अनसूइया माता मंदिर चमोली
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अनसूइया माता मंदिर चमोली | Anusuya Mata Mandir Chamoli

जानिए अनसूइया माता मंदिर का इतिहास, दर्शन समय, महत्व और वहाँ तक कैसे पहुँचें।

अनसूइया माता मंदिर चमोली के बारे में

अनसूइया माता मंदिर चमोली का एक प्राचीन और पवित्र धार्मिक स्थल है, जो माता अनसूइया को समर्पित है। यह मंदिर अपनी ऐतिहासिकता और शांति भरे वातावरण के लिए भक्तों को आकर्षित करता है। इस लेख में जानिए अनसूइया माता मंदिर चमोली का इतिहास, धार्मिक महत्व और यहाँ दर्शन की खास बातें।

अनसूइया माता मंदिर, चमोली का इतिहास (Anusuya Mata Mandir Chamoli)

अनसूइया देवी मंदिर उत्तराखंड के प्रमुख और पवित्र मंदिरों में से एक है। यह मंदिर चमोली जिले के गोपेश्वर शहर के पास स्थित है और समुद्र तल से लगभग 2000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। गोपेश्वर से इसकी दूरी लगभग 19 किलोमीटर और चमोली से 29 किलोमीटर है। यह मंदिर गोपेश्वर-चोपता मार्ग पर स्थित है। मंदिर तक पहुंचने के लिए मंडल गांव तक सड़क मार्ग से पहुंचना होता है, इसके बाद 6 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है। यह मंदिर देवी सती के रूप में पूजित देवी अनसूइया को समर्पित है, जिन्हें अत्रि मुनि की पतिव्रता पत्नी माना जाता है।

मंदिर का इतिहास

अनसूइया शक्तिपीठ बद्रीनाथ और केदारनाथ के मध्य स्थित है। पौराणिक कथा के अनुसार, देवी अनसूइया की ख्याति जब तीनों लोकों में फैलने लगी, तब माता लक्ष्मी, पार्वती और सरस्वती ने उनके पतिव्रता धर्म की परीक्षा लेने की इच्छा व्यक्त की। उनके अनुरोध पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश साधु का वेश धर कर पृथ्वी पर आए और अनसूइया देवी से भिक्षा मांगी। जब देवी भिक्षा देने आयीं, तो उन्होंने उनसे निर्वस्त्र होकर भोजन कराने की मांग की। देवी ने अपने पति अत्रि मुनि का स्मरण किया और साधुओं पर कमंडल का जल छिड़का, जिससे वे तीनों बाल रूप में परिवर्तित हो गए। देवी ने उन्हें स्तनपान कराया और उनकी सेवा की। बाद में तीनों देवियाँ पृथ्वी पर आकर देवी से क्षमा याचना करती हैं। इसके पश्चात तीनों देवों ने देवी से वचन दिया कि वे उनकी कोख से जन्म लेंगे और उन्हें वरदान दिया कि यहां आने वाले किसी भक्त की कोख सूनी नहीं रहेगी। इसी कारण इस मंदिर का विशेष महत्व माना जाता है।

अनसूइया माता मंदिर का महत्व एवं वास्तुकला

माना जाता है कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने देवी अनसूइया के पुत्र रूप में जन्म लिया और वे इसी स्थान पर निवास करते थे। प्रतिवर्ष दिसंबर माह में दत्तात्रेय जयंती के अवसर पर यहां बड़ा उत्सव मनाया जाता है, जिसमें देशभर से श्रद्धालु शामिल होते हैं। यह मंदिर विशेष रूप से निसंतान दंपतियों के लिए पूजनीय है, जो संतान की प्राप्ति के लिए यहां मन्नतें मांगते हैं। मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से यहां पूजा करता है, उसकी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं।

मंदिर की वास्तुकला

अनसूइया मंदिर तक पहुँचने का मार्ग एक सुंदर ट्रेक के रूप में है, जिसकी लंबाई लगभग 6 किलोमीटर है। यह रास्ता नदी किनारे, हरियाली और सुंदर गांवों से होकर जाता है। मंदिर परिसर में पहुंचने पर सबसे पहले गणेश जी की एक विशाल मूर्ति दिखाई देती है, जो एक चट्टान पर उकेरी गई है। मंदिर से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर अत्रि मुनि का आश्रम स्थित है, जो एक गुफा के रूप में बना है। यह स्थान विशिष्ट रूप से पवित्र माना जाता है, जहां भक्त नदी की परिक्रमा श्रद्धा के प्रतीक के रूप में करते हैं।

अनसूइया माता मंदिर का समय

अनसूइया माता मंदिर प्रतिदिन प्रातः 05:00 बजे से रात्रि 09:00 बजे तक खुला रहता है।

अनसूइया माता मंदिर का प्रसाद

माता को प्रसाद स्वरूप मिठाई, फल, फूल, चुनरी, फूल माला आदि अर्पित किए जाते हैं। भक्तगण पूजा के बाद इन्हें प्रसाद रूप में ग्रहण करते हैं।

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Published by Sri Mandir·November 26, 2025

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