मंगलसूत्र विवाह का पवित्र प्रतीक होता है, इसे सही दिन पर खरीदने से पति-पत्नी के रिश्ते में प्रेम, विश्वास और स्थिरता बनी रहती है। जानिए सप्ताह के शुभ और अशुभ दिन मंगलसूत्र खरीदने के लिए।
मंगलसूत्र खरीदना एक विशेष और शुभ कार्य है, क्योंकि यह वैवाहिक जीवन का प्रतीक है। इसे केवल आभूषण नहीं, बल्कि स्त्री की निष्ठा, धर्म, और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। यह वैवाहिक जीवन में आध्यात्मिक रक्षा कवच की भूमिका निभाता है।
मंगलसूत्र खरीदने के लिए शुभ और अशुभ दिनों का विशेष महत्व है, क्योंकि यह वैवाहिक जीवन का प्रतीक होता है। इसलिए इसे खरीदते समय काफी चीजों का ध्यान रखा जाता है। यह कभी भी कैसे भी नहीं खरीदा जाता है। मंगलसूत्र सिर्फ एक आभूषण नहीं बल्कि स्त्री की संपूर्ण वैवाहिक पहचान, धर्म, निष्ठा, और शक्ति का प्रतीक है। यह नारी के जीवन में आध्यात्मिक रक्षा कवच का कार्य करता है और गृहस्थ धर्म में उसकी भूमिका को पवित्रता प्रदान करता है।
मंगलसूत्र हिंदू धर्म में विवाहित स्त्री के लिए अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण आभूषण माना जाता है। यह न केवल एक गहना है, बल्कि स्त्री के सौभाग्य, वैवाहिक स्थिति और पति की दीर्घायु का प्रतीक होता है। “मंगल” का अर्थ होता है शुभता और “सूत्र” का अर्थ होता है धागा या बंधन, इस प्रकार मंगलसूत्र का शाब्दिक अर्थ है—शुभ बंधन। यह विवाह के समय वर द्वारा वधू के गले में पहनाया जाता है, जो उनके वैवाहिक जीवन की शुरुआत और संकल्प का प्रतीक होता है।
वेदों और धर्मशास्त्रों में मंगलसूत्र या “सौभाग्यसूत्र” का विशेष उल्लेख मिलता है। पुराणों में इसे देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है, जो स्त्री के जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य बनाए रखती है। कहा गया है कि स्त्री के गले में बंधा मंगलसूत्र यमदूतों से उसके सुहाग की रक्षा करता है और तांत्रिक बाधाओं को दूर करता है। साथ ही यह उसके शरीर और आत्मा को नकारात्मक ऊर्जाओं से बचाता है।
मंगलसूत्र में काले और सुनहरे मोती होते हैं। काले मोती बुरी नजर और नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा करते हैं, जबकि सुनहरे मोती देवी लक्ष्मी के ऐश्वर्य और शुभता का प्रतीक माने जाते हैं। इसके लटकन या पेंडेंट में त्रिशूल, ओम्, या स्वास्तिक जैसे चिन्ह होते हैं जो शिव-शक्ति और ईश्वरीय ऊर्जा का संकेत देते हैं। इस आभूषण को गले में धारण करना विशुद्धि चक्र को जाग्रत करता है, जिससे स्त्री के वाणी, आत्मबल और मानसिक संतुलन में वृद्धि होती है।
शुक्रवार: इस दिन को देवी लक्ष्मी का दिन माना जाता है। इसलिए यह सौंदर्य, ऐश्वर्य और विवाह-संबंधी वस्तुओं की खरीद के लिए अत्यंत शुभ। इस दिन सुहाग संबंधी छीजे जैसे मंगलसूत्र खरीदना अत्यंत फलदायी माना जाता है।
गुरुवार: गुरुवार का दिन बृहस्पति ग्रह के अधिपति बृहस्पति देवता को समर्पित हैं जोकि वैवाहिक जीवन के कारक हैं। इसलिए गुरुवार के दिन मंगलसूत्र खरीदने से वैवाहिक जीवन में स्थिरता और आध्यात्मिक ऊर्जा आती है।अक्षय तृतीया: इस दिन खरीदी गई कोई भी वस्तु अक्षय यानि कभी न समाप्त होने वाला फल देती है। इसलिए विवाह के लिए मंगलसूत्र या आभूषण खरीदने का सर्वोत्तम पर्व हैं।
पुष्य नक्षत्र: इस नक्षत्र को सभी कार्यों के लिए सर्वश्रेष्ठ नक्षत्र माना जाता है। इस दिन खरीदी गई वस्तु समृद्धि और शांति लाती है।
धनतेरस: यह धन और ऐश्वर्य की देवी लक्ष्मी के आगमन का दिन हैं। इस दिन सोने और चाँदी के आभूषण, विशेषकर मंगलसूत्र, खरीदना अति शुभ माना जाता है। इसके अलावा नवरात्रि, करवा चौथ एवं तीज वाले दिन मंगलसूत्र खरीदना काफी शुभ माना जाता है।
जैसे मंगलसूत्र खरीदने के लिए कुछ शुभ दिन निर्धारित किए गए हैं। ठीक वैसे ही कुछ दी ऐसे हैं जिस दिन हमें मंगलसूत्र नहीं खरीदने चाहिए। जैसे:
शनिवार: शनिवार के दिन शनिदेव की साढ़ेसाती या ढैय्या के समय कुछ विशेष क्रियाएं वर्जित मानी जाती हैं। इसलिए इस दिन विवाह संबंधी चीजें खरीदने से बचना चाहिए।
मंगलवार: मंगलवार का दिन बहुत ही मंगलमय माना जाता है लेकिन उसके बाद भी इस दिन विवाह संबंधी खरीदारी या कार्य शुभ नहीं माने जाते।
अमावस्या एवं पितृ पक्ष: इन दोनों ही तिथियों पर मृत आत्माओं की शांति हेतु क्रियाएं होती हैं। इसलिए इस समय शुभ कार्य या सामग्री की खरीदना वर्जित माना जाता है।
मंगलसूत्र हमेशा शुभ दिन और मुहूर्त में ही खरीदना चाहिए। खरीदारी के समय मंगलसूत्र की लंबाई और मोतियों की संख्या का भी ध्यान रखना चाहिए। परंपरा के अनुसार, मंगलसूत्र में काले मोतियों की गिनती हमेशा विषम रखी जाती है, जैसे 9, 21 या 51, ताकि यह बुरी नजर और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा दे सके। इसे पहले सिंदूर या कुमकुम से पूजा करके ही पहनना शुभ माना जाता है।
मंगलसूत्र खरीदते समय यह भी सुनिश्चित करें कि आभूषण स्वर्ण या स्वर्ण-मिश्र धातु से बना हो और उसकी गुणवत्ता प्रमाणित हो जैसे BIS हॉलमार्क। नकली या अशुद्ध धातु से बना मंगलसूत्र धार्मिक दृष्टि से निष्फल हो सकता है। साथ ही, इसे खरीदने के बाद घर लाकर माता लक्ष्मी या देवी पार्वती के समक्ष पूजन करें, ताकि यह शुभता और कल्याणकारी प्रभाव प्रदान कर सके।
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