
क्या आप जानते हैं कालाष्टमी 2026 कब है? जानिए इस पवित्र तिथि की पूजा विधि, मुहूर्त, महत्व और भगवान कालभैरव की कृपा प्राप्त करने का रहस्य – सब कुछ एक ही जगह!
हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी कहा जाता है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान काल भैरव का प्राकट्य हुआ था। इस वजह से यह दिन भगवान भैरव की पूजा और व्रत के लिए बहुत खास माना जाता है, क्योंकि इससे उनकी कृपा और शक्ति प्राप्त होती है।
कालाष्टमी हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। यह तिथि चंद्रमा के हिसाब से निर्धारित होती है, यानी यह हर महीने अलग-अलग दिन पड़ सकती है, लेकिन हमेशा कृष्ण पक्ष के आठवें दिन (अष्टमी) आती है। यह दिन भगवान शिव के उग्र रूप काल भैरव के प्रकट होने की स्मृति में मनाया जाता है। भगवान काल भैरव को न्याय के देवता और बुराई को खत्म करने वाले रूप में पूजा जाता है।
इस साल कालाष्टमी 22 नवंबर, शुक्रवार को मनाई जाएगी। यह दिन मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ता है। यह तिथि 22 नवंबर को शाम 6:07 बजे से शुरू होगी और 23 नवंबर को रात 7:56 बजे तक रहेगी।
कालाष्टमी, एक विशेष धार्मिक पर्व है, जो हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन का महत्व भगवान काल भैरव के प्रकट होने से जुड़ा हुआ है। काल भैरव भगवान शिव के रौद्र रूप माने जाते हैं, और उन्हें समय, मृत्यु तथा आस्थाओं के रक्षक के रूप में पूजा जाता है। हिंदू धर्म में काल भैरव का विशेष स्थान है, और इस दिन की पूजा करने से मानसिक और शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलने की मान्यता है।
कालाष्टमी का पर्व विशेष रूप से भगवान काल भैरव की पूजा और उपासना का दिन होता है। इस दिन पूजा करने से भक्तों को नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों से मुक्ति मिलती है। साथ ही, यह दिन शांति, सुरक्षा और सकारात्मकता को जीवन में लाने के लिए बहुत प्रभावी माना जाता है। काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति को भय, मानसिक तनाव और शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है, जिससे उसकी जीवन यात्रा में समृद्धि और शांति का संचार होता है।
कालाष्टमी पर विशेष पूजा के साथ-साथ पारंपरिक व्रत रखने की भी मान्यता है। इस दिन लोग उपवासी रहते हैं और विशेष रूप से भगवान भैरव की पूजा करते हैं। व्रत के दौरान, भक्त विशेष रूप से अपने मन और शरीर की शुद्धि पर ध्यान केंद्रित करते हैं और मानसिक एकाग्रता के साथ पूजा करते हैं। इसके अतिरिक्त, इस दिन काले कुत्ते को भोजन देना भी एक प्रमुख परंपरा है, क्योंकि काले कुत्ते को भगवान काल भैरव का वाहन माना जाता है। काले कुत्ते को भोजन देने से पवित्रता और पुण्य की प्राप्ति होती है, और साथ ही भगवान काल भैरव की कृपा प्राप्त होती है।
कालाष्टमी का पर्व उन लोगों के लिए विशेष महत्व रखता है, जो जीवन में किसी प्रकार की मानसिक या शारीरिक बाधाओं का सामना कर रहे हैं। यह दिन भय, नकारात्मक ऊर्जा, और परेशानियों को समाप्त करने का एक अत्यधिक प्रभावी उपाय माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान भैरव की पूजा से व्यक्ति के जीवन में सुरक्षा, शांति, और आंतरिक बल की प्राप्ति होती है। यह पर्व न केवल शारीरिक कष्टों से मुक्ति देता है, बल्कि मानसिक शांति और आत्मविश्वास भी बढ़ाता है।
पूजा के लिए भगवान काल भैरव की मूर्ति या चित्र को लाल या काले रंग के वस्त्र पर स्थापित करें। पूजा के दौरान दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठना शुभ माना जाता है क्योंकि भगवान भैरव दक्षिण दिशा के देवता हैं।
पूजा सामग्री
पूजा की विधि
काले कुत्ते को भोजन कराना
पूजा के बाद काले कुत्ते को भोजन कराना एक महत्त्वपूर्ण परंपरा है क्योंकि काला कुत्ता भगवान काल भैरव का वाहन माना जाता है। उसे रोटी, दूध या मिठाई खिलाने से विशेष पुण्य मिलता है।
रात्रि जागरण
यदि संभव हो तो रात्रि में जागरण करें। इस दौरान भजन-कीर्तन करें या काल भैरव से संबंधित मंत्रों और स्तोत्रों का पाठ करें। सरसों के तेल का दीपक जलाकर उसे पूजा स्थल पर रखें।
व्रत का पारण
अगली सुबह पुनः भगवान की आरती करें और व्रत का पारण करें। व्रत के बाद जरूरतमंदों को भोजन करवाना या दान करना भी शुभ फलदायी होता है।
कालाष्टमी के दिन उपवासी रहकर भगवान काल भैरव की पूजा करना चाहिए, जिसमें तिल के तेल का दीपक जलाना और भैरव स्तोत्र का जाप करना शामिल है। काले कुत्ते को भोजन देना इस दिन की एक महत्वपूर्ण परंपरा है, क्योंकि उसे भैरव जी का वाहन माना जाता है। रात को जागरण करना और भजन-कीर्तन करना भी शुभ है।
कालाष्टमी पर भगवान काल भैरव की पूजा में कुछ विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है:
ॐ कालभैरवाय नमः यह मंत्र मुख्य रूप से मानसिक शांति और सुरक्षा के लिए जाप किया जाता है।
ॐ ह्लीं कालभैरवाय नमः भगवान काल भैरव को प्रसन्न करने वाला मंत्र।
ॐ श्री कालभैरवाय महाक्रूराय महादेवाय नमः यह मंत्र शत्रु और भय से मुक्ति दिलाता है।
काल भैरव स्तोत्र: इस स्तोत्र का पाठ भगवान काल भैरव की महिमा का वर्णन करता है।
काल भैरव चालीसा: यह चालीसा उनके रौद्र रूप को समर्पित है और संकटों से उबारता है।
व्रत रखने वाले व्यक्ति को आहार लेना चाहिए:
फल: केले, सेब, संतरे, पपीता, आदि।
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