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गौरी व्रत समापन 2025

गौरी व्रत 2025 की समाप्ति का दिन आपके जीवन में शुभता और सौभाग्य लेकर आ सकता है। जानिए इस व्रत की पूर्णाहुति की तिथि, पूजा-विधि और इसका आध्यात्मिक महत्व, जिससे आपकी मनोकामनाएं हो सकती हैं पूर्ण

गौरी व्रत 2025: समापन तिथि, पारण और विसर्जन की सम्पूर्ण विधि

श्रावण के आगमन से पूर्व आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी से प्रारंभ होने वाला गौरी व्रत विशेषकर अविवाहित कन्याओं द्वारा मां गौरी की कृपा पाने हेतु श्रद्धा भाव से रखा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से गुजरात में लोकप्रिय है और इसे जया पार्वती व्रत के नाम से भी जाना जाता है। व्रती कन्याएं पांच दिन तक मां गौरी की पूजा करती हैं, सात्त्विक जीवन शैली का पालन करती हैं और अंत में विधिवत समापन के साथ व्रत पूर्ण करती हैं।

2025 में कब है गौरी व्रत का समापन

गौरी व्रत केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना भी है, जो कन्याओं को धैर्य, श्रद्धा और संयम सिखाता है। वर्ष 2025 में यह व्रत 6 जुलाई से 10 जुलाई तक रहेगा। समापन तिथि पर पारण और विसर्जन की शुद्ध विधियों का पालन करके व्रत को सफलतापूर्वक पूर्ण किया जा सकता है।

गौरी व्रत का समापन इस वर्ष 10 जुलाई 2025, गुरुवार को होगा। यह दिन पूर्णिमा से दो दिन पूर्व होता है और इसी दिन व्रती कन्याएं विशेष पूजा और पारण के साथ व्रत का समापन करती हैं।

गौरी व्रत समापन 2025 का मुहूर्त

मुहूर्तसमय
ब्रह्म मुहूर्त

03:52 ए एम से 04:33 ए एम तक

प्रातः सन्ध्या

04:12 ए एम से 05:15 ए एम तक

अभिजित मुहूर्त

11:36 ए एम से 12:31 पी एम तक

विजय मुहूर्त

02:20 पी एम से 03:14 पी एम तक

गोधूलि मुहूर्त

06:51 पी एम से 07:11 पी एम तक

सायाह्न सन्ध्या

06:52 पी एम से 07:54 पी एम तक

अमृत काल

12:55 ए एम, जुलाई 11 से 02:35 ए एम, जुलाई 11 तक

निशिता मुहूर्त

11:43 पी एम से 12:24 ए एम, जुलाई 11 तक

गौरी व्रत समापन का महत्व

गौरी व्रत का समापन आषाढ़ शुक्ल पंचमी या पूर्णिमा के आसपास होता है, और यह दिन विशेष रूप से व्रती कन्याओं व महिलाओं के लिए अत्यंत पावन माना जाता है। इस दिन मां गौरी (पार्वती) की आराधना व व्रत के समापन से देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह व्रत कन्याओं द्वारा शिवजी जैसा वर पाने की कामना से रखा जाता है, और समापन पर देवी गौरी को विदाई दी जाती है, जैसे किसी सुहागन कन्या को ससुराल भेजा जाता है।

गौरी व्रत समापन की पूजाविधि

  • स्नान व संकल्प – प्रातःकाल स्नान करके व्रत समापन का संकल्प लें।
  • गौरी पूजन – मिट्टी या चित्र रूप में स्थापित मां गौरी का पंचोपचार विधि से पूजन करें।
  • पुष्प, अक्षत, रोली, हल्दी-कुमकुम, फल और मिठाई अर्पित करें।
  • कथा वाचन – व्रत की समापन कथा सुनें या पढ़ें। इसमें मां गौरी की तपस्या और शिव प्राप्ति का वर्णन होता है।
  • आरती – गौरी माता की आरती करें और भजन-कीर्तन में भाग लें।
  • गौरी विसर्जन – पूजन के बाद मिट्टी की मूर्ति या प्रतीक को जल में विसर्जित करें।
  • ब्राह्मण कन्या भोजन व दान – कन्याओं को भोजन कराकर वस्त्र, सौभाग्य सामग्री व दक्षिणा दें।

गौरी व्रत समापन व पारण की विधि (व्रत खोलने की प्रक्रिया)

गौरी व्रत का पारण विशेष श्रद्धा और नियमों के साथ किया जाता है। पारण का अर्थ होता है – व्रत पूर्ण कर भोजन करना। इसे भूलवश भी हल्के में नहीं लेना चाहिए।

