घर पर कृष्ण जन्माष्टमी पूजा कैसे करें?
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घर पर कृष्ण जन्माष्टमी पूजा कैसे करें?

जन्माष्टमी पर घर में कैसे करें भगवान श्रीकृष्ण की पूजा? जानें आसान विधि, आवश्यक सामग्री और व्रत के नियम – सब कुछ एक ही जगह।

जन्माष्टमी पर घर में पूजा के बारे में

जन्माष्टमी पर घर में पूजा हेतु भगवान कृष्ण की मूर्ति या झूला सजाएं, पंचामृत से अभिषेक करें, भजन-कीर्तन करें और रात 12 बजे जन्मोत्सव मनाएं। तुलसी, माखन-मिश्री और धनिये के पंजीरी का भोग अर्पित करें।

नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की

जब-जब धरती पर बुराई और अत्याचार बढ़े हैं, तब-तब भगवान ने जन्म लेकर धर्म की स्थापना की और अपने भक्तों की रक्षा की। भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की रात को भगवान श्रीकृष्ण ने मथुरा में जन्म लिया था, ताकि वे कंस का अंत कर सकें। इसी कारण इस दिन को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है।

घर पर कृष्ण जन्माष्टमी पूजा कैसे करें?

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव मनाया जाता है। इस दिन घर में पूजा-पाठ, व्रत, झांकी और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है। नीचे घर पर सरल तरीके से पूजा करने की विधि दी गई है-

  • घर और पूजा स्थान को अच्छे से साफ करें।
  • श्रीकृष्ण के लिए झूला या पालना सजाएं। उसमें बाल गोपाल की मूर्ति या तस्वीर रखें।
  • पूजा स्थल पर मंगल कलश रखें, उसके पास रोली, चावल, फूल, तुलसी और दीपक रखें।
  • बाल गोपाल की मूर्ति को नए वस्त्र, मुकुट, मोरपंख, बांसुरी आदि से सजाएं।

आवश्यक सामग्री सूची

  • भगवान कृष्ण की मूर्ति या लड्डू गोपाल (बाल स्वरूप)
  • एक चौकी या आसन
  • लाल या पीला कपड़ा (चौकी पर बिछाने के लिए)
  • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण)
  • गंगाजल
  • शुद्ध जल
  • कुमकुम, चंदन, हल्दी, रोली, अक्षत (चावल)
  • धूप, दीप, अगरबत्ती, कपूर
  • फूल (गेंदे का फूल, गुलाब, कमल), फूल माला
  • तुलसी दल
  • पान के पत्ते, सुपारी
  • फल (मौसमी फल)
  • मिठाई (लड्डू, पेड़ा)
  • माखन, मिश्री (भगवान कृष्ण को प्रिय)
  • पंजीरी (धनिया पंजीरी विशेष रूप से)
  • पंच मेवा
  • इत्र
  • वस्त्र (लड्डू गोपाल के लिए पीले या मोरपंख वाले वस्त्र)
  • श्रृंगार का सामान (बांसुरी, मोर पंख, मुकुट, कंगन, पायल, कमरबंद, कुंडल)
  • झूला या सिंहासन (अगर लड्डू गोपाल की मूर्ति है)
  • एक खीरा (भगवान के जन्म को दर्शाने के लिए)
  • आरती के लिए थाली और सामग्री

पूजा की विधि

तैयारी

  • जन्माष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थान और पूरे घर की अच्छे से साफ-सफाई करें। एक चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं। बाल गोपाल के झूले या सिंहासन को सजाएं। सारी पूजा सामग्री एकत्रित करके पास रख लें।

संकल्प

  • हाथ में जल, फूल, कुश और गंध लेकर व्रत का संकल्प लें। आप यह मंत्र बोल सकते हैं: "ममखिलपापप्रशमनपूर्वक सर्वाभीष्ट सिद्धये श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रतमहं करिष्ये॥"

बाल गोपाल का जन्म (मध्यरात्रि में)

  • मध्यरात्रि (शुभ मुहूर्त) से पहले, एक खीरे को बीच से चीरकर उसमें लड्डू गोपाल को बैठा दें। ठीक 12 बजे, खीरे में से लड्डू गोपाल को निकालें। यह भगवान के जन्म का प्रतीक है।

अभिषेक

  • भगवान कृष्ण की मूर्ति या लड्डू गोपाल को एक पात्र में रखें।
  • सबसे पहले गंगाजल से स्नान कराएं।
  • फिर पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर का मिश्रण) से अभिषेक करें। अभिषेक करते समय "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप कर सकते हैं।
  • पंचामृत के बाद एक बार फिर शुद्ध जल से स्नान कराएं।

श्रृंगार

  • नहलाने के बाद, भगवान को एक साफ वस्त्र से पोंछकर नए वस्त्र पहनाएं।
  • उन्हें मुकुट, बांसुरी, मोर पंख, कंगन, पायल, कमरबंद, कुंडल आदि से सजाएं।
  • उन्हें चंदन, कुमकुम और अक्षत का तिलक लगाएं।
  • फूलों की माला पहनाएं।

स्थापना और पूजा

  • श्रृंगार के बाद भगवान को झूले या सिंहासन पर विराजित करें।
  • घी का दीपक और धूपबत्ती जलाएं।
  • भगवान कृष्ण का आह्वान करें और प्रार्थना करें कि वे आपकी पूजा स्वीकार करें।
  • फूल, तुलसी दल, पान, सुपारी आदि अर्पित करें।

भोग

  • भगवान कृष्ण को माखन-मिश्री, पंजीरी, फल, मिठाई और पंच मेवा का भोग लगाएं। तुलसी दल भोग में अवश्य डालें।

आरती

  • भोग लगाने के बाद भगवान की आरती करें। आप "ॐ जय जगदीश हरे" या "आरती कुंजबिहारी की" जैसी कोई भी कृष्ण आरती गा सकते हैं।

भजन और जप

  • पूरे दिन और रात में "कृं कृष्णाय नमः" या "हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे" मंत्र का जाप करें। भगवान के भजन गाएं।

व्रत पारण

  • अगर आपने व्रत रखा है, तो व्रत का पारण अगले दिन शुभ मुहूर्त में करें। आमतौर पर, अष्टमी तिथि के समाप्त होने या रोहिणी नक्षत्र के समाप्त होने के बाद व्रत खोला जाता है।
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Published by Sri Mandir·August 5, 2025

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