जानिए भोपाल के प्रसिद्ध लक्ष्मीनारायण मंदिर (बिरला मंदिर) का इतिहास, धार्मिक महत्व, दर्शनीय स्थल, दर्शन समय और वहाँ कैसे पहुँचें इसकी सम्पूर्ण जानकारी।
भोपाल का लक्ष्मीनारायण मंदिर, जिसे बिरला मंदिर भी कहा जाता है, एक शांत और भव्य धार्मिक स्थल है जो भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित है। पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर अपनी सुंदर वास्तुकला और शांति भरे वातावरण के लिए जाना जाता है। इस लेख में जानिए मंदिर का इतिहास, धार्मिक महत्व और इससे जुड़ी खास बातें।
लक्ष्मीनारायण मंदिर मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के मालवीय नगर क्षेत्र में स्थित है। यह मंदिर बिड़ला मंदिर नाम से भी प्रसिद्ध है और भोपाल के प्रमुख धार्मिक स्थलों में शामिल है। इसका निर्माण भारत के प्रसिद्ध औद्योगिक बिड़ला परिवार द्वारा कराया गया था। अरेरा पहाड़ियों पर स्थित यह मंदिर एक झील के पास बना है, जिसके कारण यह न केवल आस्था बल्कि पर्यटन का भी प्रमुख केंद्र बन चुका है। मंदिर के चारों ओर फैली हरियाली भक्तों को शांति और आनंद का अनुभव कराती है।
लक्ष्मीनारायण मंदिर की स्थापना वर्ष 1964 में बिड़ला परिवार द्वारा की गई थी। इसकी शुरुआत 1960 में तब हुई जब बिड़ला परिवार ने मध्यप्रदेश में उद्योग स्थापित करने की योजना बनाई। तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. कैलाश नाथ काटजू ने बिड़ला परिवार को भूमि देने की शर्त पर भोपाल की अरेरा पहाड़ी पर एक भव्य मंदिर बनवाने का सुझाव दिया। बिड़ला परिवार ने यह प्रस्ताव स्वीकार कर मंदिर का निर्माण करवाया। मंदिर के उद्घाटन अवसर पर एक विशाल विष्णु महायज्ञ आयोजित किया गया, जिसमें देशभर के धर्माचार्यों और विद्वानों ने भाग लिया। मंदिर परिसर के पास एक संग्रहालय भी स्थित है, जिसमें मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों से लाई गई प्राचीन मूर्तियों को रखा गया है।
लक्ष्मीनारायण मंदिर विशेष रूप से जन्माष्टमी और दीपावली के अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। जन्माष्टमी पर भगवान विष्णु के पूजन और दीपावली पर माता लक्ष्मी की विशेष पूजा से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होने की मान्यता है। यह मंदिर विष्णु और लक्ष्मी दोनों को समर्पित है, जिससे यह अत्यंत पवित्र स्थल माना जाता है।
यह मंदिर अरेरा पहाड़ियों की चोटी पर लगभग 7-8 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। मंदिर परिसर में अर्धमण्डप, महामण्डप, परिक्रमापथ और गर्भगृह मौजूद हैं। संगमरमर पर की गई पौराणिक दृश्यों की नक्काशी इस मंदिर की विशेषता है। दीवारों पर वेद, गीता, रामायण, महाभारत और पुराणों के श्लोक अंकित हैं। मंदिर में लक्ष्मी-नारायण के साथ भगवान शिव, मां जगदंबा, हनुमानजी और शिवलिंग भी विराजमान हैं। मुख्य द्वार के सामने एक विशाल शंख स्थापित है, जो श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र है।
मंदिर का प्रसाद
यहां नारियल, लईया, बताशा, मिश्री, दूध के पेड़े आदि का भोग लगाया जाता है। श्रद्धालु अपनी श्रद्धा अनुसार प्रसाद अर्पित करते हैं।
निकटतम हवाई अड्डा
राजा भोज हवाई अड्डा (भोपाल) – मंदिर से लगभग 15 किमी की दूरी पर है। यहां से कैब बुक करके मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
रेलवे स्टेशन
भोपाल जंक्शन – मंदिर से लगभग 5 किमी दूर है। दिल्ली, मुंबई, लखनऊ सहित देश के प्रमुख शहरों से भोपाल के लिए ट्रेनें उपलब्ध हैं।
सड़क मार्ग
निजी वाहन, प्राइवेट कैब या मध्यप्रदेश राज्य परिवहन की बसों द्वारा भोपाल आसानी से पहुंचा जा सकता है। मंदिर तक जाने वाला मार्ग सुगम और सुव्यवस्थित है, जिससे पहाड़ी चढ़ाई आसान हो जाती है।
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