मंगला गौरी व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा की विधि और इसका धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व जानें। यह लेख सरल भाषा में पूरी जानकारी देता है।
मंगला गौरी व्रत एक पवित्र व्रत है जो श्रावण मास के मंगलवार को विवाहित महिलाएं करती हैं। यह व्रत माता गौरी को समर्पित होता है और सौभाग्य, सुख-समृद्धि तथा पति की लंबी उम्र के लिए किया जाता है।
सावन महीने के हर मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रखा जाता है। यह पावन दिन मां गौरी को समर्पित होता है। अत: सावन महीने के हर मंगलवार पर विवाहित महिलाएं व्रत रख मां गौरी की पूजा-उपासना करती हैं। धार्मिक मान्यता है कि मंगला गौरी व्रत करने से विवाहित महिलाओं के सुख और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। वर्ष 2025 में श्रावण मास की शुरुआत 11 जुलाई, शुक्रवार को हो रही है और इसका समापन 9 अगस्त, शनिवार को होगा। इस दौरान भक्तों को कुल 4 सावन सोमवार का सौभाग्य प्राप्त होगा और 4 मंगलवार का भी। चतुर्थ मंगला गौरी व्रत 05 अगस्त को पड़ रहा है, जो शिवभक्तों के लिए अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है।
सावन का चतुर्थ मंगला गौरी व्रत 05 अगस्त को कृष्ण पक्ष की द्वादशी व त्रयोदशी तिथि पर रखा जायेगा।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 04:20 ए एम से 05:02 ए एम तक |
प्रातः सन्ध्या | 04:41 ए एम से 05:45 ए एम तक |
अभिजित मुहूर्त | 12:00 पी एम से 12:54 पी एम तक |
विजय मुहूर्त | 02:41 पी एम से 03:35 पी एम तक |
गोधूलि मुहूर्त | 07:09 पी एम से 07:30 पी एम तक |
सायाह्न सन्ध्या | 07:09 पी एम से 08:13 पी एम तक |
रवि योग | 05:45 ए एम से 11:23 ए एम तक |
निशिता मुहूर्त | 12:06 ए एम, अगस्त 06 से 12:48 ए एम, 06 अगस्त तक |
श्रावण माह में इस साल कुल 4 मंगलवार पड़ रहे हैं, जिससे 4 मंगला गौरी व्रत रखे जायेंगे। माता पार्वती को समर्पित ये व्रत विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र व सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखती हैं। वहीं कुंवारी कन्याएं इस व्रत के प्रभाव से उत्तम वर पाती हैं। इसके साथ ही मान्यता ये भी है कि मंगला गौरी व्रत रखने से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं।
भगवान महादेव व मां पार्वती की उपासना के लिए यूं तो हर दिन मंगलकारी है, लेकिन श्रावण मास का विशेष महत्व है। श्रावण का सोमवार जहां शिव जी को समर्पित है, वहीं इस मास में पड़ने वाले मंगलवार को माता पार्वती को समर्पित मंगला गौरी का चमत्कारी व्रत किया जाता है। मान्यता है कि पार्वती जी ने भगवान शिव को पाने के लिए कई व्रत अनुष्ठान किए थे। मंगला गौरी व्रत उन्हीं में से एक है।
श्रावण मास में आने वाला मंगला गौरी व्रत भगवान शिव की अर्धांगिनी माता पार्वती को समर्पित है। इस वर्ष अधिकमास होने के कारण जातकों को माता की उपासना के लिए अधिक व्रत मिलेंगे। मान्यता है कि जो सुहागिन स्त्रियां नियमपूर्वक इस व्रत का पालन करती हैं, उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही जिन विवाहित लोगों का वैवाहिक जीवन सुखमय न हो, उनके लिए भी मंगला गौरी व्रत बहुत ही चमत्कारी माना जाता है। वहीं, यदि कोई कुंवारी कन्या सुयोग्य वर पाने की इच्छा से ये व्रत रखती है, तो माता पार्वती उसकी भी मनोकामना शीघ्र पूर्ण करती हैं। इसके अलावा जो निःसंतान जोड़े संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं, उन्हें इस व्रत के प्रभाव से उत्तम संतान प्राप्त होती है।
1. संकल्प लें
2. कलश स्थापना करें
3. दीप प्रज्वलन
4. मां गौरी का पूजन करें
5. श्रृंगार अर्पित करें
6. धूप, दीप व नैवेद्य अर्पण करें
7. मंगला गौरी व्रत कथा श्रवण करें
8. आरती करें
9. प्रसाद वितरण
तो यह थी श्रावण के चतुर्थ मंगला गौरी व्रत से जुड़ी जानकारी, हमारी कामना है कि आपका ये व्रत सफल हो और भोलेनाथ व माता पार्वती की कृपा से आपका जीवन सुख सौभाग्य से परिपूर्ण रहे। ऐसे ही व्रत, त्यौहार व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए 'श्री मंदिर' के साथ।
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