कृष्ण की गाय का नाम क्या था?
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कृष्ण की गाय का नाम क्या था?

भगवान कृष्ण की प्रिय गाय कौन थी? जानिए उस गाय का नाम, उसका महत्व और श्रीकृष्ण के जीवन में उसकी क्या भूमिका थी।

कृष्ण की गाय के नाम के बारे में

भगवान श्रीकृष्ण की सबसे प्यारी गाय का नाम सुरभि था। सुरभि को "कामधेनु" भी कहा जाता है। यह एक चमत्कारी और पवित्र गाय मानी जाती है। धार्मिक कहानियों के अनुसार, सुरभि के दूध में अमृत जैसा गुण होता था और वह अपनी इच्छा से कुछ भी देने की शक्ति रखती थी।

भगवान श्रीकृष्ण की गाय

भगवान श्रीकृष्ण का जीवन गायों से विशेष रूप से जुड़ा रहा है। बचपन में वे ग्वालों के साथ गाय चराते थे, इसी कारण उन्हें “गोपाला” और “गोविंद” जैसे नामों से पुकारा जाता है। श्रीकृष्ण को गायों से अत्यधिक स्नेह था, वे उन्हें अपने परिवार का हिस्सा मानते थे। उनके साथ कई गाय रहती थीं, लेकिन उन सभी में सुरभि नामक गाय को सबसे अधिक प्रिय माना जाता है।

कृष्ण की गाय का नाम क्या था?

श्रीकृष्ण के पास कई सारी गाय थी। उनमें से सबसे प्रिय उन्हें सुरभि थी।

सुरभि गाय कौन थी?

सुरभि एक अद्भुत और दिव्य गाय थी, जिसे धार्मिक ग्रंथों में कामधेनु का रूप माना गया है। वह कोई साधारण गाय नहीं थी, बल्कि स्वर्गलोक से आई ऐसी गाय थी, जिसे देवताओं ने अत्यंत सम्मान दिया। मान्यताओं के अनुसार, सुरभि का जन्म समुद्र मंथन के दौरान हुआ था और वह देवताओं को भोजन और सुख-सुविधाएं प्रदान करती थी।

सुरभि को ‘कामधेनु’ क्यों कहा गया?

कामधेनु का अर्थ होता है "ऐसी गाय जो सभी इच्छाओं को पूरी कर सकती है।" सुरभि में यह शक्ति थी कि वह अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करने में सक्षम थी।

कहा जाता है कि वह कभी भी खाली नहीं होती थी। उसका दूध अमृत के समान माना जाता था, जो जीवन देने वाली शक्ति से भरपूर होता था। यही कारण है कि सुरभि को कामधेनु कहा गया और उसे विशेष पूजनीय स्थान प्राप्त हुआ।

श्रीकृष्ण की प्रिय गायें

नंदिनी: नंदिनी को सुरभि की बेटी माना जाता है। यह भी एक दिव्य और चमत्कारी गाय थी, जिसकी महिमा यज्ञों और धार्मिक कथाओं में भी बताई गई है।

सौम्या: इस गाय का स्वभाव इसके नाम की तरह बहुत शांत और मधुर था। श्रीकृष्ण के साथ यह अधिकतर समय रहती थी और उन्हें बहुत प्रिय थी।

मंगला: मंगला को शुभता और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता था। कहा जाता है कि इसका दूध शरीर को ताकत देने वाला और बहुत लाभकारी होता था।

धेनु: ‘धेनु’ का मतलब ही गाय होता है। यह गाय श्रीकृष्ण के साथ गोकुल में रहती थी और उनकी सेवा में समर्पित रहती थी।

सुधा: इस गाय का दूध बहुत स्वादिष्ट और पोषण से भरपूर बताया गया है। इसे पीने से शरीर में ऊर्जा आती थी।

शुभ्रा: शुभ्रा सफेद रंग की गाय थी, जिसे पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक माना जाता था। इसका स्वरूप ही भक्ति और शांति का अहसास कराता था।

कृष्ण के पास कितनी गाय थीं?

भक्ति साहित्य और पुराणों में वर्णन मिलता है कि भगवान श्रीकृष्ण के पास लगभग 9 लाख गायें थीं।

यह संख्या सिर्फ एक आँकड़ा नहीं, बल्कि इस बात का प्रतीक है कि श्रीकृष्ण केवल ग्वाले नहीं, बल्कि गौ-संरक्षण और प्रकृति के प्रति प्रेम के प्रतीक भी थे। इन गायों की इतनी बड़ी संख्या को समझने के लिए उन्हें विभिन्न श्रेणियों और रंगों के आधार पर वर्गीकृत किया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि श्रीकृष्ण हर गाय के साथ आत्मीय रिश्ता रखते थे।

सफेद गाय (श्वेत): 1 लाख

  • यह गायें शुद्धता और पवित्रता की प्रतीक मानी जाती थीं।
  • इनका रंग शांतिपूर्ण भाव का संकेत देता था।

पीली गाय: 1 लाख

  • इनका रंग भगवान श्रीकृष्ण के पीले वस्त्रों (पीतांबर) से मेल खाता था।
  • यह ज्ञान और ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती थीं।

भूरी गाय: 1 लाख

  • भूरी रंग की गायें धरती और प्रकृति से जुड़ी हुई मानी जाती थीं।
  • ये गायें सरलता और स्थिरता का भाव दर्शाती थीं।

काली गाय: 1 लाख

  • इनका रंग श्रीकृष्ण के रंग से मेल खाता था।
  • यह गहनता और आत्मबल की प्रतीक थीं।

चितकबरी गाय (मिश्रित रंग): 1 लाख

  • इन गायों के शरीर पर दो या ज्यादा रंग होते थे।
  • इनका रूप बहुत आकर्षक और विशेष होता था।

श्याम-धवल गाय (काले और सफेद रंग की): 1 लाख

  • इन गायों का रंग संयोजन बहुत ही सुंदर और दुर्लभ माना जाता था।
  • इन्हें सौंदर्य और संतुलन का प्रतीक माना जाता था।

लाल गाय: 1 लाख

  • ये गायें जोश, शक्ति और जीवन ऊर्जा की प्रतीक थीं।
  • इनका रंग तेजस्विता को दर्शाता था।

अन्य रंगों की गायें: 2 लाख

  • इन गायों के रंग अलग-अलग प्रकार के थे।
  • हर गाय की अपनी एक खास पहचान और गुण होते थे।
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Published by Sri Mandir·August 5, 2025

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