मथुरा में जन्माष्टमी कब मनाई जाएगी?
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मथुरा में जन्माष्टमी कब मनाई जाएगी?

मथुरा, भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि—यहां जन्माष्टमी खास दिन पर मनाई जाती है। जानिए 2025 में मथुरा में जन्माष्टमी की सही तिथि और खास आयोजन।

मथुरा में जन्माष्टमी के बारे में

मथुरा में जन्माष्टमी अत्यंत धूमधाम से मनाई जाती है। मंदिरों को भव्य रूप से सजाया जाता है, झांकियां निकाली जाती हैं और श्रीकृष्ण के जन्म की लीला प्रस्तुत की जाती है। मध्यरात्रि में विशेष पूजन और महाआरती होती है।

भक्ति, संगीत और रंगों से सराबोर — जन्माष्टमी का आलौकिक उत्सव मथुरा-वृंदावन की गलियों में

धरती काँप उठी थी, तभी भगवान विष्णु ने अपने आठवें अवतार के रूप में श्रीकृष्ण का प्राकट्य किया—और वह भी मथुरा की पावन भूमि पर, कंस जैसे अत्याचारी मामा के कारागार में! यही कारण है कि जन्माष्टमी को पूरे भारत में श्रद्धा, भक्ति और उत्साह से मनाया जाता है। यह पर्व हर वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आता है, जब रोहिणी नक्षत्र भी अक्सर इसके साथ होता है- जो इसे और भी दिव्य बना देता है। अब सवाल यह उठता है कि

  • इस वर्ष मथुरा में जन्माष्टमी कब और कैसे मनाई जाएगी?
  • क्या है उस पावन रात्रि का शुभ मुहूर्त, जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था?

इन सभी बातों को जानने के लिए आगे पढ़ते है, क्योंकि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की तारीख ही नहीं, उस रात का हर क्षण दिव्यता और चमत्कार से भरा होता है।

कृष्ण जन्माष्टमी 2025 - महत्वपूर्ण तिथियाँ और समय

हर वर्ष की तरह, इस बार भी मथुरा और वृंदावन की पावन धरती पर भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की तैयारियाँ जोरों पर रहेंगी। मंदिरों की दिव्य सजावट, रासलीलाओं की संगीतमय प्रस्तुति, और आधी रात की वह क्षणिका जब भक्त एक स्वर में “नंद के आनंद भयो...” गाते हैं । यहअनुभव शब्दों में नहीं, सिर्फ अनुभूति में समाया जा सकता है।

  • वर्ष 2025 में जन्माष्टमी का पर्व शनिवार, 16 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन अष्टमी तिथि का शुभ योग सुबह 3:33 बजे से शुरू होकर अगले दिन, 17 अगस्त की सुबह 2:26 बजे तक रहेगा।
  • इस त्योहार का सबसे शुभ और खास समय होता है "निशीथा काल" — यानी रात का वह पल जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था।
  • निशीथा काल समय - 16 अगस्त की रात 11:59 बजे से लेकर 17 अगस्त की रात 12:45 बजे तक, कुल 46 मिनट।

इसी पावन रात्रि में मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर में विशेष पूजा‑अर्चना होती है। मंदिर को फूलों, दीपों और रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया जाता है। जैसे ही रात के बारह बजते हैं, विशेष आरती और अभिषेक (भगवान का पवित्र स्नान) शुरू होता है, और भगवान कृष्ण की जन्मलीला का सुंदर मंचन किया जाता है। इस दौरान हजारों श्रद्धालु मंदिर में एकत्र होते हैं। चारों ओर मंत्रों की गूंज, शंख और घंटियों की आवाज गूंजने लगती है। ऐसा लगता है मानो स्वयं भगवान श्रीकृष्ण इस पावन क्षण में धरती पर अवतरित हो रहे हों। भक्त भाव-विभोर होकर जयकारे लगाते हैं....

“नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की!

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Published by Sri Mandir·August 5, 2025

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