जयपुर मंदिर वृंदावन
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जयपुर मंदिर वृंदावन | Jaipur Mandir Vrindavan

जानिए वृंदावन के प्रसिद्ध जयपुर मंदिर (श्री राधा माधव मंदिर) का निर्माण इतिहास, स्थापत्य कला, दर्शन का समय और यात्रा से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी।

जयपुर मंदिर वृंदावन के बारे में

जयपुर मंदिर वृंदावन का एक भव्य और ऐतिहासिक मंदिर है, जिसे जयपुर के महाराजा सवाई माधो सिंह ने बनवाया था। यह मंदिर भगवान राधा-कृष्ण को समर्पित है और अपनी विशाल लाल बलुआ पत्थर की निर्मिती और सुंदर नक्काशीदार शिल्पकला के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ दर्शन और पूजा करने से भक्तों को भक्ति, प्रेम और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। इस लेख में जानिए जयपुर मंदिर वृंदावन का इतिहास, धार्मिक महत्व और दर्शन की खास बातें।

जयपुर मंदिर वृंदावन (Jaipur Mandir Vrindavan)

वृंदावन, भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़ा एक प्रसिद्ध धार्मिक एवं ऐतिहासिक नगर है, जो उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित है। यह स्थान श्रीकृष्ण की अलौकिक बाल लीलाओं का प्रमुख केंद्र माना जाता है। वृंदावन-मथुरा रोड पर किशोरपुरा में स्थित जयपुर मंदिर इन सभी मंदिरों में एक विशिष्ट स्थान रखता है। उत्तर प्रदेश में स्थित होने के बावजूद इस मंदिर का संरक्षण एवं प्रबंधन राजस्थान सरकार द्वारा किया जाता है। यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है, और यहां बांके बिहारी के विभिन्न स्वरूपों की मूर्तियाँ जैसे राधा माधव, आनंद बिहारी और हंस गोपाल स्थापित हैं।

जयपुर मंदिर वृंदावन का इतिहास

जयपुर मंदिर का निर्माण कार्य जयपुर के महाराजा सवाई माधो सिंह ने वर्ष 1916 में अपने गुरु ब्रह्मचारी श्री गिरिधारीशरण जी की प्रसन्नता के लिए शुरू करवाया था। इसके लिए उन्होंने वृंदावन में पहले 100 एकड़ भूमि खरीदी और फिर निर्माण कार्य आरंभ करवाया। यह मंदिर लगभग 30 वर्षों में बनकर पूर्ण हुआ। इसके निर्माण में कई हजार मजदूरों और कुशल कारीगरों ने भाग लिया।

जयपुर मंदिर वृंदावन का महत्व एवं वास्तुकला

जयपुर मंदिर वृंदावन में भगवान श्रीकृष्ण का सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है। कहा जाता है कि बृज मंडल में इससे बड़ा कोई और मंदिर नहीं है। मंदिर निर्माण हेतु प्रयुक्त विशाल पत्थरों को मथुरा से वृंदावन तक पहुँचाने के लिए महाराजा माधो सिंह ने विशेष रेलवे लाइन तक बनवाई थी। मंदिर की ऊपरी मंजिल पर राधा माधव, आनंद बिहारी और हंस गोपाल जी की भव्य मूर्तियाँ स्थापित हैं, जिनके दर्शन मंदिर के बाहर से भी किए जा सकते हैं।

मंदिर की वास्तुकला

जयपुर मंदिर की वास्तुकला राजस्थानी शैली की उत्कृष्ट मिसाल है। यह मंदिर लाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर से निर्मित है। मंदिर की दीवारों पर बारीक नक्काशी की गई है। दो मंजिला इस मंदिर में 16 विशाल खंभे हैं और तीन मुख्य प्रवेश द्वार बनाए गए हैं। मंदिर के दोनों ओर पत्थर से बने तुलसी चौरे हैं, जिनमें एक साथ 108 दीप जलाने के लिए सुंदर आले बनाए गए हैं। मंदिर का मुख्य द्वार अष्टधातु से बना है जो अत्यंत भव्य और कलात्मक है।

जयपुर मंदिर वृंदावन के खुलने का समय

  • सुबह मंदिर खुलने का समय: 05:00 AM - 12:00 PM
  • सुबह आरती का समय: 07:00 AM - 08:00 AM
  • शाम मंदिर खुलने का समय: 05:00 PM - 10:00 PM
  • संध्या आरती का समय: 07:00 PM - 08:00 PM

जयपुर मंदिर वृंदावन का प्रसाद

जयपुर मंदिर में राधा माधव, आनंद बिहारी और हंस गोपाल जी को पेड़े, बर्फी और मिश्री का भोग अर्पित किया जाता है। कई श्रद्धालु अपनी श्रद्धा से हलवा-पूड़ी आदि का भोग भी अर्पित करते हैं।

जयपुर मंदिर वृंदावन कैसे पहुँचें?

हवाई मार्ग

सबसे नजदीकी हवाई अड्डा दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो मंदिर से लगभग 160 किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ से टैक्सी या लोकल ट्रांसपोर्ट की मदद से मंदिर तक पहुँचा जा सकता है।

रेल मार्ग

निकटतम रेलवे स्टेशन माधो सिंह रेलवे स्टेशन है। इसके अतिरिक्त मथुरा कैंट रेलवे स्टेशन मंदिर से लगभग 17 किलोमीटर दूर स्थित है। इन स्टेशनों से कैब, बस या ऑटो द्वारा मंदिर पहुँचना आसान है।

सड़क मार्ग

दिल्ली से वृंदावन की दूरी लगभग 185 किलोमीटर है, जिसे यमुना एक्सप्रेसवे और एनएच 44 के माध्यम से 3 घंटे में तय किया जा सकता है। उत्तर प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों से मथुरा के लिए नियमित राज्य परिवहन बस सेवाएं उपलब्ध हैं। साथ ही कई निजी बस ऑपरेटर भी वृंदावन के लिए सेवाएं प्रदान करते हैं।

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Published by Sri Mandir·December 5, 2025

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