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मूल नक्षत्र

क्या करें और क्या न करें मूल नक्षत्र में? जानिए जन्म, विवाह, करियर और उपायों से जुड़ी जरूरी जानकारी!

मूल नक्षत्र के बारे में

नक्षत्र व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये हमारे स्वभाव, सोच और फैसलों को प्रभावित करते हैं। नक्षत्रों की मदद से हम अपने करियर, स्वास्थ्य, संबंध और जीवन के अन्य पहलुओं में सही दिशा चुन सकते हैं। वे शुभ और अशुभ समय जानने में भी मदद करते हैं, जिससे जीवन में सफलता और खुशहाली बढ़ती है। तो आज के आर्टिकल में पढ़ें मूल नक्षत्र के बारे में। यहां आपको मिलेगी सारी जानकारियां एक साथ।

मूल नक्षत्र क्या है?

मूल नक्षत्र वैदिक ज्योतिष के 27 नक्षत्रों में से एक है और इसे एक उग्र तथा तीक्ष्ण स्वभाव वाला नक्षत्र माना जाता है। यह धनु राशि में आता है। इन नक्षत्रों में जन्म लेने वाले जातकों को जीवन में कुछ कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। मूल नक्षत्र के जातक साहसी, गहराई से सोचने वाले होते हैं। इनकी सोच अलग होती है और ये पारंपरिक नियमों से हटकर चलना पसंद करते हैं।

मूल नक्षत्र का ज्योतिषीय महत्व

मूल नक्षत्र का ज्योतिषीय दृष्टिकोण से विशेष महत्व है। मूल नक्षत्र को एक महत्वपूर्ण नक्षत्र माना जाता है और इसका जन्म कुंडली में कई तरह के प्रभाव पड़ते हैं। इस नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति के स्वभाव, करियर और वैवाहिक जीवन पर इसके प्रभाव होते हैं।

मूल नक्षत्र का स्वामी ग्रह कौन है?

मूल नक्षत्र का स्वामी ग्रह केतु है। यह नक्षत्र आक्रामक ग्रहों का केंद्र माना जाता है। हालांकि, मूल नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों पर गुरु और केतु दोनों का प्रभाव होता है। अक्सर इस नक्षत्र के बच्चों की पूजा और नक्षत्र शांति करवाकर उन्हें शुभ माना जाता है, जिससे उनके जीवन में सकारात्मक प्रभाव आता है।

मूल नक्षत्र में जन्मे जातकों का स्वभाव और विशेषताएं

1. तेजस्वी और यशस्वी: मूल नक्षत्र में शुभ प्रभाव वाले जातक तेज बुद्धि और यशस्वी होते हैं। वे दूसरों से अलग सोच रखते हैं और अपने क्षेत्र में आगे बढ़ते हैं।

2. क्रोधी और ईर्ष्यालु स्वभाव: अगर ग्रहों का अशुभ प्रभाव हो तो ये जातक जल्दी गुस्सा करते हैं और ईर्ष्या करते हैं। 

3. दृढ़ निश्चयी और मेहनती: ये लोग अपने कठिन लक्ष्यों को पाने के लिए पूरी मेहनत करते हैं। वे अपने उद्देश्य पर पूरा ध्यान केंद्रित रखते हैं और हार नहीं मानते।

4. बुद्धिमान और कुशल वक्ता: इस नक्षत्र के जातक पढ़ाई में अच्छे होते हैं और वक्तृत्व कला में भी निपुण होते हैं। वे अच्छे डॉक्टर, शोधकर्ता या वैज्ञानिक बन सकते हैं क्योंकि उनमें खोजी स्वभाव होता है।

5. स्वतंत्रता पसंद: यदि परिवार के बंधनों से मुक्त किए जाएं तो ये जातक कुछ नया और अलग कर दिखाते हैं।

