मासिक कार्तिगाई से जुड़ी धार्मिक मान्यताएँ और पूजा विधि की जानकारी।
कार्तिगा नक्षत्र के दिन मनाया जाने वाला मासिक कार्तिगाई दक्षिण भारतियों का प्रमुख त्योहार है। ये दिन भगवान शिव और मुरूगन की अराधना के लिए समर्पित होता है। तो आइए इस आर्टिकल में हम मासिक कार्तिगाई से जुड़ी सभी बातों को डिटेल में जानेंगे।
आज हम श्री मंदिर पर आपके लिए मासिक कार्तिगाई से जुड़ी हुई सम्पूर्ण जानकारी लेकर आए हैं, इसलिए इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।
इस लेख में जानिए
त्योहार के दिन शाम के समय घरों और गलियों में तेल के दीप एक पंक्ति में जलाये जाते हैं। साथ ही, इस दिन भगवान शिव एवं उनके पुत्र कार्तिकेय जी की पूजा का विधान है। ऐसी मान्यता है कि इनकी आराधना करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 03:46 ए एम से 04:27 ए एम तक |
प्रातः सन्ध्या | 04:07 ए एम से 05:09 ए एम तक |
अभिजित मुहूर्त | 11:33 ए एम से 12:27 पी एम तक |
विजय मुहूर्त | 02:17 पी एम से 03:12 पी एम तक |
गोधूलि मुहूर्त | 06:50 पी एम से 07:11 पी एम तक |
सायाह्न सन्ध्या | 06:52 पी एम से 07:53 पी एम तक |
अमृत काल | 01:16 पी एम से 02:44 पी एम तक |
निशिता मुहूर्त | 11:40 पी एम से 12:21 ए एम, (23 जून तक) |
त्रिपुष्कर योग | 05:38 पी एम से 01:21 ए एम, 23 जून तक |
मासिक कार्तिगाई एक मासिक त्यौहार है जिसे मुख्य रूप से तमिल हिन्दुओं द्वारा काफी हर्षोल्लास से मनाया जाता है। मासिक कार्तिगाई को दीपम कार्तिगाई के नाम से भी जाना जाता है। कार्तिगाई दीपम का नाम कार्तिगाई या कृत्तिका नक्षत्र से लिया गया हैं। जिस दिन कृत्तिका नक्षत्र प्रबल होता है उस दिन कार्तिगाई दीपम मनाया जाता है।
मासिक कार्तिगाई का आयोजन हर महीने के कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को किया जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव और भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी को अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने के लिए स्वयं को एक दिव्य ज्योति में परिवर्तित कर दिया था। इस दिव्य ज्योति के दर्शन के लिए दोनों देवताओं ने प्रयास किया, लेकिन वे उसके सिरा और अंत को नहीं खोज पाए। इस घटना के उपलक्ष्य में इस दिन दीप जलाने की परंपरा शुरू हुई, जिससे घरों में अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीकात्मक संदेश मिलता है।
मासिक कार्तिगाई का महत्व न केवल धार्मिक दृष्टि से है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन दीप जलाने से घरों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मकता का नाश होता है। इसके अतिरिक्त, इस दिन भगवान शिव और भगवान कार्तिकेय की पूजा से भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-शांति का वास होता है। विशेष रूप से तिरुवन्नामलई की पहाड़ी पर जलाया जाने वाला महादीपम् इस पर्व का प्रमुख आकर्षण है, जो दूर-दूर से दिखाई देता है और भक्तों को आकर्षित करता है।
मासिक कार्तिगाई की तैयारी के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
घर की सफाई: इस दिन घर की सफाई करना और विशेष रूप से पूजा स्थल को स्वच्छ रखना आवश्यक है।
दीपों की व्यवस्था: तिल के तेल या घी से दीपक तैयार करें और उन्हें घर के विभिन्न स्थानों पर रखें।
