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मदन मोहन मंदिर

इस मंदिर को "श्री राधा मदन मोहन मंदिर" के नाम से भी जाना जाता है।

वृंदावन, उत्तरप्रदेश, भारत

मदन मोहन मंदिर उत्तर प्रदेश मथुरा के पावन नगरी वृन्दावन में स्थित है। यह मंदिर वैष्णव संप्रदाय के प्राचीन मंदिरों में से एक है। सप्तदेवालयों में शामिल मंदिरों में यह मंदिर पहले स्थान पर आता है। औरंगजेब के समय मदन मोहन की मूर्ति को सुरक्षित रखने के लिए इसे राजस्थान के करौली में स्थानांतरित कर दिया गया था। इस मंदिर को "श्री राधा मदन मोहन मंदिर" के नाम से भी जाना जाता है।

मंदिर का इतिहास

मदन मोहन मंदिर का इतिहास पांच हजार साल पुराना है। ऐसा कहा जाता है कि कृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। जबकि ऐतिहासिक अभिलेखों के मुताबिक, एक मुल्तान व्यापारी कपूर राम दास ने श्री सनातन गोस्वामी की देखरेख में 15वीं या 16वीं शताब्दी में इस मंदिर को बनवाया था।

मंदिर का महत्व

मदन मोहन मंदिर की खास बात और है कि यह मंदिर बहुत ही मजबूती से बना हुआ है। औरंगजेब ने इस मंदिर को तोड़ने का बहुत प्रयास किया परन्तु वह इसे तोड़ नहीं पाया। वृन्दावन में भगवान कृष्ण के प्रत्येक मंदिर में प्रतिदिन आरती की जाती है परन्तु मदन मोहन मंदिर में केवल कार्तिक के महीने में ही आरती की जाती है। पांच सौ साल पूर्व चैतन्य महाप्रभु ब्रज वृन्दावन आये तो उन्हें यहाँ पर श्रीकृष्ण की लीलास्थलियों का अनुभास हुआ। वह कुछ समय के बाद बंगाल चले गए। परन्तु उन्होंने अपने अनुयायियों को वृन्दावन में श्रीकृष्ण की लीलास्थलियों को खोजने के लिए भेजा। क्योंकि उस समय वृन्दावन पूर्ण रूप से जंगल बन गया था। चैतन्य महाप्रभु के अनुयायी वृन्दावन में वास करने लगे। चैतन्य महाप्रभु के अनुयायी सनातन गोस्वामी एक दिन मथुरा में ओंकार चौबे के घर भिक्षा मांगने गए तो उन्होंने वहां पर 5 साल के बालक को खेलते हुए देखा। उन्होंने चौबे की पत्नी से पूछा की यह बालक आपका है ? माता ने बताया कि यह बालक उन्हें यमुना किनारे खेलता हुआ दिखा, तो उसे अपने घर ले आयी। इसका नाम मदन मोहन है। सनातन गोस्वामी उस बालक को अपने साथ ले गए। वह साधना करने के बाद बिना नमक की बाटी को भोग में ठाकुर जी को अर्पित करते और उस बाटी को बालक को खाने को देते। बालक को बिना नमक की बाटी पसंद नहीं आ रही थी। इस दौरान मुल्तान का एक व्यापारी रामदास कपूर व्यापार हेतु अपनी नाव से यमुना नदी द्वारा आगरा जा रहा था। तभी उसकी नाव खराब हो गयी। नाव ख़राब होने के कारण व्यापारी सनातन गोस्वामी के पास गया। तब सनातन गोस्वामी को मालूम हुआ कि यह नमक का व्यापारी, तो वह समझ गए। जब उस व्यापारी ने गोस्वामी और बालक को देखा,तो मोहित होकर मंदिर निर्माण की इच्छा रखी। मंदिर निर्माण के निर्णय से ही नाव ठीक हो गयी। इसके बाद मंदिर का निर्माण हुआ और मदन मोहन की पूजा होने लगी।

मंदिर की वास्तुकला

मदन मोहन मंदिर उत्तर भारतीय स्थापत्य शैली में बना हुआ है। यह लाल बलुआ पत्थर से निर्मित है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए सीढ़ियाँ है। मंदिर में भगवान कृष्ण के साथ राधा रानी और ललिता सखी की प्रतिमा है। यह मंदिर यमुना नदी से 50 फीट ऊंचा है और यमुना में इसकी नींव 70 फीट नीचे तक है।

मंदिर का समय

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गर्मियों में मदन मोहन मंदिर खुलने का समय

06:00 AM - 11:00 AM
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गर्मियों में शाम में मदन मोहन मंदिर खुलने का समय

05:00 PM - 05:30 PM
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सर्दियों में मदन मोहन मंदिर खुलने का समय

07:00 AM - 12:00 PM
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सर्दियों में शाम में मदन मोहन मंदिर खुलने का समय

04:00 PM - 08:00 PM

मंदिर का प्रसाद

मंदिर में भगवान कृष्ण के प्रिय व्यंजन "अंगा कड़ी" का भोग लगाया जाता है। साथ ही पुष्प भी चढ़ाये जाते है।

यात्रा विवरण

मंदिर के लिए यात्रा विवरण नीचे दिया गया है

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