
जानिए वीरभद्र मंदिर का इतिहास, दर्शन व आरती का समय और कैसे पहुँचें।
वीरभद्र मंदिर ऋषिकेश का प्राचीन और पवित्र स्थल है, जो भगवान शिव के उग्र रूप वीरभद्र को समर्पित है। मान्यता है कि यहाँ पूजा करने से भक्तों को शक्ति, साहस और कष्टों से मुक्ति का आशीर्वाद मिलता है।
उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित वीरभद्र मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक पवित्र स्थल है। इस मंदिर में भगवान शिव के रौद्र अवतार वीरभद्र की पूजा अर्चना की जाती है। महाशिवरात्रि और सावन के पावन अवसरों पर यहाँ रात्रि जागरण और विशेष पूजन का आयोजन होता है। इन अवसरों पर मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है और मेले का आयोजन भी किया जाता है। यह प्राचीन मंदिर ऋषिकेश राजमार्ग से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और एक सिद्धपीठ के रूप में भी प्रसिद्ध है।
वीरभद्र मंदिर लगभग 1,300 वर्ष पुराना माना जाता है। स्कंद पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार, राजा दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया। इससे क्रोधित होकर माता सती ने उसी यज्ञ में आत्मदाह कर लिया। यह सुनकर भगवान शिव अत्यंत क्रोधित हुए और अपनी जटाओं से वीरभद्र का सृजन किया। वीरभद्र ने यज्ञ विध्वंस कर राजा दक्ष का सिर काट दिया। बाद में शिवजी ने दक्ष को बकरे का सिर लगाकर पुनः जीवनदान दिया। इस घटना के पश्चात भगवान शिव ने वीरभद्र को गले लगाया, जिससे वे उनके शरीर में समाहित हो गए और इसी स्थान पर एक शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए। यही स्थान आज वीरभद्र मंदिर के रूप में पूजनीय है।
श्रावण मास में यहाँ पूजा अर्चना का विशेष महत्व है। मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करता है, उसकी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं। मंदिर में विशेष अवसरों पर रहस्यमयी घटनाएं भी देखने को मिलती हैं, जैसे बिना किसी कारण घंटियों का अपने आप बजना, जिसे देवताओं की उपस्थिति का संकेत माना जाता है।
वीरभद्र मंदिर की वास्तुकला अत्यंत आकर्षक है। मंदिर का मुख्य द्वार लाल रंग में सुसज्जित है और उस पर ॐ चिन्ह अत्यंत सुंदरता से अंकित किया गया है। मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग रूप में वीरभद्र महादेव विराजमान हैं। मंदिर प्रांगण में नंदी महाराज की भव्य प्रतिमा स्थापित है, जो शिवभक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। मंदिर परिसर में एक अलग से माता का मंदिर भी स्थित है।
वीरभद्र मंदिर प्रतिदिन सुबह 05:00 बजे से रात्रि 09:00 बजे तक खुला रहता है।
वीरभद्र मंदिर का प्रसाद भगवान शिव को श्रद्धालु दूध, दही, घी, शहद, पुष्प, फल आदि अर्पित करते हैं।
हवाई मार्ग
मंदिर से निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट एयरपोर्ट, देहरादून है, जो मंदिर से लगभग 23 किलोमीटर दूर है। यहाँ से टैक्सी की सुविधा आसानी से उपलब्ध है।
रेल मार्ग
ऋषिकेश रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी लगभग 5 किलोमीटर है। स्टेशन से आप ऑटो या टैक्सी के माध्यम से मंदिर पहुँच सकते हैं।
सड़क मार्ग
ऋषिकेश हरिद्वार और देहरादून से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा है। आप निजी वाहन, सरकारी बस या टैक्सी के माध्यम से यहाँ पहुंच सकते हैं। मुख्य राजमार्ग से मंदिर की दूरी लगभग 7 किलोमीटर है।
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