जानिए प्रयागराज के पवित्र पड़िला महादेव मंदिर का इतिहास, धार्मिक विशेषताएं, दर्शन और आरती का समय, और वहाँ कैसे पहुँचें इसकी पूरी जानकारी।
प्रयागराज के पास स्थित पड़िला महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन और प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। माना जाता है कि यहां शिव स्वयं प्रकट हुए थे, इसलिए यह मंदिर भक्तों के बीच विशेष आस्था का केंद्र है। इस लेख में आप जानेंगे इस मंदिर का इतिहास, धार्मिक मान्यता, दर्शन समय और यहां से जुड़ी खास बातें।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में स्थित पड़िला महादेव मंदिर एक प्राचीन और पवित्र स्थल है, जिसे पांडेश्वर नाथ महादेव के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर प्रयाग के पंचकोसी परिक्रमा में शामिल है और इसका शिवलिंग स्वयंभू माना जाता है। यह मंदिर प्रयागराज के फाफामऊ क्षेत्र के थरवई गांव में स्थित है और इसका इतिहास पांडवों के समय से जुड़ा हुआ है।
पड़िला महादेव मंदिर को लगभग 8,000 वर्ष पुराना बताया जाता है। इसे पहले "माधव मनोहर" नाम से जाना जाता था। द्वापर युग में अज्ञातवास के दौरान पांडव कुछ समय के लिए पड़िला में रुके थे। श्रीकृष्ण के सुझाव पर उन्होंने यहां शिवलिंग की पूजा कर सकुशल हस्तिनापुर लौटने की मन्नत मांगी थी। उनकी यह मनोकामना पूरी हुई, जिसके पश्चात यह स्थल "पांडेश्वरनाथ धाम" के रूप में प्रसिद्ध हुआ।
इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां का शिवलिंग दिन के समय के अनुसार अपना रंग बदलता है – सुबह हरा, दोपहर में भूरा और रात को काला दिखाई देता है। सावन मास में भगवान भोलेनाथ का विशेष श्रृंगार किया जाता है, जिसमें उनके विभिन्न स्वरूपों के अनुसार पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि यदि कोई भक्त लगातार 40 दिनों तक यहां भगवान शिव के दर्शन करता है, तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
पड़िला महादेव मंदिर नागर शैली की प्राचीन स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह मंदिर पूर्णतः पत्थरों से निर्मित है और इसके गर्भगृह के ऊपर एक विशाल शिखर है। मंडप तीन ओर से खुले हैं और वातायन द्वारा वायु संचार की व्यवस्था की गई है। मंदिर का स्थापत्य द्वापर युग की शिल्प कौशल और धार्मिक भावना का प्रतीक है। इसकी दीवारें मजबूत और स्थापत्य की दृष्टि से प्रभावशाली हैं।
मंदिर खुलने और बंद होने का समय: 05:00 AM - 10:30 PM
मंदिर का प्रसाद
यहां आने वाले भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए लाल झंडा (निशान) और लाठी चढ़ाते हैं। इसके अतिरिक्त, भक्त फल, फूल, मिठाई, गंगाजल, बेलपत्र, धतूरा और भांग भी अर्पित करते हैं।
हवाई मार्ग
निकटतम एयरपोर्ट बमरौली हवाई अड्डा, प्रयागराज। एयरपोर्ट से मंदिर तक बस और ऑटो की सुविधा उपलब्ध है।
रेल मार्ग
निकटतम रेलवे स्टेशन – प्रयागराज जंक्शन (लगभग 16 किमी दूर)। स्टेशन से मंदिर तक पहुंचने के लिए बस या ऑटो लिया जा सकता है।
सड़क मार्ग
निकटतम बस स्टेशन गोविन्दपुर बस स्टैंड। उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों से प्रयागराज के लिए नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं। निजी वाहन से मंदिर तक पहुंचना भी आसान है।
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