्तरी देगा। अतः इस दिन विष्णु जी के साथ माता लक्ष्मी का पूजन अवश्य करें।
इस एकादशी पर नारायण की भक्ति करने से आपको मानसिक सुख शांति के साथ ही परिवार में होने वाले वाद-विवादों से भी मुक्ति मिलेगी
एकादशी तिथि के अधिदेवता भगवान विष्णु हैं। एकादशी पर उनकी पूजा अर्चना करने से आपको भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलेगा तथा उनकी कृपा से भूलवश किये गए पापों से भी मुक्ति मिलेगी।
श्री हरि को समर्पित इस तिथि पर व्रत अनुष्ठान करने से आपको मृत्यु के बाद वैकुण्ठ धाम में स्थान प्राप्त होगा। इस व्रत का प्रभाव बहुत शक्तिशाली होता है, इसीलिए जब आप यह व्रत करेंगे, तो इसके फलस्वरूप आपको आपके कर्मों का पुण्य फल अवश्य प्राप्त होगा, जो आपको मोक्ष की ओर ले जाएगा।
तो यह थे एकादशी के व्रत से होने वाले लाभ, आशा है आपका एकादशी का यह व्रत अवश्य सफल होगा और आपको इस व्रत के सम्पूर्ण फल की प्राप्ति होगी।
इस एकादशी पर की जाने वाली पूजा विधि और अन्य महत्वपूर्ण बातें जानने के लिए जुड़े रहिये श्री मंदिर के साथ।
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