जानिए हरिद्वार के प्रसिद्ध नीलेश्वर महादेव मंदिर का पौराणिक इतिहास, धार्मिक विशेषता, पूजा व दर्शन का समय, तथा मंदिर तक पहुँचने का मार्ग।
नीलेश्वर महादेव मंदिर हरिद्वार का एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर अपनी प्राचीनता और धार्मिक महत्व के कारण विशेष स्थान रखता है। मान्यता है कि यहाँ शिवजी के दर्शन और पूजा करने से भक्तों को दुखों से मुक्ति, मन की शांति और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। इस लेख में जानिए नीलेश्वर महादेव मंदिर हरिद्वार का इतिहास, धार्मिक महत्व और यहाँ दर्शन की खास बातें।
हरिद्वार भारत के सबसे पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक है। यह वह स्थान है जहां पवित्र गंगा नदी हिमालय से निकलकर मैदानों में प्रवेश करती है। हरिद्वार आश्रमों, मंदिरों और घाटों से सुशोभित है, और इसके समीप ही स्थित है ऋषिकेश, जिससे इसका आध्यात्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है। इन्हीं में स्थित है नीलेश्वर महादेव मंदिर, जो भगवान शिव को समर्पित एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यह मंदिर नील पर्वत की पहाड़ी पर स्थित है और इसकी भव्यता, प्राकृतिक सौंदर्य तथा धार्मिक मान्यता इसे भक्तों के लिए विशेष बनाती है। यह चंडी देवी मंदिर के निकट है, जिससे तीर्थयात्रियों के लिए दर्शन की सुविधा और बढ़ जाती है।
नीलेश्वर महादेव मंदिर का अस्तित्व आदिकाल से माना जाता है। इसका उल्लेख प्राचीन ग्रंथ शिव महापुराण में भी मिलता है। ऐसी मान्यता है कि त्रेता युग में जब भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, तब उनकी बारात इस स्थल पर रुकी थी। यह भी कहा जाता है कि भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले हलाहल विष को इसी स्थान पर ग्रहण किया था और विष के प्रभाव को शांत करने के लिए यहीं से नीलकंठ की ओर प्रस्थान किया था। यही कारण है कि इस पर्वत को नील पर्वत और यहां की गंगा को नील गंगा कहा जाता है।
इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग को स्वयंभू माना जाता है और इसे एक हज़ार शिवलिंगों का स्वरूप कहा जाता है। सावन मास में लाखों श्रद्धालु गंगा जल लाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। मान्यता है कि सावन में यहां जल अर्पण करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस मंदिर में भक्तों की गहरी आस्था है और विशेष पर्वों पर यहां विशेष पूजा-अर्चना होती है।
मंदिर की वास्तुकला
नीलेश्वर महादेव मंदिर पारंपरिक भारतीय मंदिर वास्तुकला का सुंदर उदाहरण है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर नंदी की मूर्ति स्थापित है। इसके पश्चात एक विशाल प्रांगण है जो ध्यान और शांति का अनुभव कराता है। गर्भगृह में शिवलिंग के साथ एक और नंदी मूर्ति विराजमान है। मंदिर में एक बड़ा सभा कक्ष भी है, जहां विशेष अवसरों और त्योहारों पर धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
मंदिर खुलने का समय: 06:00 AM - 08:00 PM
नीलेश्वर महादेव मंदिर का प्रसाद
भगवान शिव को नारियल, चना, चिरौंजी, परमल आदि का भोग अर्पित किया जाता है। श्रद्धालु अपनी श्रद्धा अनुसार फल, फूल और बेलपत्र भी चढ़ाते हैं।
हवाई मार्ग
नीलेश्वर महादेव मंदिर का सबसे निकटतम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा दिल्ली है। इसके अलावा निकटस्थ स्थानीय हवाई अड्डा देहरादून (जॉली ग्रांट एयरपोर्ट) है, जहां से हरिद्वार पहुंचने के लिए टैक्सी या बस की सुविधा उपलब्ध है।
रेल मार्ग
हरिद्वार रेलवे स्टेशन मंदिर से निकटतम है। स्टेशन से मंदिर तक पहुंचने के लिए ऑटो, रिक्शा और टैक्सी उपलब्ध हैं।
सड़क मार्ग
हरिद्वार राष्ट्रीय राजमार्ग 58 से जुड़ा हुआ है। दिल्ली स्थित आईएसबीटी कश्मीरी गेट से हरिद्वार के लिए नियमित लक्ज़री और सामान्य बस सेवाएं उपलब्ध हैं। उत्तराखंड के प्रमुख शहरों से भी हरिद्वार के लिए बस और टैक्सी सेवाएं सुचारू रूप से संचालित होती हैं।
Did you like this article?
अयोध्या स्थित बड़ी देवकाली मंदिर देवी कालिका को समर्पित एक प्राचीन शक्तिपीठ है। मान्यता है कि यह मंदिर माता सीता की कुलदेवी को समर्पित है, जहाँ उन्होंने विवाह के बाद पूजा की थी। यह मंदिर शक्ति साधना और श्रद्धा का प्रमुख केंद्र है। जानिए इस मंदिर का इतिहास, धार्मिक महत्व, दर्शन समय और वहाँ तक पहुँचने की सम्पूर्ण जानकारी।
वृंदावन स्थित राधा दामोदर मंदिर गौड़ीय वैष्णव परंपरा का एक प्रमुख और ऐतिहासिक मंदिर है। यह मंदिर श्री राधा और भगवान श्रीकृष्ण (दामोदर) को समर्पित है और विशेष रूप से संत रूप गोस्वामी की समाधि और उनकी साधना स्थली के लिए प्रसिद्ध है। जानिए मंदिर का इतिहास, धार्मिक महत्व, दर्शन समय और यहाँ पहुँचने की पूरी जानकारी।
अयोध्या में स्थित सीता की रसोई एक पवित्र स्थल है, जहाँ माना जाता है कि माता सीता ने विवाह के बाद भगवान राम के साथ अपने गृहस्थ जीवन की शुरुआत की थी। यह स्थान महिलाओं के लिए विशेष आस्था का केंद्र है। जानिए सीता की रसोई का पौराणिक इतिहास, धार्मिक महत्व, दर्शन समय और वहाँ तक पहुँचने की पूरी जानकारी।