कासाइट सम्प्रदाय समुदाय के नाम पर कसार देवी का नाम पड़ा।
.मानसखण्ड, उत्तराखंड, भारत
सुंदर प्राकृतिक वातावरण व धार्मिक लिहाज से उत्तराखंड काफी प्रसिद्ध है। यहां कई ऐसे मंदिर हैं जो कि अपनी विशेषता की वजह से देश ही नहीं विदेशी पर्यटकों को भी अपनी तरफ आकर्षित करते हैं। आज हम आपको ऐसे ही एक रहस्यमयी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिस पर अमेरिका देश के वैज्ञानिक भी शोध कर रहे हैं। उत्तराखंड के अल्मोड़ा शहर से करीब 8 किलोमीटर दूर एक गांव है कसार, यहीं स्थित है कसार देवी माता का मंदिर। इस मंदिर को 108 सिद्ध शक्तिपीठ की मान्यता मिली है। कहते हैं कि मंदिर क्षेत्र में एक अनोखी चुंबकीय शक्ति है, जिसका रहस्य जानने के लिए अब तक कई वैज्ञानिक यहां आ चुके हैं। वैज्ञानिकों के अलावा यहां सालभर देशी-विदेशी पर्यटक व पर्वतारोही भी आते रहते हैं। यह मंदिर उस समय चर्चा में आया जब स्वामी विवेकानंद जी यहां ध्यान करने आए। हर साल यहां कार्तिक पूर्णिमा पर कसार मेला लगता है, जिसमें हजारों की संख्या में भक्त शामिल होते हैं।
मंदिर का इतिहास
पौराणिक कथाओं के अनुसार, कसार देवी मंदिर की स्थापना दूसरी शताब्दी में हुई। कश्यप पर्वत पर बने इस प्राचीन मंदिर को लेकर अनुमान लगाया जाता है कि ईसा से 900 वर्ष पूर्व पश्चिमी एशिया से आए प्राचीन कासाइट सम्प्रदाय के अनुयायियों ने इस मंदिर की स्थापना की। कहा जाता है कि इसी समुदाय के नाम पर कसार देवी का नाम पड़ा। इसके अतिरिक्त लोक कथाओं के अनुसार, मंदिर का निर्माण कत्यूरी राजाओं द्वारा किया गया, जो कि देवी दुर्गा के प्रति अपनी भक्ति के लिए जाने जाते थे। कहते हैं कि कात्यायनी रूप में देवी सबसे पहले अल्मोड़ा के कसार देवी मंदिर में ही प्रकट हुई थीं। इसलिए इस मंदिर में नवदुर्गा के 6वें रूप माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि 1890 में स्वामी विवेकानंद जी भी एक बार यहां साधना करने आए थे, जिसके बाद उन्हें ज्ञान की रोशनी प्राप्त हुई थी। 1960-1970 के दशक में यह स्थान हिप्पी आन्दोलन के लिए भी बहुत प्रसिद्ध हुआ था। कसार देवी मंदिर के आसपास वाला पूरा क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है। बताया जाता है कि यहां धरती के अंदर विशाल भू-चुंबकीय पिंड है। इस पिंड में विद्युतीय चार्ज कणों की परत होती है, जिसे रेडिएशन भी कह सकते हैं। ऐसी दुनिया में सिर्फ 3 जगह है, पहला कसार देवी, दक्षिण अमेरिका के पेरू में स्थित माचू-पिच्चू और इंग्लैंड का स्टोन हेंग। नासा के वैज्ञानिक पिछले कई साल से कसार देवी मंदिर में इस बेल्ट के बनने के कारणों का रहस्य जानने में जुटे हैं। मंदिर परिसर में GPS 8 केंद्र चिन्हित किए गए हैं, जिसको लेकर अमेरिका की संस्था नासा ने ग्रेविटी पॉइंट के बारे में बताया है। प्रमुख मंदिर द्वार के बाईं ओर नासा द्वारा यह स्थान चिन्हित कर GPS 8 लिखा गया।
मंदिर का महत्व
1. श्रद्धालुओं में ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में मांगी जाने वाली हर मन्नत को देवी मां पूरा करती हैं। 2. मंदिर के आसपास चुम्बकीय शक्ति होने से शरीर में एक अलग प्रकार की एनर्जी का विकास होता है। 3. कहते हैं कि बौद्ध गुरु लामा अंगरिका गोविंदा ने कसार देवी मंदिर गुफा में रहकर विशेष साधना की थी। 4. मान्यता है कि मंदिर के आसपास ध्यान करने से एक अद्भुत शक्ति की प्राप्ति होती है।
मंदिर की वास्तुकला
कश्यप पहाड़ी की चोटी पर एक गुफानुमा जगह पर बने इस मंदिर की संरचना बेहद सरल और खूबसूरत है। यहां की हरियाली और नजारे आपको मंत्रमुग्ध कर देंगे। मंदिर में माता रानी की मूर्ति स्थापित है। मूर्ति के पीछे पत्थर पर एक शेर की आकृति भी देखने को मिलती है। प्रकृति का खूबसूरत नजारा मानसिक शांति की अनुभूति कराता है। घने जंगलों के बीच बने इस मंदिर का समय-समय पर जीर्णोद्धार होता रहा है। कसार देवी मंदिर के आसपास आप योग और मेडिटेशन भी कर सकते हैं।
मंदिर का समय
कसार देवी मंदिर के खुलने का समय
07:00 AM - 07:00 PMमंदिर का प्रसाद
कसार देवी मंदिर में वैसे तो किसी विशेष प्रकार का प्रसाद नहीं चढ़ाया जाता। लेकिन भक्त अपनी स्वेच्छा अनुसार, फल, फूल, नारियल, चुनरी आदि माता को अर्पित करते हैं।
यात्रा विवरण
मंदिर के लिए यात्रा विवरण नीचे दिया गया है
मंदिर समिति