भाई दूज आरती का महत्व क्या है? जानें इस आरती के जरिए भाई की लंबी उम्र और समृद्धि की प्रार्थना कैसे करें! इस खास दिन की विधि और इसके अद्भुत प्रभावों के बारे में जानें।
भाई दूज का त्योहार हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार बहन और भाई के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए प्रार्थना करती हैं और भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं।
कार्तिक मास द्वितीया तिथि की शुरूआत 2 नवंबर को रात में 08 बजकर 21 मिनट पर हो जाएगी। वहीं कार्तिक द्वितीया तिथि 3 नवंबर को रात में 10 बजकर 05 मिनट तक रहने वाली है। उदया तिथि में द्वितीया तिथि 3 नवंबर को होने के कारण भाई दूज का पर्व 3 नवंबर को मनाया जाएगा।
शास्त्रों के अनुसार इस दिन यमराज ने अपनी बहन यमुना को तिलक लगाकर उनके घर भोजन किया था। भाई दूज के दिन बहन के घर भोजन करना बहुत लाभकारी होता है। भाई दूज का त्यौहार भारत में कई तरह से मनाया जाता है। कुछ राज्यों में इस दिन बहनें अपने भाई के हाथों की पूजा करती हैं तो कुछ जगहों पर बाजरा कूटकर।
अगर आप भी भाई दूज का त्योहार मनाते हैं तो यमुना माता को प्रसन्न करने के लिए इस आरती को जरूर पढ़ें। इस आरती को पढ़ने से मां यमुना बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं। यहां आप भाई दूज की विशेष आरती देखकर इसे पूरा पढ़ सकते हैं।
ॐ जय यमुना माता, हरि ॐ जय यमुना माता, जो नहावे फल पावे सुख सुख की दाता
ॐ पावन श्रीयमुना जल शीतल अगम बहै धारा, जो जन शरण से कर दिया निस्तारा
ॐ जो जन प्रातः ही उठकर नित्य स्नान करे, यम के त्रास न पावे जो नित्य ध्यान करे
ॐ कलिकाल में महिमा तुम्हारी अटल रही, तुम्हारा बड़ा महातम चारों वेद कही
ॐ आन तुम्हारे माता प्रभु अवतार लियो, नित्य निर्मल जल पीकर कंस को मार दियो
ॐ नमो मात भय हरणी शुभ मंगल करणी, मन 'बेचैन' भय है तुम बिन वैतरणी ॐ ॐ जय यमुना माता, हरि ॐ जय यमुना माता।
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