
क्या आप जानते हैं मट्टु पोंगल 2026 कब है? जानिए इस पवित्र पर्व की तिथि, पूजा विधि, मुहूर्त और गायों की आराधना से जुड़ी पारंपरिक जानकारी – सब कुछ एक ही जगह!
मट्टु पोंगल, दक्षिण भारत के तमिलनाडु में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। यह पोंगल उत्सव का चौथा दिन है, जिसमें किसानों द्वारा बैलों और पशुओं को सजाया, उनका सम्मान किया और कृषि समृद्धि की कामना की जाती है।
तमिलनाडु में, मकर संक्रान्ति को पोंगल के रूप में मनाया जाता है। पोंगल का त्योहार आमतौर पर 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। यह चार दिनों का उत्सव होता है, जिसमें मट्टू पोंगल तीसरा दिन होता है।
मट्टू पोंगल के दिन, सूर्य उदय के साथ ही मवेशियों को नहलाकर उनकी पूजा की जाती है। सुबह 09:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे के बीच का समय मवेशियों की सजावट और पूजा-अर्चना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दौरान, नए कपड़ों में तैयार होकर परिवार के सभी सदस्य मवेशियों को भोग अर्पित करते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं।
मट्टू पोंगल का सीधा संबंध कृषि और ग्रामीण जीवन से है। तमिल भाषा में ‘मट्टू‘ का अर्थ ‘मवेशी’ (विशेषकर बैल या सांड) होता है। यह दिन किसानों और आम लोगों द्वारा उन जानवरों को समर्पित होता है, जो पूरे वर्ष खेती में उनकी मदद करते हैं जैसे कि खेत जोतने, सिंचाई करने और परिवहन में योगदान देने वाले बैल और दूध देने वाली गायें।
इस दिन को कृषि और पशुधन के बीच के अटूट रिश्ते को सम्मान देने के रूप में मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस पर्व के माध्यम से हम प्रकृति और उन सभी जीवों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं, जिनकी वजह से हमारे घर में अन्न आता है।
मट्टू पोंगल से जुड़ी एक लोकप्रिय पौराणिक कथा भगवान शिव के बैल नंदी (बसवा) से संबंधित है। एक बार, भगवान शिव ने नंदी को पृथ्वी पर जाकर लोगों से रोज़ तेल मालिश करने और महीने में एक बार भोजन करने का संदेश देने को कहा। लेकिन नंदी ने गलती से संदेश को उल्टा बता दिया—कि लोगों को रोज़ भोजन करना चाहिए और महीने में एक बार तेल मालिश करनी चाहिए। इस त्रुटि पर शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने नंदी को पृथ्वी पर ही रहने का श्राप दिया। शिव ने नंदी से कहा कि अब तुम्हें धरती पर रहकर किसानों की मदद करनी होगी, ताकि वे हर दिन खाने के लिए पर्याप्त अनाज उगा सकें। यही कारण है कि इस दिन मवेशियों का सम्मान किया जाता है।
मट्टू पोंगल की रस्में और उत्सव उत्साह और भक्ति से भरे होते हैं:
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