महालक्ष्मी मंदिर, इंदौर
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महालक्ष्मी मंदिर, इंदौर

महालक्ष्मी मंदिर, इंदौर के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है, जहाँ माता लक्ष्मी की आराधना समृद्धि और सुख-शांति के लिए की जाती है। दीपावली और शुक्रवार के दिन यहाँ विशेष भीड़ रहती है। मंदिर का शांत वातावरण और आस्था से भरा वातावरण भक्तों को आकर्षित करता है।

महालक्ष्मी मंदिर, इंदौर के बारे में

महालक्ष्मी मंदिर इंदौर का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो देवी महालक्ष्मी को समर्पित है। यह मंदिर अपनी भव्यता और श्रद्धा से परिपूर्ण वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि यहाँ पूजा करने से धन, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

महालक्ष्मी मंदिर, इंदौर का इतिहास

इंदौर शहर के ऐतिहासिक क्षेत्र राजवाड़ा में स्थित महालक्ष्मी मंदिर, नगर के प्राचीनतम धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर श्रद्धालुओं की गहरी आस्था का केंद्र है। भक्तगण यहां माता को चावल चढ़ाते हैं और उनमें से कुछ चावल मन्नत के रूप में अपने घर या व्यापारिक स्थल पर बरकत के लिए ले जाते हैं। यह परंपरा मंदिर की स्थापना के समय से निरंतर चली आ रही है।

महालक्ष्मी मंदिर की स्थापना 1833 ई. में राजा हरि राव होलकर द्वारा की गई थी। उस समय एक पुराने भवन में माता की प्रतिमा स्थापित की गई थी। होलकर वंश के सदस्य नवरात्र और दीपावली जैसे पर्वों पर माता के दर्शन के लिए मंदिर आया करते थे। खजाना खोलने से पहले मां लक्ष्मी का आशीर्वाद लेना एक परंपरा थी, जो आज भी जीवित है।

महालक्ष्मी मंदिर, इंदौर का महत्व एवं वास्तुकला

मंदिर में दिवाली के अवसर पर विशेष पूजन और उत्सव का आयोजन होता है।

  • दिवाली पर भक्त मां लक्ष्मी को पीले चावल अर्पित करते हैं और उन्हें घर आमंत्रित करते हैं।

  • दिवाली के दिन सुबह 3 बजे मंदिर के पट खुलते हैं।

  • 11 पंडितों द्वारा मां का विशेष अभिषेक और महाआरती होती है।

  • दीपावली पर यहां 5 दिवसीय महोत्सव होता है जो धनतेरस से भाई दूज तक चलता है।

  • इस पर्व के दौरान लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए मंदिर पहुंचते हैं।

  • स्थानीय व्यापारी और कार्यालयों के कर्मचारी भी दिन की शुरुआत यहां दर्शन से करते हैं।

मंदिर की वास्तुकला

  • महालक्ष्मी मंदिर का मूल निर्माण लकड़ी से हुआ था।

  • 1933 तक यह मंदिर तीन मंजिला था, जो बाद में क्षतिग्रस्त हो गया।

  • 1942 में जीर्णोद्धार हुआ और 2011 में पुनः नवीनीकरण किया गया।

  • गर्भगृह में 21 इंच की माता महालक्ष्मी की प्राचीन मूर्ति प्रतिष्ठित है।

  • प्रतिमा के चारों ओर संगमरमर के आठ स्तंभ हैं।

  • साथ में भगवान गणेश, रिद्धि-सिद्धि की काले पत्थर की मूर्तियां भी विराजमान हैं।

  • मंदिर की वास्तुकला मराठा शैली में है और इसे मुंबई के महालक्ष्मी मंदिर की तर्ज पर विकसित किया गया है।

  • दीवारों पर की गई नक्काशी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देती है।

महालक्ष्मी मंदिर, इंदौर का समय

  • मंदिर खुलने का समय (सुबह): 07:00 AM - 12:00 PM

  • मंदिर खुलने का समय (शाम): 05:00 PM - 10:00 PM

  • सुबह की आरती: 07:00 AM - 07:30 AM

  • सायंकाल आरती: 07:00 PM - 07:30 PM

महालक्ष्मी मंदिर, इंदौर का प्रसाद

भक्तजन मां लक्ष्मी को फल, ड्राई फ्रूट्स, लड्डू, हलवा, चना और पूड़ी का भोग अर्पित करते हैं। प्रसाद श्रद्धा से घर ले जाकर भी बांटा जाता है।

महालक्ष्मी मंदिर, इंदौर कैसे पहुँचे?

हवाई मार्ग

निकटतम हवाई अड्डा देवी अहिल्या बाई होलकर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, इंदौर है। यह मंदिर से लगभग 14.8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से बस या ऑटो द्वारा मंदिर तक पहुंचना सरल है।

रेल मार्ग

निकटतम रेलवे स्टेशन इंदौर रेलवे स्टेशन है, जो मंदिर से 5.7 किलोमीटर दूर है। स्टेशन से मंदिर तक ऑटो या बस की सुविधा सहजता से उपलब्ध है।

सड़क मार्ग

निकटतम बस स्टैंड गंगवाल बस स्टैंड है, जो मंदिर से 5.3 किलोमीटर की दूरी पर है। इंदौर शहर मध्यप्रदेश के सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। यहां राज्य परिवहन और निजी बसों की सुविधाएं उपलब्ध हैं।

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Published by Sri Mandir·September 16, 2025

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