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आषाढ़ चौमासी चौदस 2025

क्या आप जानते हैं कि आषाढ़ चौमासी चौदस से चातुर्मास की शुरुआत होती है? जानें 2025 में इसका धार्मिक महत्व, पूजन विधि और कैसे यह समय आध्यात्मिक साधना और संयम के लिए उत्तम माना जाता है।

आषाढ़ चौमासी चौदस के बारे में

आषाढ़ चौमासी चौदस हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। यह दिन विशेष रूप से चातुर्मास (चार पवित्र महीनों) की शुरुआत के ठीक पहले आता है। इसे "चौमासी चौदस" इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसके बाद देवशयनी एकादशी से चातुर्मास का आरंभ होता है, जिसमें देवता योगनिद्रा में चले जाते हैं और मांगलिक कार्य वर्जित हो जाते हैं।

आषाढ़ चौमासी चौदस 2025

हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की शुक्ल एकादशी से लेकर श्रावण, भाद्रपद, अश्विन और कार्तिक मास की शुक्ल एकादशी तक के चार महीनों को चौमासा या चतुर्मास कहा जाता है। इन्हीं महीनों के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को चौमासी चौदस कहते हैं।

आषाढ़ चौमासी चौदस 2025 का शुभ मुहूर्त

  • आषाढ़ चौमासी चौदस- 09 जुलाई, बुधवार (आषाढ़ शुक्ल चौदस)
  • चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ: 09 जुलाई, बुधवार को 12:38 AM पर
  • चतुर्दशी तिथि समापन: 10 जुलाई, गुरुवार को 01:36 AM पर

इस दिन के अन्य शुभ समय

मुहूर्तसमय
ब्रह्म मुहूर्त03:51 ए एम से 04:33 ए एम तक
प्रातः सन्ध्या04:12 ए एम से 05:14 ए एम तक
अभिजित मुहूर्तकोई नहीं
विजय मुहूर्त02:19 पी एम से 03:14 पी एम तक
गोधूलि मुहूर्त06:51 पी एम से 07:12 पी एम तक
सायाह्न सन्ध्या06:52 पी एम से 07:54 पी एम तक
अमृत काल10:00 पी एम से 11:43 पी एम तक
निशिता मुहूर्त11:43 पी एम से 12:24 ए एम, जुलाई 10 तक
रवि योग05:14 ए एम से 04:50 ए एम, जुलाई 10

क्या है आषाढ़ चौमासी चौदस?

‘चौमासी’ शब्द ‘चार महीनों’ की अवधि से व्युत्पन्न है, जहां भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी से योग निद्रा में चले जाते हैं। इसी अवधिमें पड़ती शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को चौमासी चौदस कहते हैं। यह पर्व शिव–शक्ति मिलन, विष्णु की निद्रा, और जैन वर्षावास प्रारम्भ के स्मरण के साथ जुड़ा है

आषाढ़ चौमासी चौदस का महत्व

  • वर्षा ऋतु की अवधि चार मास तक होने के कारण इसे चौमासा कहा जाता है। चौमासे के इन चारों मास में पड़ने वाली शुक्ल चतुर्दशी यानि चौमासी चौदस का विशेष महत्व होता है।
  • पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव को चौमासी चौदस की तिथि बहुत प्रिय होती है। चौमासे के समय भगवान विष्णु शयन करते हैं, इसलिए भी इस दौरान शिव जी की उपासना की जाती है।
  • चौमासी चौदस भगवान शंकर और माता शक्ति के मिलन का पर्व भी माना जाता है।
  • एक मान्यता ऐसी भी है कि ज्योतिर्लिंगों का प्रादुर्भाव चतुर्दशी के प्रदोष काल में हुआ था। इस कारण हर मास की दोनों चतुर्दशी तिथियों को शिव चतुर्दशी कहा जाता है।
  • चौमासी चौदस हिंदू धर्म में ही नहीं, बल्कि जैन समुदाय के लिए भी बहुत महत्व रखती है। जैन धर्म के लोग इसे श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाते हैं। चौमासे के पर्व को जैन धर्म में वर्षा वास भी कहा जाता है।
  • चतुर्मास के दौरान धर्म कर्म और दान पुण्य करने का भी विशेष महत्व होता है। चूंकि देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु शयनमुद्रा में चले जाते हैं, और वो देवउठनी एकादशी पर जागृत होते हैं। ऐसे में इन चार महीनों के दौरान धार्मिक कार्य, और दान पुण्य का विधान बताया गया है।

