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आषाढ़ पूर्णिमा व्रत 2025

आषाढ़ पूर्णिमा व्रत 2025 का दिन आध्यात्मिक उन्नति, स्नान-दान और गुरु पूजन के लिए विशेष माना जाता है। जानिए इस शुभ तिथि की पूजा विधि, महत्व और इसे करने से मिलने वाले दिव्य फल।

आषाढ़ पूर्णिमा व्रत के बारे में

आषाढ़ पूर्णिमा व्रत हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को रखा जाता है। इस दिन धार्मिक कार्य, स्नान, दान और व्रत का विशेष महत्व होता है। यह दिन गुरु पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है, जो गुरु के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का पर्व है।

आषाढ़ पूर्णिमा व्रत की सम्पूर्ण जानकारी

इस लेख में आप जानेंगे-

  • कब है आषाढ़ पूर्णिमा व्रत?
  • आषाढ़ पूर्णिमा व्रत का शुभ मुहूर्त व तिथि
  • आषाढ़ पूर्णिमा के दिन चंद्र अर्घ्य का समय
  • आषाढ़ पूर्णिमा के दिन लगेगी भद्रा
  • क्यों रखा जाता है आषाढ़ पूर्णिमा व्रत?
  • आषाढ़ पूर्णिमा व्रत का महत्व
  • आषाढ़ पूर्णिमा व्रत के दिन किसकी पूजा होती है?
  • आषाढ़ पूर्णिमा व्रत की पूजा कैसे करें?
  • आषाढ़ पूर्णिमा पर गोपद्म व्रत का अनुष्ठान
  • आषाढ़ पूर्णिमा व्रत के दिन किए जाने वाले उपाय
  • आषाढ़ पूर्णिमा व्रत रखने के लाभ
  • आषाढ़ पूर्णिमा व्रत के दिन क्या करना लाभदायी है?

आषाढ़ पूर्णिमा व्रत 2025

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को विष्णु भक्त आषाढ़ पूर्णिमा व्रत रखते हैं और श्रद्धापूर्वक स्नान-दान आदि पुण्यकर्म करते हैं। इस दिन जातक श्री हरि की विधिवत् पूजा के साथ गोपद्म व्रत का पालन करते हैं। आपको बता दें कि आषाढ़ पूर्णिमा को 'गुरु पूर्णिमा' या 'व्यास पूर्णिमा' के रूप में भी मनाया जाता है।

आषाढ़ पूर्णिमा व्रत कब है? मुहूर्त जानें!

  • आषाढ़ पूर्णिमा 10 जुलाई 2025, बृहस्पतिवार को पड़ रही है।
  • पूर्णिमा तिथि 10 जुलाई 2025, बृहस्पतिवार को मध्यरात्रि 01 बजकर 36 मिनट पर प्रारंभ होगी।
  • पूर्णिमा तिथि का समापन 11 जुलाई 2025, शुक्रवार को मध्यरात्रि 02 बजकर 06 मिनट पर होगा।
  • उदयातिथि के आधार पर व्रत व स्नान-दान जैसे अनुष्ठान 10 जुलाई को किए जायेंगे।
  • पूर्णिमा उपवास के दिन चन्द्रोदय का समय शाम 06 बजकर 46 मिनट पर होगा।

आषाढ़ पूर्णिमा व्रत का शुभ मुहूर्त व तिथि

मुहूर्तसमय
ब्रह्म मुहूर्त03:52 ए एम से 04:33 ए एम तक
प्रातः सन्ध्या04:12 ए एम से 05:15 ए एम तक
अभिजित मुहूर्त11:36 ए एम से 12:31 पी एम तक
विजय मुहूर्त02:20 पी एम से 03:14 पी एम तक
गोधूलि मुहूर्त06:51 पी एम से 07:11 पी एम तक
सायाह्न सन्ध्या06:52 पी एम से 07:54 पी एम तक
अमृत काल12:55 ए एम, जुलाई 11 से 02:35 ए एम, जुलाई 11 तक
निशिता मुहूर्त11:43 पी एम से 12:24 ए एम, जुलाई 11 तक

आषाढ़ पूर्णिमा के दिन चंद्र अर्घ्य का समय

आषाढ़ पूर्णिमा के दिन शाम 06:46 बजे चंद्रमा का उदय होगा। जो जातक इस दिन उपवास रखेंगे, उन्हें इस समय पर चंद्रदेव की पूजा करके अर्घ्य देना चाहिए। कहा जाता है कि चंद्र अर्घ्य देने व से जीवन में सदैव सुख- शांति बनी रहती है।

आषाढ़ पूर्णिमा के दिन लगेगी भद्रा

इस साल आषाढ़ पूर्णिमा के दिन भद्रा लगेगी, जिसका वास पाताल लोक में है। 10 जुलाई को भद्रा का समय सुबह 05 बजकर 15 मिनट से दोपहर 01 बजकर 55 मिनट तक है, यानि इसका प्रभाव केवल 1 घंटा 20 मिनट के लिए ही है। मान्यता है कि पाताल लोक व स्वर्ग लोक में भद्रा का वास होने पर मृत्युलोक में कोई विशेष दुष्प्रभाव नहीं होता है।

क्यों रखा जाता है आषाढ़ पूर्णिमा व्रत?

आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन को आध्यात्मिक उन्नति, गुरु-भक्ति, और आत्मशुद्धि के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। आषाढ़ पूर्णिमा को ही गुरु पूर्णिमा भी कहा जाता है और इस अवसर पर अपने गुरु के प्रति श्रद्धा अर्पित कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। साथ ही इस दिन चातुर्मास की शुरुआत होती है, जो तप, संयम और भक्ति का विशेष काल होता है।

आषाढ़ पूर्णिमा का महत्व

  • आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पूर्वाषाढ़ा या उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में गोचर करते हैं। यदि आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को चंद्रमा उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में आते हैं, तो वो पूर्णिमा समृद्धि व सौभाग्य प्रदान करने वाली मानी जाती है।

  • आषाढ़ पूर्णिमा पर जातक व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की उपासना करते हैं। मान्यता है कि ये व्रत मनोवांछित फल देने वाला होता है। साथ ही इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य जीवन के सभी सुखों को भोगने के बाद मोक्ष प्राप्त करता है।

  • आषाढ़ पूर्णिमा का दिन गुरु पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने गुरु का आशीर्वाद लेते हैं, और उनके मार्गदर्शन के लिए कृतज्ञता प्रकट करते हैं।

  • ये दिन बौद्ध संस्कृति के लिए भी विशेष महत्व रखता है। माना जाता है कि गौतम बुद्ध ने बोध गया में ज्ञान प्राप्त करने के बाद अपना पहला उपदेश सारनाथ में आषाढ़ पूर्णिमा के दिन ही दिया था।

आषाढ़ पूर्णिमा व्रत के दिन किसकी पूजा होती है?

इस दिन गुरु, भगवान विष्णु, महर्षि वेदव्यास और शिवजी की पूजा का विशेष विधान है। यदि व्यक्ति का कोई सजीव गुरु है, तो उनके चरणों की वंदना कर पूजन करना श्रेष्ठ माना गया है। गुरु के प्रतीक स्वरूप वेदव्यास जी की प्रतिमा या चित्र की पूजा करना भी पुण्यकारी है।

आषाढ़ पूर्णिमा व्रत की पूजा कैसे करें?

  • स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
  • घर के पूजा स्थान में गुरु या वेदव्यास जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • पंचोपचार विधि से पूजा करें – अक्षत, फूल, दीप, धूप व नैवेद्य अर्पित करें।
  • गुरु मंत्र या व्यास स्तोत्र का पाठ करें।
  • गुरु चरणों में दक्षिणा, फल, वस्त्र आदि अर्पित करें (यदि सजीव गुरु हों)।
  • ब्राह्मण या ज़रूरतमंद को भोजन कराएं व दान दें
  • शाम को चंद्रमा को अर्घ्य दें और रात्रि में सत्यनारायण कथा का आयोजन करें।

आषाढ़ पूर्णिमा पर गोपद्म व्रत के अनुष्ठान

आषाढ़ पूर्णिमा पर गोपद्म व्रत का पालन करने के लिए कुछ विशेष अनुष्ठान होते हैं, जो इस प्रकार हैं-

  • इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, स्वच्छ पीले वस्त्र धारण करें, और विधि- विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें।
  • पूजा के समय सत्यनारायण भगवान की कथा अवश्य सुनें या पढ़ें। इससे विशेष लाभ मिलता है।
  • आषाढ़ पूर्णिमा पर भगवान विष्णु के गरुड़ पर विराजमान चतुर्भुज रूप के साथ माता लक्ष्मी का ध्यान करें।
  • इस दिन जातक ब्राह्मणों व निर्धन व्यक्तियों को भोजन कराएं, और अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान दक्षिणा देकर उन्हें आदरपूर्वक विदा करें।
  • इस दिन व्रत रखने वाले भक्तों को गाय की पूजा करनी चाहिए। गौ माता को भोजन कराकर तिलक लगाना चाहिए, और उनका आशीर्वाद लेना चाहिए।

आषाढ़ पूर्णिमा व्रत के दिन किए जाने वाले उपाय

  • जिन जातकों की कुंडली में चंद्रदोष हो, उन्हें आषाढ़ पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा करनी चाहिए, और उनके बीजमंत्र का जाप करना चाहिए
  • चंद्र दोष से मुक्ति के लिए एक लाभकारी उपाय ये भी है कि पूर्णिमा के दिन स्नान के बाद किसी निर्धन ब्राह्मण को सफेद वस्त्र, चावल, शक्कर, दूध, सफेद मिठाई, चांदी, मोती आदि का दान करें।
  • एक मान्यता और है कि पूर्णिमा के दिन भगवान शिव की उपासना करने से भी चंद्र द्रोष का निवारण होता है।

आषाढ़ पूर्णिमा व्रत रखने के लाभ

  • यह व्रत गुरु कृपा प्राप्ति का श्रेष्ठ साधन है।
  • मानसिक और आत्मिक शांति मिलती है।
  • विद्या, धन, संतान व स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं दूर होती हैं।
  • व्रती का जीवन संयमित और सकारात्मक बनता है।
  • पूर्व जन्मों के पाप नष्ट होते हैं और सद्गति का मार्ग प्रशस्त होता है।

आषाढ़ पूर्णिमा व्रत के दिन क्या करना लाभदायी है?

  • प्रातःकाल गंगा या किसी पवित्र जल में स्नान करें।
  • व्रत का संकल्प लेकर गुरु पूजन करें।
  • ब्राह्मणों को वस्त्र, अन्न, दक्षिणा व शहद का दान करें।
  • कथा श्रवण, सत्संग, और ध्यान करें।
  • क्रोध, असत्य भाषण, और तामसिक भोजन से बचें।
  • जरूरतमंदों की सेवा करें और नम्रता व क्षमा भाव अपनाएं।

तो यह थी आषाढ़ पूर्णिमा व्रत से जुड़ी जानकारी। मान्यता है कि इस दिन जो जातक पूरी श्रद्धा से श्री हरि की उपासना करते हैं, उन पर श्री विष्णु जी की कृपा सदैव बनी रहती हैं। ऐसे ही व्रत, त्यौहार व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए 'श्री मंदिर' पर।

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Published by Sri Mandir·July 2, 2025

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