जानिए उज्जैन के प्रसिद्ध गढ़कालिका मंदिर की पौराणिक कथा, देवी कालिका की महिमा, दर्शन का समय और मंदिर तक पहुँचने की पूरी जानकारी।
गढ़कालिका मंदिर उज्जैन की प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक है, जो देवी कालिका को समर्पित है। कहा जाता है कि यहां कालिदास को माता की कृपा से ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। यह मंदिर शक्तिसाधना, आस्था और चमत्कारों के लिए जाना जाता है। इस लेख में जानिए मंदिर का इतिहास, धार्मिक महत्व, दर्शन समय और यहां आने का सही तरीका।
गढ़कालिका मंदिर भारत के मध्य प्रदेश राज्य के उज्जैन शहर में स्थित एक प्राचीन और पवित्र शक्ति पीठ है। यह मंदिर देवी कालिका को समर्पित है। माना जाता है कि महान कवि कालिदास इसी मंदिर की देवी के उपासक थे। उनकी रचना ‘श्यामला दंडक’ यहीं से प्रेरित मानी जाती है। प्रत्येक वर्ष उज्जैन में आयोजित होने वाले कालिदास समारोह से पहले माँ गढ़कालिका की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। स्कन्दपुराण में वर्णित चौबीस मातृकाओं में देवी गढ़कालिका का नाम भी शामिल है।
गढ़कालिका मंदिर को लेकर ऐसा माना जाता है कि यह ईसा पूर्व 500 वर्ष पुराना है। पुरातत्व विभाग की खुदाई में यहां से बड़ी ईंटें, टकसाल और प्राचीन सड़कें मिली हैं। कुछ विद्वान इसे महाभारत काल का मानते हैं और इसकी मूर्ति सतयुग की बताई जाती है। सम्राट हर्षवर्धन और परमार शासनकाल में इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया था। सिंधिया राजवंश और ग्वालियर के महाराजाओं द्वारा भी इसका पुनर्निर्माण किया गया।
गढ़कालिका मंदिर की सबसे विशेष मान्यता यह है कि यहां रात्रि 2:30 बजे से ही दर्शन के लिए श्रद्धालु एकत्रित होने लगते हैं, क्योंकि काकड़ा आरती के बाद देवी बाल स्वरूप में दर्शन देती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, रावण वध के बाद जब श्रीराम लौट रहे थे, तब रुद्रसागर के पास रात में देवी और हनुमान के बीच युद्ध हुआ। उस समय माता का एक अंश गलित होकर गिर गया, जो गढ़कालिका के नाम से विख्यात हुआ।
मंदिर का निर्माण परमार कालीन स्थापत्य शैली में हुआ है। गढ़ नामक स्थान पर स्थित होने के कारण इस देवी को 'गढ़कालिका' कहा जाता है। मंदिर परिसर में एक अति प्राचीन दीप स्तंभ है, जिसमें 108 दीपक हैं। यह दीप स्तंभ विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान प्रज्वलित किया जाता है, जो मंदिर की आध्यात्मिक गरिमा को और बढ़ा देता है।
मंदिर का प्रसाद
गढ़कालिका मंदिर में मां कालिका को हलवा, खीर-पूड़ी, पूरणपोली, दाल-चावल और सब्जी-रोटी जैसे व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। भक्तगण श्रद्धा से यह भोग अर्पित करते हैं।
हवाई मार्ग
गढ़कालिका मंदिर का निकटतम हवाई अड्डा देवी अहिल्याबाई होल्कर हवाई अड्डा, इंदौर है। यह मंदिर से लगभग 65 किलोमीटर दूर स्थित है। एयरपोर्ट से उज्जैन तक के लिए टैक्सी, बस और ऑटो आसानी से उपलब्ध हैं।
रेल मार्ग
निकटतम रेलवे स्टेशन उज्जैन रेलवे स्टेशन है, जो मंदिर से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर है। स्टेशन से मंदिर तक जाने के लिए स्थानीय बस और ऑटो की सुविधा उपलब्ध है।
सड़क मार्ग
गढ़कालिका मंदिर, उज्जैन मालीपुर बस स्टैंड से केवल 3.5 किलोमीटर दूर है। मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों से उज्जैन तक राज्य परिवहन निगम की नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं। निजी बसें और टैक्सी सेवाएं भी सुगमता से मिल जाती हैं।
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