जानिए कुंजापुरी मंदिर का इतिहास, धार्मिक महत्व, दर्शन समय और वहाँ कैसे पहुँचे।
कुंजापुरी मंदिर ऋषिकेश का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जो माता कुंजापुरी को समर्पित है। यह मंदिर पहाड़ी पर स्थित है और यहाँ से सूर्यास्त और हिमालय की भव्य झलक देखने को मिलती है। भक्तों के अनुसार, यहाँ पूजा और दर्शन करने से सुख, समृद्धि और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। इस लेख में जानिए कुंजापुरी मंदिर ऋषिकेश का इतिहास, धार्मिक महत्व और दर्शन की खास बातें।
उत्तराखंड के ऋषिकेश में टिहरी जनपद के हिडोलाखाल कस्बे के समीप एक शिखर पर स्थित कुंजापुरी मंदिर समुद्र तल से 1676 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है और न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि यहाँ से गढ़वाल की हिमालयी चोटियों का मनोहारी दृश्य भी देखा जा सकता है। यहां दर्शन के लिए आने वाले भक्त प्रकृति की सुंदरता से अभिभूत हो जाते हैं।
मंदिर का इतिहास
कुंजापुरी मंदिर शिवालिक रेंज के 13 प्रमुख शक्ति पीठों में से एक है। इसे टिहरी जिले में जगद्गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित तीन प्रमुख शक्ति पीठों में गिना जाता है, जिनमें सुरकंडा देवी और चंद्रबदनी देवी मंदिर भी शामिल हैं। यह तीनों मिलकर एक पवित्र त्रिकोण बनाते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, जब माता सती ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में भगवान शिव को अपमानित होते देखा, तो उन्होंने यज्ञ में कूदकर आत्मदाह कर लिया। भगवान शिव क्रोधित होकर सती के शरीर को लेकर कैलाश की ओर चल पड़े। भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को खंडित कर दिया, जिससे उनके अंग जहां-जहां गिरे, वहां शक्ति पीठ स्थापित हुए। कुंजापुरी वह स्थान है जहां माता के केश (कुंज) गिरे थे, इसलिए इसे कुंजापुरी कहा जाता है।
कुंजापुरी मंदिर को सिद्ध पीठ माना जाता है। विशेषकर शारदीय नवरात्र में यहाँ बड़ी संख्या में भक्त दर्शन हेतु आते हैं। ऐसा माना जाता है कि यहाँ सच्चे मन से प्रार्थना करने पर माता सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करती हैं। यहाँ आने पर श्रद्धालुओं को एक विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव होता है। मंदिर से ऋषिकेश का विहंगम दृश्य, बर्फ से ढकी पहाड़ियाँ और प्राकृतिक सौंदर्य, श्रद्धा के साथ-साथ दर्शकों को एक रोमांचक अनुभव भी देते हैं।
मंदिर की वास्तुकला
कुंजापुरी मंदिर के गर्भगृह में माता की कोई प्रतिमा नहीं है, बल्कि एक शिलारूप पिंडी की पूजा की जाती है। यहाँ अखंड ज्योति निरंतर जलती रहती है। मुख्य मंदिर के समीप भगवान शिव, महाकाली, नरहरि और भैरों बाबा की प्रतिमाएं स्थापित हैं। मंदिर परिसर में भक्त वृक्षों पर चुनरी और डोरियाँ बांधकर अपनी मनोकामनाएँ प्रकट करते हैं। मंदिर की सीढ़ियाँ और ऊंचाई इसे और भी पवित्र बना देती हैं।
कुंजापुरी मंदिर प्रतिदिन सुबह 6:00 बजे से रात 8:00 बजे तक खुला रहता है।
कुंजापुरी मंदिर का प्रसाद
यहाँ माता को फल, फूल, सूखे मेवे, नारियल, चुनरी आदि का भोग अर्पित किया जाता है।
विमान मार्ग
निकटतम हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है, जो मंदिर से लगभग 32 किलोमीटर दूर है। यहाँ से टैक्सी द्वारा मंदिर तक लगभग 57 मिनट में पहुँचा जा सकता है।
रेल मार्ग
निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है, जो मंदिर से लगभग 27 किलोमीटर दूर है। रेलवे स्टेशन से टैक्सी या ऑटो द्वारा लगभग 50 मिनट में मंदिर पहुँचा जा सकता है।
सड़क मार्ग
ऋषिकेश सड़क मार्ग से दिल्ली, देहरादून और बिजनौर जैसे प्रमुख शहरों से भलीभांति जुड़ा हुआ है। दिल्ली से नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं। ऋषिकेश बस स्टैंड से मंदिर की दूरी लगभग 27 किलोमीटर है और यहाँ से मंदिर पहुँचने में लगभग 50 मिनट का समय लगता है।
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