
जानिए प्रयागराज के प्रसिद्ध मनकामेश्वर मंदिर का पौराणिक इतिहास, धार्मिक महत्व, दर्शन और पूजा का समय, तथा मंदिर तक पहुँचने की पूरी जानकारी।
मनकामेश्वर मंदिर प्रयागराज का एक प्राचीन और प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जो भगवान शिव को समर्पित है। श्रद्धालुओं का मानना है कि यहाँ मनोकामना पूर्ण करने वाली भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त होती है। मंदिर का शांत वातावरण और पौराणिक महत्व भक्तों को गहरी आस्था और आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है। इस लेख में जानिए मनकामेश्वर मंदिर प्रयागराज का इतिहास, धार्मिक महत्व और यहाँ दर्शन करने की खास बातें।
त्रिवेणी संगम की नगरी प्रयागराज को सनातन धर्म का केंद्र माना जाता है। यहां अनेक पौराणिक और आध्यात्मिक स्थल हैं जो इसकी प्राचीनता और धार्मिक महत्व को दर्शाते हैं। इन्हीं में एक प्रमुख स्थल है मनकामेश्वर मंदिर, जो गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम तट पर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मान्यता है कि यहां दर्शन और पूजन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे एक ऐतिहासिक स्मारक घोषित किया है।
मनकामेश्वर मंदिर का निर्माण 1542 ईस्वी में राजपूत वंश के राजा मान सिंह प्रथम द्वारा करवाया गया था। इस मंदिर का उल्लेख स्कंद पुराण और पद्म पुराण में "कामेश्वर पीठ" के रूप में मिलता है। कथा के अनुसार, भगवान शिव ने कामदेव को भस्म करने के बाद इस स्थान पर आकर स्वयंभू लिंग रूप में प्रकट होकर विराजमान हुए थे।
त्रेता युग में जब भगवान श्रीराम वनवास जा रहे थे, तो उन्होंने प्रयागराज में अक्षयवट के नीचे रुककर इस मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक किया था और आगे की यात्रा के लिए आशीर्वाद लिया था। वनवास के अंत में लौटते समय श्रीराम ने पुनः यहां आकर भगवान शिव के दर्शन किए थे।
यहां यह मान्यता है कि यदि कोई भक्त 51 सोमवार तक श्रद्धापूर्वक पूजन-अर्चन करता है, तो उसके जीवन की सभी बाधाएं समाप्त हो जाती हैं। मनकामेश्वर मंदिर तंत्र साधना का भी एक प्रमुख केंद्र माना जाता है, जहां श्री विद्या की तांत्रिक साधना की शिक्षा दी जाती है। मंदिर से जुड़ी एक अनोखी मान्यता यह भी है कि जब मंदिर में कोई नहीं होता, तब भी वहां भगवान शिव के जयकारे सुनाई देते हैं। कहा जाता है कि रात के समय भगवान के सयन के पश्चात दिव्य शक्तियां मंदिर परिसर की रक्षा करती हैं।
मंदिर की वास्तुकला
मनकामेश्वर मंदिर हिंदू धर्मशास्त्रों और राजपूत स्थापत्य शैली के अनुसार निर्मित है। यह अष्टकोणीय आकार का मंदिर एक विशाल आयताकार प्रांगण में स्थित है। मंदिर के शीर्ष पर भव्य गुंबद हैं, जो इसकी सुंदरता और भव्यता को बढ़ाते हैं। गर्भगृह में लगभग साढ़े तीन फुट ऊंचा स्वयंभू शिवलिंग विराजमान है, जो श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है।
मंदिर खुलने का समय: 05:00 AM – 10:00 PM सुबह आरती का समय: 04:30 AM – 05:30 AM
प्रसाद वितरण
मंदिर में भगवान शिव को फल, दूध, दही और लड्डू का भोग अर्पित किया जाता है। साथ ही श्रद्धालु शिवलिंग पर बेलपत्र, भांग और धतूरा भी चढ़ाते हैं।
हवाई मार्ग
मनकामेश्वर मंदिर का निकटतम हवाई अड्डा प्रयागराज का बमरौली एयरपोर्ट है। एयरपोर्ट से मंदिर तक बस और ऑटो की सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हैं।
रेल मार्ग
मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन प्रयागराज जंक्शन है, जो मंदिर से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से बस या ऑटो द्वारा मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग
प्रयागराज उत्तर प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। राज्य परिवहन निगम और निजी बस सेवाओं के माध्यम से श्रद्धालु आसानी से मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
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