आषाढ़ चौमासी चौदस की पूजा कैसे करें

  • सुबह स्नान करके शुद्ध होकर पूजा स्थल तैयार करें।
  • शिव–शक्ति का पूजन: शिवलिंग पर जल–दूध–दही–साखर चढ़ाएं, बेलपत्र और फूल अर्पित करें।
  • मंत्र–जप: ॐ नमः शिवाय या शक्तिपाठ जैसे मंत्रों का जाप करें।
  • पाठ–कथा: शिव पुराण की चौदस अध्याय या कथा सुनें।
  • दान–धर्म: गरीबों को अन्न–वस्त्र दान करें, मंदिर या जूहा के सामने भोजन बाटें।
  • प्रदोष व्रत का संयोजन करें क्योंकि चतुर्दशी प्रदोष के पास ही मनाई जाती है।

चतुर्मास और आषाढ़ चौमासी चौदस में अंतर

  • चतुर्मास और आषाढ़ चौमासी चौदस दोनों ही हिन्दू धर्म और विशेष रूप से जैन धर्म में महत्वपूर्ण अवधारणाएं हैं, लेकिन इनमें अंतर है। चतुर्मास एक धार्मिक अवधि है जो आषाढ़ शुक्ल एकादशी (देवशयनी एकादशी) से शुरू होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी (देवउठनी एकादशी) तक चलती है। यह लगभग चार महीने की अवधि होती है जिसमें साधु-संत एक ही स्थान पर रुककर तप, स्वाध्याय और उपदेश देते हैं। इस दौरान गृहस्थ भी विशेष रूप से धर्म, संयम और व्रतों का पालन करते हैं।
  • दूसरी ओर, आषाढ़ चौमासी चौदस एक विशेष तिथि होती है जो आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी (चौदस) को आती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव को चौमासी चौदस की तिथि बहुत प्रिय होती है। चौमासे के समय भगवान विष्णु शयन करते हैं, इसलिए भी इस दौरान शिव जी की उपासना की जाती है। चौमासी चौदस भगवान शंकर और माता शक्ति के मिलन का पर्व भी माना जाता है। एक मान्यता ऐसी भी है कि ज्योतिर्लिंगों का प्रादुर्भाव चतुर्दशी के प्रदोष काल में हुआ था। इस कारण हर मास की दोनों चतुर्दशी तिथियों को शिव चतुर्दशी कहा जाता है। चौमासी चौदस हिंदू धर्म में ही नहीं, बल्कि जैन समुदाय के लिए भी बहुत महत्व रखती है। जैन धर्म के लोग इसे श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाते हैं। चौमासे के पर्व को जैन धर्म में वर्षा वास भी कहा जाता है।

आषाढ़ चौमासी चौदस के दिन क्या करना चाहिए?

  • शिव–शक्ति की भक्ति और पूजा का आयोजन करें।
  • प्रदोष काल (संध्या समय) में विशेष पूजा रखें।
  • कथा–जप, ध्यान, व्रत और दान–पुण्य करें।
  • विष्णु से संबंधित मांगलिक कार्य, दही, प्याज–लहसुन का सेवन वर्जित रखें।
  • धार्मिक अध्ययन, उपदेश–व्याख्यान आयोजित कर सकते हैं।

आषाढ़ चौमासी चौदस के धार्मिक अनुष्ठान

  • प्रदोषकाल पूजा - शिव–शक्ति समर्पित मंत्र–जप, अवाहन।
  • शिवलिंग रुद्राभिषेक - दूध, दही, घी, मधु और जल से।
  • शान्ति पाठ - काली, दुर्गा या अन्य शक्ति पाठ।
  • दान–पुण्य - अन्न, वस्त्र, दीपक, चौकी पूजा सामग्री जरूर दान करनी चाहिए।

