
जानिए अयोध्या के प्रसिद्ध कनक भवन मंदिर का इतिहास, धार्मिक महत्व, स्थापत्य विशेषताएं, दर्शन समय और यात्रा से जुड़ी संपूर्ण जानकारी।
कनक भवन मंदिर अयोध्या का प्रसिद्ध और भव्य मंदिर है, जो भगवान राम और माता सीता को समर्पित है। यह मंदिर अपनी स्वर्ण जड़ित सजावट और सुंदर मूर्तियों के लिए विशेष पहचान रखता है। मान्यता है कि यहाँ दर्शन करने से दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। इस लेख में जानिए कनक भवन मंदिर अयोध्या का इतिहास, धार्मिक महत्व और दर्शन की खास बातें।
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में स्थित कनक भवन राम जन्मभूमि के उत्तर-पूर्व में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यह भवन माता सीता और भगवान श्रीराम का निजी महल माना जाता है। इस मंदिर में भगवान राम और माता सीता की सुंदर मूर्तियाँ विराजमान हैं। चैत्र मास की रामनवमी के अवसर पर यहाँ विशेष आयोजन होता है। धार्मिक मान्यता यह भी है कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने भी यहाँ भगवान राम की पूजा की थी।
कनक भवन का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। कहा जाता है कि इसका मूल निर्माण त्रेता युग में हुआ था, जब भगवान श्रीराम का विवाह हुआ था और महारानी कैकेयी ने माता सीता को यह भवन उपहार में दिया था। द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया। बाद में विभिन्न युगों में इस मंदिर का कई बार जीर्णोद्धार और निर्माण हुआ। चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने 2431 ई.पू. में इसका निर्माण करवाया था, जबकि समुद्रगुप्त ने 387 ई. में इसका जीर्णोद्धार किया। वर्तमान में जो कनक भवन है, उसका निर्माण 1891 में ओरछा की रानी द्वारा करवाया गया था।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, कनक भवन के भीतर पुरुषों का प्रवेश वर्जित माना जाता था। भगवान हनुमान को भी केवल विनम्र निवेदन के बाद भवन के आंगन में प्रवेश मिला। इसी कारण गर्भगृह में केवल भगवान राम और माता सीता की मूर्तियाँ हैं, किसी अन्य देवता की नहीं। ऐसा माना जाता है कि श्रीकृष्ण द्वारा द्वापर युग में मूल भवन के नष्ट हो जाने के बाद इसका पुनर्निर्माण किया गया था।
मंदिर की वास्तुकला
कनक भवन पत्थर से निर्मित एक भव्य मंदिर है। मंदिर के गर्भगृह में तीन जोड़ी मूर्तियाँ स्थापित हैं, जो भगवान राम और माता सीता की हैं। सबसे बड़ी मूर्ति महारानी वृषभान कुंवारी द्वारा स्थापित की गई थी। इनके दाईं ओर दूसरी मूर्ति राजा विक्रमादित्य द्वारा स्थापित की गई थी, जिसे उन्होंने प्राचीन मंदिर से सुरक्षित स्थान पर रखा था। इस मंदिर की वास्तुकला अत्यंत भव्य और कलात्मक है।
मंदिर का प्रसाद
मंदिर में भगवान राम और माता सीता को पेड़ा, तुलसी पत्र, इत्र और चंदन आदि चढ़ाया जाता है।
हवाई मार्ग
निकटतम हवाई अड्डा लखनऊ अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो अयोध्या से 152 किमी दूर है। फैजाबाद और गोरखपुर हवाई अड्डे लगभग 158 किमी, तथा प्रयागराज हवाई अड्डा लगभग 172 किमी दूर स्थित है।
रेल मार्ग
सड़क मार्ग
उत्तर प्रदेश सरकार की बस सेवाओं सहित निजी बसों और टैक्सियों से अयोध्या पहुँचना आसान है। फैजाबाद और अयोध्या में स्थानीय ऑटो और कैब सेवाएं उपलब्ध हैं, जिनके माध्यम से आप सीधे कनक भवन पहुँच सकते हैं।
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