क्या आप अपने घर और जीवन में शुद्धता, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक बल चाहते हैं? तुलसी स्तुति से पाएं तुलसी माता का आशीर्वाद – जानिए इसका पाठ और चमत्कारी लाभ।
हिंदू धर्म में तुलसी को पवित्र और पूजनीय माना जाता है। तुलसी में नारायण पत्नी और धन की देवी मां लक्ष्मी का वास होता है। वहीं, तुलसी की पूजा करते समय तुलसी स्तुति करने से घर में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है। अगर आप इस स्तुति के बारे में और ज्यादा जानकारी जानना चाहते हैं तो हमारे इस आर्टिकल को पढ़ें, जहां आपको इस स्तुति से संबंधित सारी जानकारी एक स्थान पर मिल जाएगी।
जो साधक रोजाना तुलसी स्तुति करता है उसको मां लक्ष्मी और श्रीहरि विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। साथ ही जीवन में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है। तुलसी पूजा के समय तुलसी स्तुति का पाठ और तुलसी मंत्रों का जाप विशेष फलदायी माना गया है। मान्यता है कि तुलसी स्तुति करने से कर्ज और दरिद्रता से मुक्ति मिलती है। तुलसी स्तुति से साधक के जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है और नकारत्मकता विचारों से मुक्ति मिलती है।
नीचे बताई जा रही स्तुतियों में से पूजा के समय किसी भी स्तुति का पाठ कर सकते हैं। दोनों ही स्तुतियां तुलसी की महिमा का गुणगान करती हैं। पूजा करते समय इनमें से कोई एक स्तुति का पाठ अवश्य करें।
तुलसि श्रीसखि शुभे पापहारिणि पुण्यदे ।
नमस्ते नारदनुते नारायणमनःप्रिये ॥
मनः प्रसादजननि सुखसौभाग्यदायिनि ।
आधिव्याधिहरे देवि तुलसि त्वां नमाम्यहम् ॥
यन्मूले सर्वतीर्थानि यन्मध्ये सर्वदेवताः ।
यदग्रे सर्व वेदाश्च तुलसि त्वां नमाम्यहम् ॥
अमृतां सर्वकल्याणीं शोकसन्तापनाशिनीम् ।
आधिव्याधिहरीं नॄणां तुलसि त्वां नम्राम्यहम् ॥
देवैस्त्चं निर्मिता पूर्वं अर्चितासि मुनीश्वरैः ।
नमो नमस्ते तुलसि पापं हर हरिप्रिये ॥
सौभाग्यं सन्ततिं देवि धनं धान्यं च सर्वदा ।
आरोग्यं शोकशमनं कुरु मे माधवप्रिये ॥
तुलसी पातु मां नित्यं सर्वापद्भयोऽपि सर्वदा ।
कीर्तिताऽपि स्मृता वाऽपि पवित्रयति मानवम् ॥
या दृष्टा निखिलाघसङ्घशमनी स्पृष्टा वपुःपावनी
रोगाणामभिवन्दिता निरसनी सिक्ताऽन्तकत्रासिनी ।
प्रत्यासत्तिविधायिनी भगवतः कृष्णस्य संरोपिता
न्यस्ता तच्चरणे विमुक्तिफतुलसि श्रीसखि शुभे पापहारिणि पुण्यदे ।
नमस्ते नारदनुते नारायणमनःप्रिये ॥
॥ इति श्री तुलसीस्तुतिः ॥
नमो नमो तुलसी महारानी
नमो नमो हरि की पटरानी
जाको दरस परस अघ नासे महिमा वेद पुराण बखानी
साखा पत्र, मंजरी कोमल श्रीपति चरण कमल लपटानी
धन्य आप ऐसो व्रत किन्हों सालिग्राम के शीश चढ़ानी
छप्पन भोग धरे हरि आगे तुलसी बिन प्रभु एक ना मानी
प्रेम प्रीत कर हरि वश किन्हें सांवरी सूरत हृदय समानी
छप्पन भोग धरे हरि आगे तुलसी बिन प्रभु एक ना मानी
प्रेम प्रीत कर हरि वश किन्हें सांवरी सूरत हृदय समानी
मीरा के प्रभु गिरधर नागर भक्ति दान दीजै महारानी
तुलसी स्तुति का पाठ विधिपूर्वक करने से अत्यंत शुभ फल प्राप्त होता है। नियम और श्रद्धा के साथ पाठ करने से साधक पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसती है। तुलसी स्तुति का पाठ रोजाना किया जा सकता है। वहीं, शुक्रवार, एकादशी और नवरात्रि जैसे विशेष दिनों में पाठ करना अधिक फलदायी माना जाता है। सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करके साफ कपड़े धारण कर लें।
फिर पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। जहां आपने तुलसी रखी है वहां लाल कपड़ा बिछा दें। इसके बाद पंचामृत या गंगाजल से तुलसी का अभिषेक करें और तुलसी को चंदन, कुमकुम, अक्षत, लाल फूल, फल और मिठाई अर्पित करें। फिर दीपक, धूप और अगरबत्ती जलाएं।
इसके बाद तुलसी पूजन मंत्र तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी, धर्या धर्मानना देवी देवीदेवमनः प्रिया, लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्। तुलसी भूर्महालक्ष्मीः पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया का जाप करें। इस कार्य के बाद तुलसी स्तुति का पाठ करें। पाठ करते समय आसपास शांति रहे इसका ध्यान रखें और मन में किसी तरह के कोई भी नकारात्मक विचार न आने दें। पाठ पूर्ण होने के बाद तुलसी माता की आरती करें, भोग अर्पित करें और अंत में उनसे सुख, समृद्धि और कल्याण की प्रार्थना करें।
ध्यान रखें किसी विशेष मुहूर्त पर पूजन करने के लिए जानकारी पंडित और विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें और फिर पूजा को विधिपूर्वक करें ताकि पूजा सही समय पर हो और अधिक प्रभावशाली सिद्ध हो।
तुलसी स्तुति का पाठ करने से कई तरह के लाभ मिलते हैं।
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