जानिए वृंदावन स्थित पावन कात्यायनी पीठ का धार्मिक महत्व, माँ कात्यायनी से जुड़ी कथाएं, दर्शन का समय और यात्रा से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी।
कात्यायनी पीठ वृंदावन का एक अत्यंत पवित्र और शक्तिपीठ मंदिर है, जो माँ कात्यायनी को समर्पित है। यह स्थान शक्ति साधना और देवी उपासना के लिए विशेष महत्व रखता है। मान्यता है कि यहाँ श्रद्धापूर्वक पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। इस लेख में जानिए कात्यायनी पीठ वृंदावन का इतिहास, धार्मिक महत्व और दर्शन की खास बातें।
कात्यायनी पीठ उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित एक प्रसिद्ध और प्राचीन शक्तिपीठ है। यह मंदिर वृंदावन में राधाबाग के पास स्थित है और 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि यहां माता सती के केश गिरे थे, जिसका उल्लेख शास्त्रों में भी मिलता है। यह स्थान "उमा" और "भूतेश" के नाम से पूजित है। देवर्षि वेदव्यास द्वारा रचित श्रीमद्भागवत महापुराण में भी इस स्थान का उल्लेख मिलता है।
कात्यायनी पीठ का निर्माण स्वामी केशवानंद ने फरवरी 1923 में करवाया था। मंदिर में माँ कात्यायनी के साथ-साथ भगवान शिव, विष्णु, सूर्य और गणेश की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं। ऐसा कहा जाता है कि स्वयं राधारानी ने भी श्रीकृष्ण को पाने हेतु यहां कात्यायनी माता की पूजा की थी। मंदिर का आध्यात्मिक वातावरण श्रद्धालुओं को शांति और भक्ति से भर देता है।
यह शक्तिपीठ विशेष रूप से अविवाहित युवक-युवतियों के लिए आस्था का केंद्र है। नवरात्र के दौरान बहुत से लोग यहाँ मनचाहा जीवनसाथी पाने की कामना लेकर माँ की पूजा करते हैं। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने भी अपने मामा कंस के वध से पहले माँ कात्यायनी की पूजा की थी। जिन युवाओं के विवाह में किसी कारणवश देरी होती है, उनकी समस्याएं यहाँ आकर माँ की कृपा से दूर हो जाती हैं।
कात्यायनी पीठ वास्तुकला
कात्यायनी पीठ वास्तुकला की दृष्टि से एक अत्यंत सुंदर मंदिर है। इसकी संरचना में राजस्थानी शैली की झलक दिखाई देती है। मंदिर का विशाल परिसर और उत्कृष्ट नक्काशी इसे विशिष्ट बनाते हैं। मंदिर के स्तंभों पर संस्कृत श्लोक और देवी मंत्र खुदे हुए हैं, जो श्रद्धालुओं को आध्यात्मिकता की गहराई से जोड़ते हैं।
कात्यायनी पीठ, वृंदावन का प्रसाद
मां कात्यायनी को फल, मिठाई और सूखे मेवों का भोग लगाया जाता है। कुछ श्रद्धालु विशेष रूप से पांच प्रकार के फल चढ़ाते हैं। यह भोग श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक माना जाता है।
हवाई मार्ग
निकटतम हवाई अड्डा दिल्ली का इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट है, जो मंदिर से लगभग 169 किलोमीटर की दूरी पर है। एयरपोर्ट से टैक्सी, कैब या स्थानीय बस सेवा द्वारा मंदिर तक पहुँचा जा सकता है।
रेल मार्ग
मथुरा कैंट रेलवे स्टेशन मंदिर का सबसे नजदीकी स्टेशन है, जो लगभग 13.6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। स्टेशन से टैक्सी, ऑटो या बस के द्वारा मंदिर पहुँचना सुविधाजनक है।
सड़क मार्ग
दिल्ली से वृंदावन की दूरी लगभग 185 किलोमीटर है, जो यमुना एक्सप्रेसवे या NH 44 के द्वारा लगभग 3 घंटे में तय की जा सकती है। उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों से मथुरा के लिए नियमित राज्य परिवहन निगम की बसें उपलब्ध हैं। निजी तीर्थ यात्रा सेवाएं भी चलती हैं।
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