जानिए उज्जैन के पवित्र रामघाट का इतिहास, धार्मिक महत्व, स्नान और दर्शन का समय, तथा यहाँ पहुँचने का सम्पूर्ण मार्गदर्शन।
रामघाट उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित एक पवित्र स्थल है, जो स्नान और पूजा-अर्चना के लिए प्रसिद्ध है। यह घाट श्रद्धा और आस्था का केंद्र है, जहाँ भक्त धार्मिक अनुष्ठानों और विशेषकर कुंभ मेले के दौरान लाखों की संख्या में जुटते हैं। शांत वातावरण और मंत्रों की गूंज यहाँ आने वाले हर व्यक्ति को आध्यात्मिक अनुभव कराती है। इस लेख में जानिए रामघाट का इतिहास, धार्मिक महत्व और यहाँ होने वाले प्रमुख आयोजन।
रामघाट मध्य प्रदेश के पवित्र शहर उज्जैन में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह घाट क्षिप्रा नदी के किनारे स्थित है, जिसे मोक्षदायिनी और उत्तरवाहिनी नदी के रूप में पूजा जाता है। इसे भगवान महाकाल की गंगा भी कहा जाता है। मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने यहीं पर अपने माता-पिता – राजा दशरथ और रानी कौशल्या – का तर्पण किया था, इसी कारण इस घाट को "रामघाट" नाम मिला। आज भी हजारों श्रद्धालु यहां अपने पितरों के मोक्ष के लिए तर्पण और कालसर्प या पितृ दोष की विशेष पूजा करने आते हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के समय अमृत कलश से कुछ बूंदें इस क्षेत्र में स्थित कुंड में गिरी थीं। इससे क्षिप्रा नदी और रामघाट का धार्मिक महत्व अत्यधिक बढ़ गया। रामघाट का उल्लेख रामायण काल से मिलता है जब श्रीराम ने अपने पूर्वजों के निमित्त यहीं पर तर्पण किया था। यह स्थान पवित्रता, आध्यात्मिक ऊर्जा और धार्मिक परंपराओं से जुड़ा हुआ है।
रामघाट कुंभ महापर्व का प्रमुख स्नान घाट है। हर 12 वर्षों में यहां करोड़ों श्रद्धालु स्नान के लिए आते हैं।
मान्यता है कि इस स्थान पर एक डुबकी लगाने से पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
भगवान श्रीराम द्वारा पूर्वजों का तर्पण किए जाने के कारण, यह घाट पितृ तर्पण, कालसर्प दोष और राहु-केतु शांति पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
रामघाट ऐतिहासिक और पौराणिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल है। इसकी वास्तुकला प्राचीन भारतीय परंपरा की झलक देती है। घाट पर नदी तक पहुंचने के लिए अनेक सीढ़ियां बनी हुई हैं। घाट के प्रमुख आरती स्थल पर एक भव्य द्वार है, जिसकी कलात्मकता और सौंदर्य श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर देता है।
प्रतिदिन संध्या आरती का समय: 07:00 PM – 09:00 PM
प्रसाद और पूजा
रामघाट पर मुख्य रूप से पितृ दोष निवारण और कालसर्प दोष की विशेष पूजा की जाती है। भक्तजन अपनी श्रद्धा और परंपरा के अनुसार प्रसाद अर्पित करते हैं। तर्पण और विशेष हवन के लिए यहां अनुभवी पंडितों की सहायता उपलब्ध रहती है।
हवाई मार्ग
रामघाट का निकटतम हवाई अड्डा इंदौर का देवी अहिल्याबाई होल्कर एयरपोर्ट (IDR) है, जो लगभग 60 किलोमीटर दूर है। हवाई अड्डे से उज्जैन के लिए टैक्सी, बस और अन्य सार्वजनिक परिवहन उपलब्ध हैं।
रेल मार्ग
निकटतम रेलवे स्टेशन उज्जैन जंक्शन है, जो रामघाट से लगभग 5.3 किलोमीटर दूर है। स्टेशन से घाट तक पहुंचने के लिए ऑटो, टैक्सी या बस की सुविधा सुगमता से उपलब्ध है।
सड़क मार्ग
उज्जैन शहर राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। रामघाट से मालीपुर बस स्टैंड की दूरी लगभग 3 किलोमीटर है। मध्य प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों से उज्जैन के लिए नियमित राज्य परिवहन और निजी बस सेवाएं उपलब्ध हैं।
Did you like this article?
उज्जैन स्थित गढ़कालिका मंदिर देवी कालिका को समर्पित एक शक्तिपीठ माना जाता है। जानिए इस मंदिर का पौराणिक इतिहास, कवि कालिदास से जुड़ी मान्यता, धार्मिक महत्व, दर्शन और आरती का समय तथा वहाँ पहुँचने की सम्पूर्ण जानकारी।
प्रयागराज के पड़िला गांव में स्थित पड़िला महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन तीर्थ स्थल है। जानिए इस मंदिर का पौराणिक इतिहास, धार्मिक मान्यताएं, दर्शन व पूजा का समय और वहाँ तक पहुँचने की सम्पूर्ण जानकारी।
वृन्दावन के प्राचीन मदन मोहन मंदिर का इतिहास, श्रीकृष्ण भक्ति में इसका महत्व, मंदिर की स्थापत्य विशेषताएं, दर्शन व आरती समय और वहाँ पहुँचने की सम्पूर्ण जानकारी जानिए। यह मंदिर वैष्णव परंपरा का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।