
क्या आप जानते हैं मासिक कृष्ण जन्माष्टमी 2026 कब है? जानिए इस पवित्र व्रत की तिथि, पूजा विधि, मुहूर्त और भगवान श्रीकृष्ण की कृपा पाने का रहस्य – सब कुछ एक ही जगह!
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि (अष्टमी) को मनाई जाती है। यह दिन भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जैसा कि उनका जन्म भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को हुआ था। कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व हर महीने में एक बार आता है, लेकिन इसे विशेष रूप से रात्री में मनाया जाता है, क्योंकि भगवान श्री कृष्ण का जन्म मध्यरात्रि के समय हुआ था।
प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भक्त मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। यह दिन भगवान श्री कृष्ण के जन्म की याद दिलाता है और इसे श्रद्धा के साथ मनाना शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा विधि-विधान से करने से जीवन के सभी दुख और कष्ट दूर होते हैं। नवंबर महीने में मासिक कृष्ण जन्माष्टमी 11 नवंबर 2025, मंगलवार को मनाई जाएगी। अष्टमी तिथि 11 नवंबर को रात 11:39 बजे शुरू होगी और 12 नवंबर को दोपहर 12:32 बजे समाप्त होगी।
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान श्री कृष्ण के जन्म की खुशी में मनाया जाता है, लेकिन यह साल में एक बार आने वाली श्रावण मास की कृष्ण जन्माष्टमी से अलग है। मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व न केवल धार्मिक होता है, बल्कि यह एक ऐसा मौका है जब भक्त भगवान कृष्ण के जीवन, उनके उपदेशों और उनके आशीर्वाद को महसूस करने की कोशिश करते हैं।
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर भक्त भगवान श्री कृष्ण की पूजा करते हैं, क्योंकि वे प्रेम, भक्ति, सत्य, और धर्म के प्रतीक माने जाते हैं। उनका जीवन हमें सही-गलत का अंतर समझाता है और धर्म के रास्ते पर चलने की प्रेरणा देता है।
कष्टों और दुखों से मुक्ति
इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा करने से जीवन में शांति और समृद्धि आती है। जो लोग किसी मानसिक या शारीरिक परेशानी से जूझ रहे होते हैं, वे इस दिन भगवान की भक्ति से मुक्ति पा सकते हैं। श्री कृष्ण की उपासना से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे जीवन में उम्मीद और संतुलन बना रहता है।
श्री कृष्ण के आदर्शों को अपनाना
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का मुख्य उद्देश्य भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव मनाना नहीं, बल्कि उनके जीवन के आदर्शों को अपनाना है। भगवान कृष्ण ने हमें धर्म, सत्य, कर्म, और भक्ति का महत्व सिखाया। इस दिन, भक्त उनके उपदेशों को अपने जीवन में उतारने का संकल्प करते हैं।
नैतिक और मानसिक शुद्धि
भगवान श्री कृष्ण की पूजा केवल धार्मिक लाभ नहीं देती, बल्कि यह व्यक्ति के मानसिक और नैतिक शुद्धिकरण में भी मदद करती है। इस दिन उपवास और व्रत रखने से आत्मसंयम और आत्मनियंत्रण की भावना जागृत होती है। यह व्यक्ति को मानसिक शांति और सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
समाज में सद्भावना और भाईचारे का प्रचार
कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व न केवल व्यक्तिगत पूजा का दिन है, बल्कि यह समाज में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देने का अवसर भी है। इस दिन भक्त एक साथ मिलकर भजन-कीर्तन करते हैं, जिससे समाज में सकारात्मक ऊर्जा और प्रेम का वातावरण बनता है। यह दिन धार्मिक सद्भावना को बढ़ावा देने के लिए भी महत्वपूर्ण है।
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी हर महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ निम्नलिखित तरीके से मनाते हैं:
स्नान और शुद्धता: पूजा से पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें।
भगवान कृष्ण की पूजा: भगवान कृष्ण की मूर्ति या चित्र स्थापित कर उन्हें फूल, दीप, और फल अर्पित करें।
मंत्र जाप: "ॐ श्री कृष्णाय नमः" और "हरे कृष्ण हरे कृष्ण" जैसे मंत्रों का जाप करें।
व्रत और उपवास: इस दिन उपवासी रहकर फलाहार करते हैं।
रात्रि जागरण: रात 12 बजे भगवान कृष्ण का जन्म उत्सव मनाएं, भजन-कीर्तन करें।
आरती और प्रसाद: पूजा के बाद आरती करें और प्रसाद वितरण करें।
एक साल में 12 मासिक कृष्ण जन्माष्टमी आती हैं, क्योंकि यह हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा होती है, और इसे मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में हर महीने श्रद्धा और भक्ति से मनाया जाता है।
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है
जीवन के कष्टों से मुक्ति और समृद्धि मिलती है।
यह पूजा आत्मिक विकास और शुद्धता की ओर मार्गदर्शन करती है।
समाज में भाईचारे और एकता की भावना को भी प्रोत्साहित करती है।
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