क्या करें और क्या न करें रेवती नक्षत्र में? जानिए जन्म, विवाह, करियर और उपायों से जुड़ी जरूरी जानकारी!
भारतीय वैदिक ज्योतिष में 27 नक्षत्रों का विशेष महत्व है और इनमें से अंतिम नक्षत्र है रेवती नक्षत्र। यह नक्षत्र न केवल किसी जातक के स्वभाव और व्यक्तित्व को आकार देता है, बल्कि उसके करियर, विवाह जीवन और भाग्य पर भी गहरा असर डालता है। चलिए इस लेख में रेवती नक्षत्र के बारे में विस्तार से जानते हैं।
रेवती नक्षत्र 27वें और अंतिम नक्षत्र है। यह नक्षत्र मीन राशि में आता है और इसका विस्तार 16 अंश 40 कला से लेकर 30 अंश 00 कला तक होता है। इसका प्रतीक "मछली" है, जो प्रेम, कोमलता और देखभाल का प्रतीक माना जाता है। रेवती का शाब्दिक अर्थ होता है “धन-सम्पत्ति देने वाली”। इसे समृद्धि, सम्पन्नता और सौभाग्य का नक्षत्र माना जाता है।
इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग बहुत ही संवेदनशील, आध्यात्मिक और करुणामय होते हैं। इनके अंदर दूसरों की मदद करने की स्वाभाविक भावना होती है।
रेवती नक्षत्र को देवगण में गिना जाता है और इसे शुभ नक्षत्र माना जाता है। चूंकि यह मीन राशि का हिस्सा है, इसलिए इसमें जल तत्व की प्रधानता होती है, जो भावनाओं और संवेदनाओं से जुड़ा होता है। यह नक्षत्र जातक को आध्यात्म के मार्ग पर भी ले जाने में सहायक होता है।
रेवती नक्षत्र की ऊर्जा अत्यंत शांत और सौम्य होती है। यह मनुष्य को परोपकारी, त्यागी और विनम्र बनाती है। इस नक्षत्र में चंद्रमा की स्थिति जातक को कल्पनाशील, कला प्रिय और सौंदर्य प्रेमी बनाती है। यह नक्षत्र किसी भी कार्य के पूर्णता का प्रतीक भी माना जाता है क्योंकि यह चंद्रमा की यात्रा का अंतिम चरण है।
रेवती नक्षत्र का स्वामी ग्रह है बुध। बुध ग्रह बुद्धिमत्ता, संवाद कौशल, वाणी, गणित, व्यापार और तार्किक सोच से संबंधित है। जब बुध रेवती नक्षत्र के शांत, भावुक और करुणामय प्रभाव से मिलता है, तो जातक अत्यंत बुद्धिमान, विचारशील और कुशल वक्ता बनते हैं।
बुध ग्रह जातक के मानसिक संतुलन, किसी भी विषय के विश्लेषण करने की शक्ति और प्रोफेशनल लाइफ में मनचाहा लक्ष्य हासिल करने की क्षमता को भी बढ़ाता है। इस नक्षत्र में बुध का प्रभाव होने के कारण जातक कल्पनाशील होते हुए भी प्रैक्टिकल निर्णय लेने में सक्षम होते हैं।
रेवती नक्षत्र में जन्मे लोग बहुत ही सौम्य, संवेदनशील और सहयोगी स्वभाव के होते हैं। उनके दिल में दूसरों के लिए करुणा और अपनापन होता है। वे किसी को दुख में नहीं देख सकते और हमेशा दूसरों की मदद करने को तत्पर रहते हैं।
ये जातक भावुक होते हैं लेकिन साथ ही समझदार भी।
आत्मा से आध्यात्मिक और भगवान में आस्था रखने वाले होते हैं।
कला, संगीत, लेखन या आध्यात्मिक मार्ग में रुचि रखते हैं।
बहुत ही अच्छे दोस्त और भरोसेमंद साथी होते हैं।
इनके विचारों में शांति और व्यवहार में मिठास होती है।
कभी-कभी इन्हें अपने आसपास की दुनिया से अलग-थलग महसूस होता है, क्योंकि ये बहुत ही भावनात्मक होते हैं।
रेवती नक्षत्र के लोग व्यवसाय और करियर में भी थोड़े भावुक होते हैं। इनकी रुचि ऐसे क्षेत्रों में होती है, जो सेवा, कला, संचार या अध्यात्म से जुड़े हों।
शिक्षक, लेखक, कवि या पत्रकार
