जन्माष्टमी के व्रत में क्या हम सो सकते हैं?
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जन्माष्टमी के व्रत में क्या हम सो सकते हैं?

व्रत के दौरान सोना शुभ है या अशुभ? जानिए जन्माष्टमी व्रत में नींद से जुड़ी परंपरा और क्या है शास्त्रों का मत।

जन्माष्टमी के व्रत में सोने के बारे में

जन्माष्टमी हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भक्तजन उपवास रखते हैं और दिन-रात भजन-कीर्तन कर भगवान की आराधना करते हैं। इस व्रत में कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक होता है, जिसमें नींद से संबंधित नियम भी शामिल हैं। क्या है वो नियम आइए जानते हैं।

जन्माष्टमी के व्रत में क्या हम सो सकते हैं?

जन्माष्टमी, भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह दिन श्रद्धा, भक्ति और आत्मनियंत्रण का प्रतीक होता है। इस दिन लाखों भक्त उपवास रखते हैं और रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की पूजा करते हैं। इस व्रत का पालन करते समय कुछ नियमों का विशेष रूप से ध्यान रखना आवश्यक होता है, जिनमें दिन में सोना भी शामिल है।

व्रत के दिन दिन में सोने से बचना चाहिए

धार्मिक मान्यताओं और पुरानी परंपराओं के अनुसार, जन्माष्टमी के व्रत में दिन में सोना उचित नहीं माना गया है। यह व्रत केवल भूखे रहने का नहीं बल्कि आत्मसंयम और प्रभु भक्ति का प्रतीक है। दिन में सोने से शरीर और मन में सुस्ती आ जाती है, जिससे भक्ति और पूजा में मन केंद्रित नहीं हो पाता। इसलिए यह माना जाता है कि व्रत के दिन दिन में सोने से बचना चाहिए।

भजन-कीर्तन और धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करें

व्रत के दिन व्यक्ति को भगवान श्रीकृष्ण की पूजा, मंत्र जाप, भजन-कीर्तन और धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन में अपना समय व्यतीत करना चाहिए। यह दिन केवल खाने-पीने से दूर रहने का नहीं, बल्कि मानसिक और आत्मिक रूप से शुद्ध होने का अवसर होता है। ऐसा करने से भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

विश्राम करें पर सोये नहीं और मन को प्रभु की भक्ति में लगाएं

व्रत का पारण (व्रत तोड़ना) रात 12 बजे श्रीकृष्ण के जन्म के बाद या कुछ परंपराओं के अनुसार अगली सुबह सूर्योदय के बाद किया जाता है। जब रात भर जागरण करना होता है, तो थकावट के कारण दिन में नींद आना स्वाभाविक है, लेकिन फिर भी कोशिश यही होनी चाहिए कि दिन में सोने के बजाय विश्राम करते हुए भी मन को प्रभु की भक्ति में लगाएं। वहीं, यदि कोई व्यक्ति बीमार है या बहुत थका हुआ है, तो थोड़ी देर आंखें बंद कर विश्राम किया जा सकता है, परंतु गहरी नींद नहीं लेनी चाहिए। विशेषत: स्वस्थ लोगों को पूरी तरह से दिन में सोने से बचना चाहिए, ताकि व्रत का उद्देश्य सफल हो और भगवान की कृपा प्राप्त हो।

निष्कर्ष

जन्माष्टमी व्रत एक आध्यात्मिक साधना है जो हमें संयम, भक्ति और सेवा की भावना सिखाती है। दिन में सोना इस साधना में विघ्न डाल सकता है, इसलिए इससे बचना चाहिए। व्रत के दिन पूरे मन से भगवान श्रीकृष्ण की आराधना करें, उनके जन्मोत्सव को प्रेमपूर्वक मनाएं और भक्ति में लीन होकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।

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Published by Sri Mandir·August 4, 2025

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