जानिए चौंसठ योगिनी मंदिर का पौराणिक रहस्य, इसकी स्थापत्य कला, धार्मिक महत्व, दर्शन समय और वहाँ पहुँचने की सम्पूर्ण जानकारी।
चौंसठ योगिनी मंदिर एक प्राचीन और रहस्यमयी स्थल है, जो देवी शक्ति की 64 रूपों की आराधना का केंद्र माना जाता है। गोलाकार बनावट वाला यह मंदिर तंत्र साधना और अद्भुत वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। इस लेख में जानिए मंदिर का इतिहास, महत्व और इससे जुड़ी खास धार्मिक मान्यताएं।
चौसठ योगिनी मंदिर भारत के मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के मितावली गांव में स्थित है, जो ग्वालियर से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर है। यह मंदिर पिंड रूप में विराजमान 64 योगिनियों को समर्पित है, जिनके अलग-अलग नाम हैं। यह एक प्रसिद्ध तांत्रिक स्थल भी माना जाता है, जहां प्राचीन समय में तंत्र साधना होती थी। कभी यह मंदिर तांत्रिक विश्वविद्यालय के रूप में जाना जाता था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इसे एक प्राचीन ऐतिहासिक स्मारक घोषित किया है।
इस मंदिर का निर्माण लगभग 1000 ईस्वी में कलीचुरी वंश द्वारा करवाया गया था। यह मंदिर एक अलग पहाड़ी पर लगभग 100 फीट ऊंचाई पर स्थित है। गोलाकार बनावट वाला यह मंदिर वास्तुकला की दृष्टि से अत्यंत विशिष्ट है। इसके मध्य में एक नक्काशीदार मंदिर है, जिसे देखकर कई लोग इसे भारतीय संसद भवन की प्रेरणा मानते हैं। संसद भवन और योगिनी मंदिर की गोल संरचना को देखकर यह तुलना अक्सर की जाती है।
यह मंदिर तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध है और यहां आज भी रात में किसी को रुकने की अनुमति नहीं है, चाहे वह मानव हो या पशु-पक्षी। यह रहस्यपूर्ण पहलू इसे और विशेष बनाता है। कई विशेषज्ञ मानते हैं कि संसद भवन की वास्तुकला की प्रेरणा इसी मंदिर से ली गई थी।
चौसठ योगिनी मंदिर गोलाकार संरचना में बना हुआ है, जिसकी त्रिज्या लगभग 170 फीट है। इसके अंदर 64 छोटे-छोटे कक्ष हैं जो योगिनियों को समर्पित हैं। मध्य में स्थित केंद्रीय मंदिर में विशेष जल संचयन व्यवस्था के लिए स्लैब में छिद्र हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए करीब 200 सीढ़ियों को पार करना होता है। यह मंदिर 101 खंभों पर टिका हुआ है और इसकी बनावट इतनी मजबूत है कि यह कई भूकंपों को झेल चुका है।
मंदिर खुलने का समय: सुबह 04:00 बजे से शाम 06:00 बजे तक
मंदिर का प्रसाद
यहां भक्त शिव और देवी को अपनी श्रद्धा अनुसार फल, मिठाई या सूखे मेवे का प्रसाद अर्पित करते हैं। साधक यहां विशेष रूप से तांत्रिक अनुष्ठानों और मनोकामना पूर्ति हेतु पूजा करते हैं।
निकटतम हवाई अड्डा
ग्वालियर हवाई अड्डा – दूरी लगभग 30 किलोमीटर। यहां से बस या ऑटो से मंदिर पहुंचा जा सकता है।
रेलवे स्टेशन
गोहद रोड रेलवे स्टेशन मंदिर से दूरी लगभग 18 किलोमीटर। स्टेशन से ऑटो या बस की सुविधा उपलब्ध है।
सड़क मार्ग
श्रद्धालु मुरैना, मितावली और ग्वालियर से सीधे सड़क मार्ग द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं। यह मुरैना से लगभग 25 किमी और ग्वालियर से 55 किमी दूर है। मध्य प्रदेश के विभिन्न शहरों से मुरैना और ग्वालियर के लिए नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं।
Did you like this article?
उज्जैन स्थित गढ़कालिका मंदिर देवी कालिका को समर्पित एक शक्तिपीठ माना जाता है। जानिए इस मंदिर का पौराणिक इतिहास, कवि कालिदास से जुड़ी मान्यता, धार्मिक महत्व, दर्शन और आरती का समय तथा वहाँ पहुँचने की सम्पूर्ण जानकारी।
प्रयागराज के पड़िला गांव में स्थित पड़िला महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन तीर्थ स्थल है। जानिए इस मंदिर का पौराणिक इतिहास, धार्मिक मान्यताएं, दर्शन व पूजा का समय और वहाँ तक पहुँचने की सम्पूर्ण जानकारी।
वृन्दावन के प्राचीन मदन मोहन मंदिर का इतिहास, श्रीकृष्ण भक्ति में इसका महत्व, मंदिर की स्थापत्य विशेषताएं, दर्शन व आरती समय और वहाँ पहुँचने की सम्पूर्ण जानकारी जानिए। यह मंदिर वैष्णव परंपरा का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।