पूजा सामग्री: भगवान शिव और भगवान कार्तिकेय की पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे फूल, अगरबत्ती, चंदन, धूप, दीपक, मिठाई आदि एकत्रित करें।
इस पर्व से जुड़ी हुई एक पौराणिक कथा भी है, जिसके अनुसार, एक बार भगवान शिव ने भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी को अपनी श्रेष्ठता साबित करने के लिए स्वयं को प्रकाश की अनन्त ज्योत में बदल लिया था। इसलिए उनके सम्मान में इस दिन ज्योत जलाने का विधान है।
तिरुवन्नामलई की पहाड़ी में कार्तिगाई का त्यौहार बहुत प्रसिद्ध हैं। कार्तिगाई के दिन पहाड़ी पर विशाल दीप जलाया जाता है जो पहाड़ी के चारों ओर कई किलोमीटर तक दिखता है। इस दीप को महादीपम कहते हैं और हिन्दु श्रद्धालु यहाँ जाते हैं और भगवान शिव की प्रार्थना करते हैं।
मासिक कार्तिगाई पर, भगवान-शिव और भगवान-मुरुगन का आशीर्वाद लेने का बहुत ही अधिक महत्व है और इसीलिये भक्तगण इस दिन सुबह-सुबह अपने दैनिक कार्यों को करने के बाद पूजा-अर्चना में लग जाते हैं। इस दिन मंदिरों में भारी भीड़ देखने को मिलती है।
स्नान और स्वच्छता: पूजा आरंभ करने से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल की तैयारी: पूजा स्थल को स्वच्छ करें और वहां एक चौकी पर भगवान शिव और भगवान कार्तिकेय की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। दीप जलाना: तिल के तेल या घी से दीपक जलाएं और उन्हें घर के विभिन्न स्थानों पर रखें। पुष्प अर्पण और धूप: फूलों से भगवान की पूजा करें और धूप अर्पित करें। भोग अर्पण: मिठाई, फल और अन्य प्रिय वस्तुएं भगवान को अर्पित करें। आरती और मंत्र जाप: आरती करें और भगवान के मंत्रों का जाप करें। प्रसाद वितरण: पूजा के बाद प्रसाद का वितरण करें और स्वयं भी ग्रहण करें।
तो यह थी मासिक कार्तिगाई से जुड़ी ज़रूरी जानकारी, ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए आप श्री मंदिर से जुड़े रहें।
मासिक कार्तिगाई व्रत के दौरान निम्नलिखित नियमों का पालन करना चाहिए:
उपवास: इस दिन उपवास रखना शुभ माना जाता है। उपवास से शरीर और मन दोनों शुद्ध होते हैं।
सात्विक आहार: इस दिन सात्विक आहार का सेवन करें और मांसाहार, मदिरा, लहसुन, प्याज आदि से परहेज करें।
ध्यान और साधना: पूजा के दौरान ध्यान और साधना में मन लगाएं और भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करें
मासिक कार्तिगाई व्रत को सफल बनाने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
नियमित पूजा: मासिक कार्तिगाई के दिन नियमित रूप से पूजा करें और सभी विधियों का पालन करें।
सच्ची श्रद्धा: पूजा में सच्ची श्रद्धा और विश्वास रखें।
दान और पुण्य कार्य: इस दिन दान और पुण्य कार्य करें, जैसे गरीबों को भोजन देना, वस्त्र दान करना आदि।
मासिक कार्तिगाई व्रत के दौरान निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
दीप जलाना: घर के विभिन्न स्थानों पर दीपक जलाएं, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो।
गंगाजल का छिड़काव: घर में गंगाजल का छिड़काव करें, जिससे घर की नकारात्मकता दूर हो और सकारात्मकता का वास हो।
वास्तु शुद्धि: घर की वास्तु दोषों को दूर करने के लिए विशेष उपाय करें, जैसे दक्षिण-पूर्व दिशा में दीप जलाना।
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