चातुर्मास 2025 में व्रत–त्योहार

यहाँ देखें चातुर्मास 2025 में पड़ने वाले प्रमुख व्रत–त्योहार

पर्वतारीख
देवशयनी एकादशी6 जुलाई 2025
गुरु पूर्णिमा10 जुलाई 2025
आषाढ़ पूर्णिमा10 जुलाई 2025
कर्क संक्रान्ति16 जुलाई 2025
कामिका एकादशी21 जुलाई 2025
हरियाली तीज27 जुलाई 2025
नाग पंचमी29 जुलाई 2025
श्रावण पुत्रदा एकादशी5 अगस्त 2025
वरलक्ष्मी व्रत8 अगस्त 2025
रक्षा बंधन / राखी9 अगस्त 2025
गायत्री जयंती9 अगस्त 2025
श्रावण पूर्णिमा9 अगस्त 2025
कजरी तीज12 अगस्त 2025
जन्माष्टमी (स्मार्त)15 अगस्त 2025
जन्माष्टमी (इस्कॉन)16 अगस्त 2025
सिंह संक्रान्ति17 अगस्त 2025
अजा एकादशी19 अगस्त 2025
हरतालिका तीज26 अगस्त 2025
अगस्त्य अर्घ्य26 अगस्त 2025
गणेश चतुर्थी27 अगस्त 2025
ऋषि पंचमी28 अगस्त 2025
राधा अष्टमी31 अगस्त 2025
परिवर्तिनी एकादशी3 सितम्बर 2025
ओणम5 सितम्बर 2025
गणेश विसर्जन6 सितम्बर 2025
अनंत चतुर्दशी6 सितम्बर 2025
चन्द्र ग्रहण (पूर्ण)7 सितम्बर 2025
भाद्रपद पूर्णिमा7 सितम्बर 2025
पितृपक्ष प्रारंभ8 सितम्बर 2025
विश्वकर्मा पूजा17 सितम्बर 2025
कन्या संक्रांति17 सितम्बर 2025
इन्दिरा एकादशी17 सितम्बर 2025
सर्वपितृ अमावस्या21 सितम्बर 2025
नवरात्रि प्रारंभ22 सितम्बर 2025
सूर्य ग्रहण (आंशिक)22 सितम्बर 2025
सरस्वती आवाहन29 सितम्बर 2025
सरस्वती पूजा30 सितम्बर 2025
दुर्गा अष्टमी30 सितम्बर 2025
महा नवमी1 अक्टूबर 2025
विजयादशमी / दशहरा2 अक्टूबर 2025
पापांकुशा एकादशी3 अक्टूबर 2025
कोजागर पूजा6 अक्टूबर 2025
शरद पूर्णिमा6 अक्टूबर 2025
आश्विन पूर्णिमा7 अक्टूबर 2025
करवा चौथ10 अक्टूबर 2025
अहोई अष्टमी13 अक्टूबर 2025
गोवत्स द्वादशी17 अक्टूबर 2025
तुला संक्रान्ति17 अक्टूबर 2025
रमा एकादशी17 अक्टूबर 2025
धनतेरस18 अक्टूबर 2025
काली चौदस19 अक्टूबर 2025
नरक चतुर्दशी20 अक्टूबर 2025
लक्ष्मी पूजा / दीपावली21 अक्टूबर 2025
गोवर्धन पूजा22 अक्टूबर 2025
भैया दूज23 अक्टूबर 2025
छठ पूजा28 अक्टूबर 2025
कंस वध1 नवम्बर 2025
देवउठनी एकादशी1 नवम्बर 2025

तो यह थी आषाढ़ चौमासी चौदस से जुड़ी पूरी जानकारी, हम आशा करते हैं कि इस पर्व पर आपकी शिव भक्ति और पूजा अर्चना सफल हो, और भोलेनाथ सदा आपपर अपनी कृपा बनाए रखें। ऐसे ही व्रत, त्यौहार व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए 'श्री मंदिर' के साथ

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Published by Sri Mandir·July 1, 2025

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