श्री भरत मंदिर ऋषिकेश
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श्री भरत मंदिर ऋषिकेश | Shree Bharat Mandir Rishikesh

जानिए श्री भरत मंदिर का इतिहास, दर्शन का समय और कैसे पहुँचें।

भरत मंदिर ऋषिकेश के बारे में

श्री भरत मंदिर ऋषिकेश का एक प्राचीन और पवित्र स्थल है, जो भगवान भरत को समर्पित है। यह मंदिर भक्ति और धार्मिक आस्था के लिए प्रसिद्ध है और यहाँ दर्शन करने से श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति और मनोकामना की प्राप्ति होती है। इस लेख में जानिए श्री भरत मंदिर ऋषिकेश का इतिहास, धार्मिक महत्व और यहाँ दर्शन की खास बातें।

श्री भरत मंदिर, ऋषिकेश का इतिहास (Shree Bharat Mandir Rishikesh)

श्री भरत मंदिर उत्तराखंड के पवित्र शहर ऋषिकेश में स्थित एक अत्यंत प्राचीन और पवित्र मंदिर है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे ऋषिकेश के सबसे पुराने मंदिरों में से एक माना जाता है। मान्यता है कि इस मंदिर के इर्द-गिर्द ही ऋषिकेश नगर की स्थापना हुई थी। यहां अनेक प्राचीन कलाकृतियों को सुरक्षित रूप से संजोकर रखा गया है, जो मंदिर के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती हैं।

मंदिर का इतिहास

श्री भरत मंदिर का उल्लेख स्कन्द पुराण, श्रीमद्भागवत, महाभारत, नृसिंह पुराण और वराह पुराण जैसे ग्रंथों में किया गया है। मान्यता के अनुसार, जब रैभ्य मुनि ने इस स्थान पर घोर तपस्या की, तब भगवान विष्णु प्रसन्न होकर प्रकट हुए और बोले कि वे "हृषीकेश" नाम से यहीं वास करेंगे। तभी से इस स्थान का नाम हृषीकेश पड़ा। इतिहास के अनुसार, लगभग 789 ईस्वी में बसंत पंचमी के दिन आदि शंकराचार्य ने भगवान की प्रतिमा की पुनर्स्थापना की थी। इस परंपरा के अनुसार, आज भी प्रतिवर्ष बसंत पंचमी पर शालिग्राम को मायाकुंड में स्नान करवा कर मंदिर में भव्य शोभायात्रा के साथ लाया जाता है।

श्री भरत मंदिर का महत्व एवं वास्तुकला

श्री भरत मंदिर विशेष रूप से अक्षय तृतीया के दिन की जाने वाली 108 परिक्रमाओं के लिए प्रसिद्ध है। यह परिक्रमा बद्रीनाथ धाम के दर्शन के समान पुण्यफल देने वाली मानी जाती है। मंदिर में भगवान विष्णु के दर्शन मात्र से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होने की मान्यता है। श्रद्धालु यहां आकर आध्यात्मिक शांति और दिव्यता का अनुभव करते हैं।

मंदिर की वास्तुकला

मंदिर के गर्भगृह में स्थापित भगवान विष्णु की प्रतिमा एक ही शालिग्राम पत्थर से निर्मित है। मंदिर परिसर में स्थित एक विशेष वृक्ष त्रिवेणी स्वरूप है, जिसमें वटवृक्ष, पीपल और बेल के वृक्ष एक साथ जुड़े हुए हैं। यह वृक्ष ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक माने जाते हैं। इस वृक्ष के नीचे एक खंडित बुद्ध प्रतिमा भी स्थापित है, जो अशोक काल की मानी जाती है और बौद्ध संस्कृति से जुड़ी है।

श्री भरत मंदिर का समय

  • सुबह: 05:00 AM - 11:00 AM

  • सांयकाल: 01:00 PM - 09:00 PM

श्री भरत मंदिर का प्रसाद

भगवान विष्णु को पीली वस्तुएं, सूखे मेवे, फल और पुष्प अर्पित किए जाते हैं। श्रद्धालु यहाँ भक्ति भाव से भोग लगाते हैं।

श्री भरत मंदिर ऋषिषेश कैसे पहुंचें?

विमान मार्ग

निकटतम एयरपोर्ट जॉली ग्रांट (देहरादून) है, जो मंदिर से लगभग 18 किलोमीटर दूर है। एयरपोर्ट से टैक्सी या ऑटो के माध्यम से 28 मिनट में मंदिर पहुंचा जा सकता है।

रेल मार्ग

सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है, जो मंदिर से मात्र 1.6 किलोमीटर दूर है। स्टेशन से ऑटो, टैक्सी या पैदल भी मंदिर तक पहुँचा जा सकता है।

सड़क मार्ग

ऋषिकेश दिल्ली, बिजनौर और देहरादून जैसे शहरों से अच्छी तरह सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। बस सेवा भी सुगमता से उपलब्ध है। ऋषिकेश बस स्टैंड से मंदिर की दूरी लगभग 1 किलोमीटर है, जिसे ऑटो या पैदल तय किया जा सकता है।

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Published by Sri Mandir·November 27, 2025

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