हिंदू मान्यताओं के अनुसार सरसों का तेल खरीदने का सही दिन धन, स्वास्थ्य और सुख-शांति से जुड़ा होता है। जानिए सप्ताह के कौन-से दिन सरसों का तेल खरीदना शुभ माना जाता है और कब इससे बचना चाहिए।
वास्तु शास्त्र के अनुसार सरसों का तेल शनिवार के दिन खरीदना शुभ माना जाता है। यह दिन शनिदेव का होता है और सरसों का तेल उन्हें प्रिय है। इस दिन तेल खरीदने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, घर में सुख-समृद्धि आती है और दुर्भाग्य टलता है।
भारतीय परंपरा में सरसों तेल न सिर्फ खाना पकाने में बल्कि पूजा-पाठ और घरेलू उपचारों में भी अहम भूमिका निभाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सरसों तेल खरीदने का भी शुभ और अशुभ समय होता है? ज्योतिष और धर्मशास्त्र के अनुसार कुछ खास दिनों पर तेल खरीदना शुभ फल देता है, वहीं कुछ दिनों में इसे खरीदने से बचना चाहिए, क्योंकि इनका संबंध ग्रहों और ऊर्जा से जुड़ा होता है।
विशेष रूप से शनिवार और मंगलवार को तेल खरीदने को लेकर मतभेद है – कहीं ये दिन शुभ माने जाते हैं तो कहीं अशुभ। इसलिए दिन, ग्रह और उद्देश्य (खाद्य या पूजन) के आधार पर सरसों तेल की खरीददारी का निर्णय लेना चाहिए। सही दिन पर किया गया चयन न केवल आर्थिक रूप से लाभकारी होता है बल्कि सकारात्मक ऊर्जा और स्वास्थ्य को भी बनाए रखता है।
वास्तु शास्त्र में सरसों तेल को नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने वाला शक्तिशाली माध्यम माना गया है। यह न केवल खाना पकाने के लिए उपयोगी है, बल्कि इसका उपयोग धार्मिक और ऊर्जात्मक शुद्धिकरण के लिए भी होता है। सरसों तेल का दीपक जलाना घर की नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करता है और सकारात्मकता को बढ़ाता है। विशेष रूप से शनिदेव की पूजा में सरसों तेल का दीपक दक्षिण दिशा में जलाना शुभ माना जाता है, जिससे शनि दोष और बाधाएं कम होती हैं।
वास्तु के अनुसार, घर के मुख्य द्वार पर नियमित रूप से सरसों तेल का दीपक जलाने से बुरी शक्तियों और नज़र दोष से बचाव होता है। इसके अलावा, सरसों तेल का उपयोग लोहे की वस्तुओं की सफाई में भी किया जाता है, जिससे घर में स्थिरता और संतुलन बना रहता है।
ज्योतिष और परंपराओं के अनुसार, सरसों तेल खरीदने का दिन भी हमारे जीवन में प्रभाव डालता है, खासकर जब इसका उपयोग पूजा, शनि दोष शांति या घरेलू उपयोग के लिए किया जा रहा हो।
शनिवार – सरसों तेल खरीदने का सबसे शुभ दिन माना जाता है। यह दिन शनि देव का होता है और सरसों तेल शनिदेव को प्रिय है। इस दिन तेल खरीदने और दान करने से शनि दोष कम होता है और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
अमावस्या (यदि शनिवार को हो) – विशेष रूप से शक्तिशाली दिन होता है। इस दिन सरसों तेल का दीपक जलाना या दान करना बहुत शुभ फल देता है।
शुक्ल पक्ष के दिन – बढ़ती चंद्र ऊर्जा के समय तेल खरीदना शुभ और सकारात्मक माना जाता है।
ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सरसों तेल की खरीदारी हर दिन शुभ नहीं मानी जाती। कुछ विशेष दिन ऐसे होते हैं जब सरसों तेल खरीदना हानिकारक या अशुभ प्रभाव देने वाला माना जाता है।
मंगलवार : यह दिन अग्नि तत्व से जुड़ा है और सरसों तेल को गर्म प्रकृति का माना जाता है। मंगलवार को तेल खरीदने से घर में कलह, क्रोध और स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं।
रविवार : सूर्य ग्रह का दिन है। सरसों तेल और सूर्य का स्वभाव विपरीत माना गया है, इसलिए इस दिन तेल खरीदना अनुशंसित नहीं होता।
ग्रहण काल (सूर्य/चंद्र ग्रहण) : इस दौरान कोई भी चीज़ खरीदना वर्जित होता है, खासकर पूजा से जुड़ी वस्तुएं जैसे तेल।
अमावस्या (यदि शनिवार को न हो) : अमावस्या को ऊर्जा कमजोर होती है, इस दिन तेल खरीदने से नकारात्मकता बढ़ सकती है।
सरसों तेल न केवल रसोई में स्वाद और पौष्टिकता बढ़ाता है, बल्कि वास्तु और ज्योतिष के अनुसार घर में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सही दिन, शुभ समय और सावधानीपूर्वक चुनाव से खरीदा गया तेल न केवल शुद्ध और गुणवत्तापूर्ण होता है, बल्कि इसके उपयोग से स्वास्थ्य, समृद्धि और मानसिक शांति भी बढ़ती है। इसलिए, सरसों तेल खरीदते समय सही दिन का चुनाव और गुणवत्ता पर ध्यान देना आवश्यक है, ताकि इसका लाभ लंबे समय तक बना रहे और घर में सौभाग्य और खुशहाली बनी रहे।
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