जानिए मथुरा के प्राचीन भूतेश्वर महादेव मंदिर का पौराणिक महत्व, शिव के भूतेश्वर रूप की कथा, दर्शन का समय और यात्रा से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी।
भूतेश्वर मंदिर मथुरा का प्राचीन शिव मंदिर है, जिसे भगवान शिव के आठवें ज्योतिर्लिंग स्वरूप माना जाता है। मान्यता है कि यहाँ भगवान शिव ने कंस के अत्याचारों से भक्तों की रक्षा का वचन दिया था। इस मंदिर में दर्शन और पूजन करने से भक्तों को भय से मुक्ति, साहस और शक्ति की प्राप्ति होती है।
भगवान श्री कृष्ण की पावन नगरी मथुरा में स्थित भूतेश्वर मंदिर प्राचीन शिव मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे दिव्य शिवलिंग के रूप में पूजा जाता है। भूतेश्वर महादेव को मथुरा का रक्षक और क्षेत्रपाल भी कहा जाता है। मथुरा में महादेव के चार प्रमुख मंदिर हैं जो दिशाओं के रक्षक माने जाते हैं। पूर्व में पिघलेश्वर, पश्चिम में भूतेश्वर, उत्तर में गोकर्णेश्वर और दक्षिण में रंगेश्वर। बृज चौरासी कोस की परिक्रमा हर वर्ष भाद्रपद मास में यहीं से शुरू होकर यहीं समाप्त होती है। यह मंदिर शहर की सीमा में स्थित होने के कारण तीर्थयात्रियों का लोकप्रिय केंद्र बना हुआ है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मथुरा की स्थापना के समय इस मंदिर की स्थापना हुई थी। कहा जाता है कि भगवान राम के भाई शत्रुघ्न ने राक्षस मधु का वध कर इस क्षेत्र को सुरक्षित किया था, जिसके उपलक्ष्य में यह मंदिर बना। एक मान्यता यह भी है कि इस प्राचीन शिवलिंग की स्थापना नाग शासकों द्वारा की गई थी। इसलिए भूतेश्वर मंदिर को मथुरा का सबसे पुराना शिव मंदिर माना जाता है।
भूतेश्वर महादेव को मथुरा नगरी के संरक्षक और संकटों के निवारक के रूप में पूजा जाता है। ब्रजवासी मानते हैं कि भगवान भूतेश्वर हर तरह की बुरी शक्तियों और आपदाओं से नगर की रक्षा करते हैं। यह स्थान एक शक्तिपीठ भी माना जाता है। मान्यता है कि माता सती की अंगूठी यहां गिरी थी, जिससे यह स्थल विशेष धार्मिक महत्ता प्राप्त करता है। मंदिर परिसर में स्थित पाताल देवी गुफा में राजा कंस द्वारा पूजा की जाती थी।
मंदिर की वास्तुकला
यह मंदिर अत्यंत सुंदर और प्राचीन भारतीय स्थापत्य शैली में बना है। इसमें एक विशाल गर्भगृह और एक पाताल देवी गुफा है। गर्भगृह लगभग 100 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला है। मंदिर में एक विशेष नाली बनी है जो साइड गेट से जोड़ती है, जिससे भक्तगण शिवलिंग का अभिषेक कर सकते हैं। मुख्य द्वार के बाईं ओर कई छोटे शिवलिंग भी स्थापित हैं जहाँ फूल चढ़ाना सरल है। मंदिर परिसर में पाताल देवी, काली देवी, गिरिराज महाराज और अन्य देवी-देवताओं के छोटे मंदिर भी स्थित हैं।
मंदिर का प्रसाद
भूतेश्वर महादेव को दूध, दही, शहद, जल और पेड़े का भोग अर्पित किया जाता है। भक्तगण फूलों से शिवलिंग की पूजा करते हैं।
हवाई मार्ग
मथुरा में कोई हवाई अड्डा नहीं है। सबसे नजदीकी एयरपोर्ट आगरा एयरपोर्ट है। यहां से टैक्सी या स्थानीय बस सेवा के माध्यम से मथुरा पहुंचा जा सकता है।
रेल मार्ग
निकटतम रेलवे स्टेशन मथुरा जंक्शन है। स्टेशन से भूतेश्वर महादेव मंदिर की दूरी लगभग 3 किलोमीटर है। ऑटो रिक्शा द्वारा आप लगभग 9 मिनट में मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग
यदि आप सड़क मार्ग से यात्रा करना चाहते हैं तो मथुरा के शांति नगर बस स्टॉप पर उतरें। वहां से मंदिर की दूरी लगभग 1.5 किलोमीटर है, जिसे ऑटो या पैदल तय किया जा सकता है।
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