संगीतकार, चित्रकार, फिल्म या थिएटर कलाकार
डॉक्टर, काउंसलर, मनोवैज्ञानिक
सामाजिक कार्यकर्ता, NGO या सेवा से जुड़ा कोई कार्य
आध्यात्मिक मार्गदर्शक या योग-प्रशिक्षक
विज्ञापन, मार्केटिंग, या कम्युनिकेशन एक्सपर्ट
रेवती नक्षत्र में जन्मे लोगों के लिए विवाह जीवन काफी भावनात्मक और समर्पित होता है। वे अपने जीवनसाथी के लिए समर्पित रहते हैं और रिश्तों को दिल से निभाते हैं।
अपने जीवनसाथी के प्रति बेहद वफादार और भावुक होते हैं।
जीवनसाथी से मानसिक और आत्मिक जुड़ाव की अपेक्षा करते हैं।
किसी भी तरह के संघर्ष से बचते हैं और संवाद से हल निकालना पसंद करते हैं।
यदि साथी इनकी भावनाओं को समझे और सम्मान दे, तो रिश्ता अत्यंत मजबूत और मधुर होता है।
कभी-कभी बहुत अधिक भावुक होने की वजह से खुद को आहत भी कर लेते हैं।
यदि किसी की कुंडली में रेवती नक्षत्र में कुछ दोष हो या बुध का प्रभाव नकारात्मक हो रहा हो, तो कुछ उपाय और मंत्रों के माध्यम से राहत मिल सकती है।
"ॐ बुधाय नमः"
इस मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जाप करें।
बुधवार के दिन हरे वस्त्र पहनें और हरे रंग के फल या मिठाई का दान करें।
बुद्ध पूर्णिमा के दिन गरीब बच्चों को किताबें या कलम दान करें।
तुलसी के पौधे की सेवा करें और उसमें जल चढ़ाएं।
ध्यान को रोजमर्रा की आदत बनाएं
आपकी सोच बहुत गहरी और रचनात्मक होती है। इसे लेखन, चित्रकला, संगीत या सेवा जैसे कामों में लगाएं। इससे आपको आत्मसंतोष और सफलता दोनों मिलेगी।
रेवती जातक मानसिक रूप से बहुत भावुक होते हैं, इसलिए उन्हें ध्यान और योग करना चाहिए। इससे मानसिक शांति बनी रहती है और आत्मबल बढ़ता है।
आप स्वभाव से मददगार होते हैं, पर ज़रूरत से ज्यादा त्याग करने करके खुद को नुकसान न पहुँचाएं। संतुलन बनाए रखें।
भावनात्मक होने के साथ-साथ आपको मजबूत बनना भी जरूरी है। खुद पर विश्वास रखें और फैसले भावनाओं में नहीं, बल्कि सोच समझ कर लें।
भावनाएं आपकी ताकत हैं, पर अगर आप हर बात दिल पर लेंगे तो फैसले गलत हो सकते हैं। ऐसे में कोई भी निर्णय भावनाओं में बहकर न लें।
आप दूसरों की भावनाओं का बहुत ख्याल रखते हैं, लेकिन हर समय सभी को खुश रखने की कोशिश आपको थका सकती है। इसलिए अपनी क्षमता से बहुत अधिक करने की कोशिश न करें।
आपको कभी-कभी लग सकता है कि कोई आपको नहीं समझता। उस समय अपने मन को नकारात्मक न होने दें, बल्कि अपनी ओर से पहल करके किसी करीबी दोस्तों या गुरुजनों से बात करें।
भावुक स्वभाव होने के कारण व्यक्तिगत और प्रोफेशनल संबंधों, दोनों को लेकर भावनात्मक निर्णय लेते हैं। ऐसा न करें, व्यावसायिक जीवन में प्रैक्टिकल रहने का प्रयास करें।
Did you like this article?
अभिजीत नक्षत्र का ज्योतिषीय महत्व क्या है? जानिए स्वभाव, करियर, विवाह, उपाय और क्या करें–क्या न करें से जुड़ी रोचक जानकारी!
उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में जन्मे लोग कैसे होते हैं? जानिए स्वभाव, करियर, विवाह, उपाय और क्या करें–क्या न करें से जुड़ी रोचक ज्योतिषीय बातें!
पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में जन्मे लोग कैसे होते हैं? जानिए स्वभाव, करियर, विवाह, उपाय और क्या करें–क्या न करें से जुड़ी रोचक ज्योतिषीय बातें!