क्या आप जीवन में साहस, शक्ति और युद्ध में विजय चाहते हैं? कार्तिकेय स्तुति से पाएं भगवान कार्तिकेय का आशीर्वाद – जानिए इसका पाठ और चमत्कारी लाभ।
भगवान कार्तिकेय को युद्ध, ज्ञान का देवता माना जाता है। इनकी स्तुति एक प्रभावशाली स्तुति है। यह स्तुति ज्ञान साहस, विजय, सुरक्षा और आत्मिक शांति प्रदान करती है। अगर आप कार्तिकेय स्तुति के महत्व, लाभ और विधि को जानना चाहते हैं तो हमारे इस लेख को पढ़िए, जहां आपको इस स्तुति से संबंधित सारी जानकारी एक स्थान पर मिल जाएगी।
कार्तिकेय देवों के देव महादेव और माता पार्वती के पुत्र हैं। दक्षिण में भगवान कार्तिकेय को सबसे अधिक पूजा जाता है। इनकी स्तुति में उनके अद्भुत रूप, दिव्य गुणों, शक्तियों और पराक्रम का वर्णन किया गया है। इनकी स्तुति करने से कई लाभ मिलते हैं और जीवन में खुशियों का आगमन होता है सफलता की प्राप्ति होती है।
भास्वद्वज्ज्रप्रकाशो दशशतनयनेनार्चितो वज्रपाणिः
भास्वन्मुक्ता- सुवर्णाङ्गदमुकुटधरो दिव्यगन्धोज्ज्वलाङ्गः।
पावलेशो गुणाढ्यो हिमगिरितनयानन्दनो वह्निजातः
पातु श्रीकार्तिकयो नतजनवरदो भक्तिगम्यो दयालुः॥
सेनानीर्देवसेना- पतिरमरवरैः सन्ततं पूजिताङ्घ्रिः
सेव्यो ब्रह्मर्षिमुख्यैर्विगतकलि- मलैज्ञानिभिर्मोक्षकामैः।
संसाराब्धौ निमग्न्नैगृहसुखरतिभिः पूजितो भक्तवृन्दैः
सम्यक् श्रीशम्भुसूनुः कलयतु कुशलं श्रीमयूराधिरूढः॥
लोकांस्त्रीन् पीडयन्तं दितिदनुजपतिं तारकं देवशत्रुं
देशात्प्राप्तसिद्धि शितकनकशरैर्लीलया नाशयित्वा।
द्राद्यादितेयै- मणिगणखचिते हेमसिंहासने यो
ब्रह्मण्यः पातु नित्यं परिमलविलसत्-पुष्पवृष्ट्याऽभिषिक्तः॥
युद्धे देवासुराणा - मनिमिषपतिना स्थापितो यूथपत्वे
युक्तः कोदण्डबाणासि कुलिशपरिधैः सेनया देवतानाम्।
हत्वा दैत्यान्प्रमत्तान् जयनिनदयुतै- र्मङ्गलैर्वाद्यघोषैः
हस्तिश्रेष्ठाधिरूढो विबुधयुवतिभिर्वीजितः पातु युक्तः॥
श्रीगौरीकान्तपुत्रं सुरपतनयया विष्णुपुत्र्या च युक्तं
श्रीस्कन्दं ताम्रचूडा- भयकुलिशधरं शक्तिहस्तं कुमारम्।
षड्ङ्ग्रीवं मनुवेषं त्रिदिववरसुमस्रग्धरं देवदेवं
षड्वक्लं द्वादशाक्षं गणपतिसहजं तारकारि नमामि॥
कैलासोत्तुङ्गशृङ्गे प्रमथसुरगणैः पूजितं वारिवाहं
साद्रीशपुत्रं मुनिजनहृदयानन्दनं वारिजाक्षम्।
गन्धाड्यां पारिजातप्रभृति- सुमकृतां मालिकां धारयन्तं
गङ्गापत्यं भजेऽहं गुहममरनुतं तप्तजाम्बूनदाभम्॥
भक्तेष्टार्थप्रदाने निरतमभयदं ज्ञानशक्तिं सुरेशं
भक्त्या नित्यं सुरर्षिप्रमुख- मुनिगणैरर्चितं रक्तवर्णम्।
वन्धं गन्धर्वमुख्यैर्भव- जलधितरि पीतकौशेयवस्त्रं
वन्दे श्रीबाहुलेयं मदनरिपुसुतं कोटिचन्द्रप्रकाशम्॥
तप्तस्वर्णाभकायं मधुरिपुतनया- कान्तमम्भोजनेत्रं
तत्त्वज्ञं चन्द्रमौलिप्रियसुत- मिभवक्त्रानुजं शक्तिपाणिम्।
गाङ्गेयं कार्तिकयं स्मरसदृशवपुं रत्नहारोज्ज्वलाङ्ग
गानप्रेमं शुभाङ्गं स्मितरुचिरमुखं चारुभूषं नमामि॥
ध्यायेद्वालार्ककान्तिं शरवनजनितं पार्वतीप्रीतिपुत्रं
प्रेमं कृपालुं वरदमघहरं पुण्यरूपं पवित्रम्।
नित्यानन्दं वरेण्यं रजतगिरिवरोत्तुङ्ग- शृङ्गाधिवासं॥
कार्तिकेय स्तुति का पाठ विधिपूर्वक करने से अत्यंत शुभ फल प्राप्त होता है।
ध्यान रखें किसी विशेष मुहूर्त पर पूजन करने के लिए जानकारी पंडित और विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें और फिर पूजा को विधिपूर्वक करें ताकि पूजा सही समय पर हो और अधिक प्रभावशाली सिद्ध हो।
कार्तिकेय स्तुति पाठ के कई फायदे होते हैं।
धार्मिक लाभ और पाप से मुक्तिः कार्तिकेय स्तुति भगवान कार्तिकेय के प्रति गहरी श्रद्धा और भक्ति को जाग्रत करती है। कार्तिकेय की पूजा, स्तुति करने से पापों का नाश होता है।
मानसिक लाभ की प्राप्ति: नियमित रूप से कार्तिकेय स्तुति का पाठ करने से मानसिक तनाव और चिंता कम होती है। यह स्तुति मन को स्थिर, शांत और एकाग्र बनाती है।
स्वास्थ्य, धन और सफलता की प्राप्ति: कार्तिकेय स्तुति भक्तों को स्वास्थ्य, समृद्धि और सफलता के मार्ग पर आगे बढ़ने की शक्ति देती है। भगवान कार्तिकेय की कृपा से रोग, दरिद्रता और असफलता दूर होती है।
जीवन में संतुलन और परिवारिक सुख की प्राप्ति: कार्तिकेय स्तुति न केवल व्यक्तिगत लाभ देती है, बल्कि यह परिवार में सुख, शांति और आपसी प्रेम भी बढ़ाती है। भगवान कार्तिकेय को विवाह, संतान और गृहस्थ जीवन के लिए शुभ माना जाता है। उनकी कृपा से जीवन में संतुलन बना रहता है और सभी कार्य सफल होते हैं।
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