इस नक्षत्र में जन्मे लोगों का करियर और व्यवसाय

मूल नक्षत्र में जन्मे लोग गंभीर, होशियार और भविष्य के प्रति सजग होते हैं। ये अपने काम समय पर पूरा करते हैं और मुश्किलों का सामना साहस से करते हैं। इन्हें विदेश में काम या व्यापार के अवसर भी मिल सकते हैं। करियर में ये चिकित्सा, ज्योतिष, मीडिया, राजनीति, अध्ययन, शोध, तर्कशक्ति वाले क्षेत्र जैसे लेखक, वकील, राजनेता और डॉक्टर के रूप में सफल होते हैं। ये खोज और अन्वेषण, भूविज्ञान, पर्यावरण विज्ञान, शिक्षक, प्रोफेसर, मार्गदर्शक, ज्योतिष और आध्यात्मिक क्षेत्रों में भी अपनी प्रतिभा दिखाते हैं। इनके पास संचार कौशल होता है, जिससे मीडिया और मार्केटिंग में भी सफलता मिलती है। सामाजिक कार्यों में भी इनकी रुचि होती है। व्यवसाय में ये खुद का काम करना पसंद करते हैं और पारंपरिक व्यवसाय जैसे सब्जी विक्रेता, गणितज्ञ आदि भी कर सकते हैं। इसके अलावा आईटी, वित्तीय सेवाएं और रियल एस्टेट क्षेत्र में भी ये अच्छा करियर बना सकते हैं। मूल नक्षत्र के लोग मेहनती और समझदार होते हैं, जो हर क्षेत्र में सफलता पा सकते हैं।

विवाह जीवन

मूल नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोगों के विवाह जीवन पर ज्योतिष में खास ध्यान दिया जाता है। हालांकि, हर व्यक्ति का अनुभव अलग होता है क्योंकि कुंडली में अन्य ग्रहों की स्थिति भी महत्वपूर्ण होती है। पुरुषों के मामले में, उनके वैवाहिक जीवन में घर की शांति बनी रहती है और जीवनसाथी सहयोगी होती है। वहीं, महिलाओं के लिए कभी-कभी वैवाहिक जीवन में साथी से दूरी या संतान संबंधी कुछ समस्याएं आ सकती हैं। सामान्य तौर पर, मूल नक्षत्र वाले जातकों का विवाह जीवन सुखद होता है, लेकिन उन्हें परिवार में सहयोग की कमी या रिश्तों में थोड़ी कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ सकता है। 

उपाय और शुभ मंत्र

मूल नक्षत्र को शांत करने के लिए कुछ खास उपाय और शुभ मंत्रों का जाप किया जाता है। जन्म के 27वें दिन गंडमूल शांति पूजा करवाना बहुत फलदायक माना जाता है, जिससे नक्षत्र की नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं। मूल नक्षत्र में जन्म लेने वाले बच्चों के माता-पिता को नियमित रूप से ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए, जिससे बच्चे का स्वास्थ्य मजबूत रहता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। यदि बच्चे की सेहत में किसी प्रकार की समस्या हो, तो बच्चे की माता को पूर्णिमा के दिन उपवास रखने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा, मूल नक्षत्र के लिए कई और भी शुभ मंत्र  उपयोगी माने जाते हैं। ये उपाय और मंत्र जीवन में सुख-समृद्धि लाने, स्वास्थ्य ठीक रखने और नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद करते हैं। हालांकि, किसी भी तरह के उपायों और मंत्रों को क्रियान्वित करने से पहले किसी जानकार और विशेषज्ञ पंडित से इसकी जानकारी जरूर लेनी चाहिए।

मूल नक्षत्र में क्या करें और क्या न करें?

मूल नक्षत्र में जन्म लेने वालों के लिए कुछ विशेष उपाय और सावधानियां जरूरी होती हैं, ताकि उनके जीवन में शुभता बनी रहे और नकारात्मक प्रभाव कम हो सकें। इन उपायों को अपनाने से बच्चे का स्वास्थ्य और भाग्य मजबूत होता है। साथ ही परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

मूल नक्षत्र में क्या करें

गंडमूल शांति पूजा करवाना, पिता का 27 दिनों तक बच्चे का मुख न देखना और गणेशजी की पूजा करना बहुत लाभकारी होता है। बुध ग्रह की आराधना करना और महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी शुभ माना जाता है। इन उपायों से बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

मूल नक्षत्र में क्या न करें

मूल नक्षत्र के दौरान कुछ चीजों से बचना जरूरी होता है ताकि नकारात्मकता बच्चे और परिवार पर न पड़े। जैसे बच्चे के जन्म के समय धूप-दीप बंद रखना चाहिए और माता-पिता के बीच झगड़ा नहीं होना चाहिए। घर में नकारात्मक ऊर्जा न आने दें और नक्षत्र शांति तथा भगवान शिव की पूजा से अशुभ प्रभाव कम करें। इस प्रकार इन सावधानियों और उपायों को अपनाकर मूल नक्षत्र के प्रभाव को संतुलित किया जा सकता है और जीवन में खुशहाली लाई जा सकती है। हालांकि, अधिक सटीक सलाह और गहन जानकारी के लिए किसी योग्य ज्योतिषाचार्य या पंडित से मार्गदर्शन अवश्य लें, ताकि आपको सही दिशा मिल सके और आपके जीवन में सुख, शांति और शुभता बनी रहे।

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Published by Sri Mandir·July 9, 2025

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