जानिए भीमगोड़ा कुंड मंदिर का इतिहास, महत्व, दर्शन समय और कैसे पहुँचें।
भीमगोड़ा कुंड हरिद्वार का एक प्राचीन और महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है, जहाँ एक पवित्र जलकुंड (कुंड) के पास मंदिर स्थित है। कहा जाता है कि भीम ने यहाँ पानी उत्पन्न किया था। यह मंदिर हर की पौड़ी के निकट स्थित है और भक्तों की गहरी आस्था का केंद्र है। इस लेख में जानिए भीमगोड़ा कुंड मंदिर हरिद्वार का इतिहास, धार्मिक महत्व और दर्शन की खास बातें।
हरिद्वार का प्रसिद्ध भीमगोड़ा कुंड मंदिर एक अत्यंत पूजनीय और पौराणिक स्थल है, जो आध्यात्मिकता और आस्था से जुड़ा हुआ है। यह कुंड पांडवों के पराक्रमी योद्धा भीम से जुड़ी कथा पर आधारित है और हर साल हजारों श्रद्धालु यहाँ पवित्र स्नान के लिए आते हैं। हर की पौड़ी से लगभग 500 मीटर की दूरी पर स्थित इस मंदिर के पास ही भगवान विष्णु के चौबीस अवतारों को दर्शाने वाली मूर्तियाँ भी स्थित हैं, जो इस क्षेत्र को और भी आध्यात्मिक बनाती हैं।
मंदिर का इतिहास
भीमगोड़ा कुंड मंदिर की उत्पत्ति एक रोचक पौराणिक कथा से जुड़ी है। कहा जाता है कि हिमालय यात्रा के दौरान प्यासे पांडवों में से भीम ने अपनी अपार शक्ति का उपयोग कर ज़मीन पर घुटना मारा, जिससे वहाँ से जल की धारा फूट पड़ी और यह पवित्र कुंड बना। गंगा नदी से पोषित यह कुंड आज भी दिव्यता और आस्था का प्रतीक माना जाता है। इसके नामकरण में भीम के योगदान को सम्मान देते हुए इसे भीमगोड़ा कहा गया।
इस मंदिर को "गुप्त गंगा" और "भीमगोड़ा टैंक" के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि यहां स्नान करने से शरीर के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं और गंगा स्नान तभी पूर्ण माना जाता है जब भीमगोड़ा कुंड में डुबकी लगाई जाए। इस स्थान से प्राचीन काल में बद्रीनाथ यात्रा शुरू होती थी, हालांकि अब वह मार्ग बंद कर दिया गया है।
मंदिर की वास्तुकला
भीमगोड़ा कुंड के समीप निर्मित मंदिर में पांडवों की प्रतिमाएं स्थापित हैं। पौराणिक मान्यता है कि पांडवों ने यहीं रुद्राक्ष रखा और तप किया, जिससे ग्यारह शिवलिंग प्रकट हुए। ये शिवलिंग आज भी मंदिर परिसर में स्थापित हैं। मंदिर की वास्तुकला साधारण होने के बावजूद इसकी आध्यात्मिक आभा और पौराणिकता इसे विशिष्ट बनाती है।
खुलने का समय: सुबह 07:00 बजे से शाम 07:00 बजे तक
प्रसाद: श्रद्धालु अपनी इच्छानुसार फूल, मिठाई या अन्य पूजा सामग्री ला सकते हैं और चढ़ा सकते हैं।
वायु मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है, जो मंदिर से लगभग 38 किलोमीटर दूर है। यहाँ से टैक्सी या ऑटो आसानी से मिल जाते हैं।
रेल मार्ग: हरिद्वार रेलवे स्टेशन सबसे नजदीकी है, जो मंदिर से लगभग 3.5 किलोमीटर की दूरी पर है।
सड़क मार्ग: हरिद्वार दिल्ली समेत देश के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। बस, टैक्सी या निजी वाहन से आसानी से मंदिर पहुंचा जा सकता है। मंदिर हरिद्वार के केंद्र से लगभग 4 किलोमीटर दूर है।
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