जानिए वृंदावन के प्रसिद्ध पागल बाबा मंदिर का इतिहास, धार्मिक महत्व, वास्तुकला की विशेषता, दर्शन और पूजा का समय, तथा मंदिर तक पहुँचने का रास्ता।
पागल बाबा मंदिर वृंदावन का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो अपनी भव्यता और आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर पागल बाबा जी की स्मृति में बनाया गया है और यहाँ भगवान कृष्ण की भक्ति का अद्भुत वातावरण मिलता है। मान्यता है कि यहाँ दर्शन करने से भक्तों को शांति, भक्ति और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। इस लेख में जानिए पागल बाबा मंदिर वृंदावन का इतिहास, धार्मिक महत्व और दर्शन की खास बातें।
पागलबाबा मंदिर उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के वृंदावन शहर में स्थित एक ऐतिहासिक और भव्य मंदिर है। यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण की प्रेममयी लीलास्थली के प्रति श्रद्धालुओं को आकर्षित करने हेतु बनाया गया। मंदिर की स्थापना श्रीमद लीलानंद ठाकुर जी महाराज ने की थी, जो स्वयं "पागल बाबा" के नाम से प्रसिद्ध थे। सफेद संगमरमर से निर्मित यह मंदिर 221 फीट ऊँचा और नौ मंजिला है, जो भारतीय स्थापत्य का एक अद्वितीय उदाहरण है। मंदिर की देखरेख के लिए पांच सदस्यों का बोर्ड गठित किया गया है, जिसमें जिलाधिकारी (डीएम) अध्यक्ष होते हैं। इसके अतिरिक्त, एक 20 सदस्यीय कार्यसमिति भी कार्यरत है।
श्रीमद लीलानंद ठाकुर जी महाराज ने वर्ष 1969 में इस मंदिर की स्थापना की योजना बनाई। उनका उद्देश्य भारत और विदेशों के पर्यटकों को वृंदावन की ओर आकर्षित करना था। वृंदावन-मथुरा मार्ग पर स्थित एक बंजर भूमि पर उन्होंने इस विशाल मंदिर का निर्माण करवाया, जो अब “लीलाधाम” के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर का निर्माण कार्य अल्प समय में ही पूर्ण हुआ और 24 जुलाई 1980 को ठाकुर जी महाराज ने समाधि ले ली।
ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में आने वाला भक्त कभी खाली हाथ नहीं लौटता। विशेष रूप से पूर्णिमा के दिन यहां भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। कहा जाता है कि एक बार स्वयं बांके बिहारी जी ने अपने भक्त की गवाही देने के लिए यहां पधारे थे। मंदिर परिसर में स्थित पागलबाबा हॉस्पिटल में प्रतिदिन हजारों रोगियों का इलाज किया जाता है और खिचड़ी सेवा के माध्यम से भक्तों को निःशुल्क भोजन भी कराया जाता है। यह मंदिर अपनी सेवा, भक्ति और चमत्कारों के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध है।
मंदिर की वास्तुकला
पागलबाबा मंदिर की वास्तुकला नागरा शैली की है, जो पारंपरिक और आधुनिक निर्माण कला का मिश्रण प्रस्तुत करती है। 18,000 वर्ग फीट क्षेत्र में फैले इस मंदिर की ऊंचाई 221 फीट है। सफेद पत्थरों से बना यह मंदिर चारों ओर हरियाली से घिरा हुआ है। इसकी प्रत्येक मंजिल पर विभिन्न देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं। मंदिर परिसर में ही गोशाला और लीलाकुंज स्थित है। यह मंदिर भारत का अपने ढंग का पहला नौ मंजिला मंदिर माना जाता है।
मंदिर सुबह: 05:00 AM - 11:30 AM मंदिर शाम: 03:00 PM - 09:00 PM
पागल बाबा मंदिर वृंदावन का प्रसाद
पागलबाबा मंदिर में श्रीकृष्ण को माखन मिश्री, पंचामृत और पंजीरी का भोग लगाया जाता है। भक्त अपनी श्रद्धा अनुसार पेड़ा, बर्फी आदि भी अर्पित करते हैं।
निकटतम हवाई अड्डा
इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (दिल्ली) मंदिर से लगभग 160 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ से टैक्सी या लोकल ट्रांसपोर्ट की मदद से मंदिर तक पहुँचा जा सकता है।
रेलवे स्टेशन
मथुरा कैंट रेलवे स्टेशन मंदिर से लगभग 17 किलोमीटर की दूरी पर है। स्टेशन से मंदिर तक टैक्सी, बस या ऑटो द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग
दिल्ली से वृंदावन यमुना एक्सप्रेसवे और NH 44 मार्ग से 3 घंटे में पहुंचा जा सकता है। उत्तर प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों से मथुरा के लिए राज्य परिवहन निगम की नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं। साथ ही निजी बसें भी चलती हैं।
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