जानिए वृंदावन के प्रसिद्ध राधा रमण मंदिर का पौराणिक इतिहास, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व, पूजा एवं दर्शन समय, तथा मंदिर तक पहुँचने का मार्ग।
राधा रमण मंदिर वृंदावन का एक पावन और प्राचीन स्थल है, जो भगवान श्रीकृष्ण के स्वयं प्रकट स्वरूप राधा रमण जी को समर्पित है। यह मंदिर अपनी ऐतिहासिकता और धार्मिक महत्व के कारण विशेष स्थान रखता है। मान्यता है कि यहाँ दर्शन और पूजा करने से भक्तों को प्रेम, भक्ति और आध्यात्मिक शांति की प्राप्ति होती है। इस लेख में जानिए राधा रमण मंदिर वृंदावन का इतिहास, धार्मिक महत्व और यहाँ दर्शन करने की खास बातें।
उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के वृंदावन धाम में स्थित राधा रमण मंदिर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित एक प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है। यह सप्त देवालयों में से एक है, जिनमें राधा वल्लभ, राधा मदनमोहन, राधा दामोदर, राधा श्यामसुंदर, राधा गोकुलानंदन और राधा गोविंदजी मंदिर भी सम्मिलित हैं। इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण की राधा रमण स्वरूप में पूजा की जाती है।
राधा रमण मंदिर की स्थापना लगभग 500 वर्ष पूर्व श्री गोपाल भट्ट गोस्वामी द्वारा की गई थी, जो चैतन्य महाप्रभु के प्रमुख शिष्यों में से एक थे। चैतन्य महाप्रभु के शरीर त्याग के पश्चात गोपाल भट्ट जी को एक स्वप्न में भगवान ने नेपाल जाकर दर्शन देने का संकेत दिया। वहाँ, काली गंडकी नदी में स्नान करते समय उन्हें 12 शालिग्राम शिलाएँ प्राप्त हुईं, जिन्हें वे वृंदावन ले आए और वहीं स्थापित किया। मंदिर का वर्तमान ढांचा 1826 में लखनऊ निवासी शाह बिहारी लालजी द्वारा निर्मित करवाया गया था।
इस मंदिर में राधा रमण के रूप में श्रीकृष्ण की स्वयंभू शालिग्राम मूर्ति विराजमान है। मंदिर में राधारानी का कोई अलग विग्रह नहीं है क्योंकि श्रीकृष्ण का यह स्वरूप राधा के साथ अवस्थित माना जाता है।
मान्यता है कि गोपाल भट्ट जी ने मंत्रोच्चार से अग्नि प्रज्वलित कर पहली बार राधा रमण जी को भोग अर्पित किया और उसी अग्नि को आज तक मंदिर में जीवित रखा गया है। आज भी उसी अग्नि पर भोग तैयार किया जाता है और माचिस या अन्य किसी कृत्रिम साधन का उपयोग नहीं किया जाता।
मंदिर की वास्तुकला
राधा रमण मंदिर आधुनिक हिंदू स्थापत्य कला में निर्मित है। इसमें शालिग्राम पत्थर से बनी स्वयंभू मूर्ति स्थापित है। यह मंदिर एक प्राकृतिक सौंदर्ययुक्त क्षेत्र, नदी के समीप स्थित है। मंदिर परिसर में गोपाल भट्ट गोस्वामी की समाधि भी स्थित है। साथ ही, मंदिर में चैतन्य महाप्रभु द्वारा उपयोग किए गए वस्त्र भी सुरक्षित रखे गए हैं।
गर्मियों में
मंदिर खुलने का समय: 05:00 AM - 12:15 PM मंगला आरती का समय: 05:00 AM - 05:30 AM शाम को मंदिर खुलने का समय: 06:00 PM - 09:00 PM
सर्दियों में
मंदिर खुलने का समय: 05:30 AM - 12:15 PM शाम को मंदिर खुलने का समय: 06:00 PM - 09:00 PM (मंगला आरती का समय समयसारिणी के अनुसार अद्यतन किया जाता है)
राधा रमण मंदिर वृंदावन का प्रसाद
यहाँ श्री राधा रमण जी को खिचड़ी का भोग अर्पित किया जाता है। साथ ही सुंदर पुष्प भी चढ़ाए जाते हैं।
निकटतम हवाई अड्डा
मथुरा-वृंदावन का निकटतम हवाई अड्डा आगरा है। आगरा से आप टैक्सी या बस द्वारा मंदिर पहुँच सकते हैं। इसके अतिरिक्त दिल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी एक विकल्प है, जहाँ से सड़क मार्ग द्वारा मथुरा पहुँचा जा सकता है।
रेलवे स्टेशन
मथुरा जंक्शन या मथुरा केंट रेलवे स्टेशन निकटतम स्टेशन हैं। दोनों से टैक्सी या ऑटो द्वारा मंदिर पहुँचना सुगम है।
बस स्टैंड
मथुरा बस डिपो पर उतरकर आप ऑटो या रिक्शा द्वारा राधा रमण मंदिर पहुँच सकते हैं। मथुरा और वृंदावन के बीच नियमित बस और ऑटो सेवा उपलब्ध है।
Did you like this article?
अयोध्या स्थित बड़ी देवकाली मंदिर देवी कालिका को समर्पित एक प्राचीन शक्तिपीठ है। मान्यता है कि यह मंदिर माता सीता की कुलदेवी को समर्पित है, जहाँ उन्होंने विवाह के बाद पूजा की थी। यह मंदिर शक्ति साधना और श्रद्धा का प्रमुख केंद्र है। जानिए इस मंदिर का इतिहास, धार्मिक महत्व, दर्शन समय और वहाँ तक पहुँचने की सम्पूर्ण जानकारी।
वृंदावन स्थित राधा दामोदर मंदिर गौड़ीय वैष्णव परंपरा का एक प्रमुख और ऐतिहासिक मंदिर है। यह मंदिर श्री राधा और भगवान श्रीकृष्ण (दामोदर) को समर्पित है और विशेष रूप से संत रूप गोस्वामी की समाधि और उनकी साधना स्थली के लिए प्रसिद्ध है। जानिए मंदिर का इतिहास, धार्मिक महत्व, दर्शन समय और यहाँ पहुँचने की पूरी जानकारी।
हरिद्वार स्थित नीलेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक शांत और पवित्र स्थल है, जो भक्तों के बीच विशेष रूप से मनोकामना पूर्ति और मानसिक शांति के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर हर की पौड़ी के पास एक सुरम्य स्थान पर स्थित है। जानिए इस मंदिर का इतिहास, धार्मिक महत्व, दर्शन समय और वहाँ तक पहुँचने की पूरी जानकारी।