
क्या आप जानते हैं थाई अमावसाई 2026 कब है? जानिए इस पवित्र दिन की तिथि, पूजा विधि, मुहूर्त और पितृ तर्पण से जुड़ी धार्मिक मान्यताओं की पूरी जानकारी – सब कुछ एक ही जगह!
थाई अमावसाई दक्षिण भारत का एक पवित्र अमावस्या पर्व है, जो विशेष रूप से तमिल समुदाय द्वारा श्रद्धा से मनाया जाता है। इस दिन पितरों की शांति और कल्याण के लिए तर्पण, दान और पूजा की जाती है। लोग नदी या समुद्र तट पर स्नान कर पितृ कर्म करते हैं। माना जाता है कि इस दिन किए गए कर्मों से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
थाई अमावस्या तमिल संस्कृति का एक महत्वपूर्ण और पवित्र दिन है, जो तमिल महीने थाई (जनवरी–फरवरी) की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने पितरों और दिवंगत परिजनों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। माना जाता है कि इस दिन की गई पूजा और दान से पूर्वजों की आत्माओं को शांति मिलती है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
तमिलनाडु और तमिल समाज में यह दिन आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत खास माना जाता है। लोग पवित्र नदी या समुद्र तट पर स्नान करते हैं, तर्पण करते हैं और विशेष विधियों से पितरों का स्मरण करते हैं। थाई अमावस्या न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह हमें अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता और सम्मान की भावना भी सिखाती है।
साल 2026 में थाई अमावस्या रविवार, 18 जनवरी 2026 को मनाई जाएगी। यह दिन विशेष रूप से तमिल समुदाय के लोगों के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है और पूरे श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। थाई महीना फसल की कटाई के बाद नए आरंभ का प्रतीक होता है, और थाई अमावस्या इस पवित्र महीने की पहली अमावस्या मानी जाती है, जो उत्तरायण काल में पड़ती है।
तिथि: रविवार, 18 जनवरी 2026
थाई अमावस्या तमिल संस्कृति में अत्यंत पवित्र और श्रद्धा से मनाया जाने वाला दिन है। यह दिन पितृ तर्पण यानी पितरों को अर्पण करने के लिए सबसे शुभ माना जाता है। तमिल हिंदू मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या वह समय होता है जब पितरों की आत्माएँ पृथ्वी लोक का भ्रमण करती हैं, और तमिल महीना थाई नए आरंभ, परिवर्तन और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है।
इस दिन श्रद्धालु विशेष रूप से नदियों के तटों, मंदिरों और पवित्र जलस्थलों पर एकत्र होकर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पूजा, तर्पण और अन्नदान करते हैं। ऐसा विश्वास है कि थाई अमावस्या के दिन विधि-विधान से किए गए तर्पण से परिवार को पितरों का आशीर्वाद, सुख, समृद्धि और सुरक्षा प्राप्त होती है।
थाई अमावस्या पवित्र उत्तरायण काल में पड़ने वाली पहली अमावस्या होती है, इसलिए इसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है। ऐसा कहा गया है कि यदि इस दिन पितृ कर्म या तर्पण नहीं किया जाए, तो यह पितृ दोष या अशुभ परिणामों का कारण बन सकता है। इसीलिए लोग इस अवसर को अत्यंत श्रद्धा और आस्था के साथ मनाते हैं।
थाई अमावस्या तमिल परंपरा का अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जो पितरों की शांति और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए समर्पित होता है। इस दिन व्रत, पूजा और तर्पण के विशेष विधान बताए गए हैं। आइए जानते हैं थाई अमावस्या की व्रत विधि और पूजा के प्रमुख चरण -
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