पारण की विधि

  • प्रातःकाल स्नान के बाद मां गौरी की विधिवत पूजा करें।
  • पीले या सफेद फूल, हल्दी-कुमकुम, अक्षत और नैवेद्य अर्पित करें।
  • मां गौरी को विशेष रूप से गेहूं के आटे से बनी मिठाई या लड्डू चढ़ाएं।
  • व्रत कथा का पाठ करें और व्रत पूर्ण होने की प्रार्थना करें।
  • पारण का समय ब्रह्म मुहूर्त या अभिजीत मुहूर्त में श्रेष्ठ माना जाता है।
  • पारण के बाद सात्विक भोजन करें – जिसमें बिना लहसुन-प्याज वाले भोजन को प्राथमिकता दें।

गौरी व्रत विसर्जन विधि (मूर्ति विसर्जन एवं समापन)

गौरी व्रत के अंतिम दिन मां गौरी की मूर्ति या प्रतीक को जल में विसर्जित किया जाता है। यह प्रक्रिया भी एक भावनात्मक और भक्ति से परिपूर्ण अनुष्ठान होता है।

विसर्जन की विधि

  • पूजा स्थल को गंगाजल या शुद्ध जल से स्वच्छ करें।
  • मां गौरी की मूर्ति को फूल-माला, मिठाई और सुहाग सामग्री के साथ सजाएं।
  • व्रती कन्याएं अंतिम बार गौरी माँ की आरती करें।
  • विसर्जन के लिए किसी नदी, तालाब या स्वच्छ जल स्त्रोत में जाएं (यदि संभव न हो तो घर में ही एक पात्र में प्रतीकात्मक विसर्जन कर सकते हैं)।
  • विसर्जन करते समय मां से अच्छे वर, सुखद वैवाहिक जीवन और जीवन में समृद्धि की कामना करें।

महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखें

  • व्रत के दौरान तामसिक भोजन, कटु वचन और असत्य से परहेज करें।
  • व्रत के सभी दिन प्रतिदिन मां गौरी की पूजा करें और नैवेद्य चढ़ाएं।
  • समापन दिन विशेष श्रद्धा से पूजा और विसर्जन करें – यह व्रत के पूर्ण फल की कुंजी है।

गौरी व्रत समापन के दिन क्या करना चाहिए

  • इस दिन व्रती को सात्विक रहन-सहन अपनाना चाहिए।
  • देवी गौरी की पूजा मन से करें और व्रत समर्पण भाव से पूर्ण करें।
  • कन्या पूजन करें – इसे अत्यंत पुण्यकारी माना गया है।
  • मन में कोई दुष्ट विचार न लाएं और न किसी की निंदा करें।
  • विसर्जन के समय गौरी माता को मन ही मन श्रद्धापूर्वक विदा करें – “फिर अगले वर्ष पधारने” की प्रार्थना करें।

गौरी व्रत के धार्मिक आयोजन

गौरी व्रत विशेषकर गुजरात और महाराष्ट्र में प्रमुखता से मनाया जाता है। समापन के दिन मंदिरों व घरों में:

  • देवी गौरी की शोभायात्रा निकाली जाती है।
  • पारंपरिक लोकगीत गाए जाते हैं।
  • सामूहिक पूजन व कथा-कहानियों का आयोजन होता है।
  • बहुत-सी जगहों पर युवा कन्याएं सजधजकर देवी की भक्ति में लीन होती हैं और पारंपरिक लोकनृत्य भी किए जाते हैं।

गौरी व्रत समापन के दिन क्या न करें?

  • किसी भी प्रकार का तामसिक भोजन (मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन) न करें।
  • क्रोध, कलह और कटु वाणी से परहेज करें।
  • पूजा स्थल को अशुद्ध न करें, पूजा के समय मोबाइल या अन्य ध्यानभटकाने वाली चीज़ों से बचें।
  • विसर्जन के समय हँसी-मज़ाक न करें, यह समय श्रद्धा और भावनात्मक विदाई का होता है।

गौरी व्रत समापन न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक संकल्प की पूर्णता का पर्व है, जिसमें कन्याएं माता गौरी की कृपा से अपने जीवन के लिए शिव समान जीवनसाथी की आकांक्षा रखती हैं। इस दिन की पूजा, आचरण और आस्था, जीवन में सौभाग्य, सुंदरता, और मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद लेकर आती हैं।

मां गौरी की कृपा आप पर बनी रहे – यही कामना है। जय माता गौरी!

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Published by Sri Mandir·July 2, 2025

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