बालेश्वर मंदिर अपनी धार्मिक और सौन्दर्यात्मक सुंदरता के लिए एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण है।
.मानसखण्ड, उत्तराखंड, भारत
चम्पावत के प्रमुख मंदिरों में बालेश्वर मंदिर प्रसिद्ध और ऐतिहासिक है। यह उत्तराखंड के चम्पावत शहर में स्थित है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर करीब 200 वर्ग मीटर में फैला हुआ है। चम्पावत के मुख्य बस स्टैंड से इसकी दूरी केवल सौ मीटर है। बालेश्वर मंदिर एक सुन्दर धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।
मंदिर का इतिहास
चंद वंश के शासकों द्वारा निर्मित बालेश्वर मंदिर पत्थर की नक्काशी का अद्भुत प्रतीक है। ऐसी कोई ऐतिहासिक पांडुलिपि नहीं है जो बालेश्वर मंदिर की तारीख बताती हो, हालांकि ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण 10-12 वीं शताब्दी के मध्य हुआ था। मंदिर पर उपस्थित शिलालेख के अनुसार इस मंदिर की स्थापना ई. 1272 में हुई थी। लोक मान्यता के अनुसार महाभारत काल के दौरान बाली ने यहां पर असुरों से सुख शान्ति हेतु शिव पूजन किया था। इस कारण इसे बालेश्वर नाम दिया गया था। कहा जाता है कि राजा ध्यानचंद ने सन् 1420 में अपने पिता ज्ञान चन्द के पापों के प्रायश्चित के लिए बालेश्वर मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। स्थानीय कथा के अनुसार कहा जाता है कि इस स्थान पर पहले जंगल हुआ करता था। गांव के लोग अपने जानवरों को यहाँ पर चराने के लिए लाते थे। एक बार एक गाय ने दूध देना बंद कर दिया। ऐसा देखकर गाय का मालिक इसका पता लगाने के लिए उस जंगल में गया और वहां पहुंचकर गाय का मालिक आश्चर्यचकित रह गया। कहा जाता है कि उस गाय के मालिक को भगवान शिव ने सपने में शिवलिंग की मौजूदगी का अहसास कराया था। उसके बाद ही यहां मंदिर का निर्माण हुआ था।
मंदिर का महत्व
उत्तराखण्ड के राष्ट्रीय संरक्षित स्मारकों में बालेश्वर मंदिर परिसर भी शामिल है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण देहरादून मण्डल द्वारा इसकी देख-रेख की जाती है। ऐतिहासिक मंदिर होने के कारण इसका विशेष महत्त्व है। नगर वासियों के लिए यह मंदिर अटूट आस्था का प्रतीक है। महाशिवरात्रि और सावन के महीनो में मंदिर में भव्य आयोजन किया जाता है। जिस कारण यहाँ भारी संख्या में भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है। यहाँ के लोग नए साल की शुरुआत बालेश्वर मंदिर के दर्शनों के साथ ही करते हैं। एक जनवरी को यहाँ पर विशाल यात्रा निकाली जाती है और साथ ही भंडारे का आयोजन भी किया जाता है। इस विशाल आयोजन को देखने के लिए लोग दूर दूर से आते हैं। ऐसा बताया जाता है कि बालेश्वर मंदिर के ऊपर स्थित गुम्मद पर लगा हुआ त्रिशूल पुरे दिन में सूर्य की गति के साथ साथ अपने स्थान पर ही घूमता रहता है।
मंदिर की वास्तुकला
बालेश्वर मंदिर की वास्तुकला बहुत ही आकर्षक है। मंदिर में पत्थर की नक्काशी का कार्य अपने आप में अद्भुत है। मंदिर समूह के निर्माण में बलुवा तथा ग्रेनाइट की भाँति पत्थरों का उपयोग किया गया है। मंदिर की बाहरी दीवारों पर ब्रह्मा, विष्णु, महेश तथा अन्य देवी-देवताओं को दर्शाया गया है। मुख्य मंदिर के अतिरिक्त बालेश्वर मंदिर परिसर में दो अन्य मंदिर भी स्थापित हैं जिसमें एक “रत्नेश्वर” है और दूसरा मंदिर “चम्पावती" के नाम से "माँ दुर्गा” को समर्पित है। इस मंदिर परिसर में करीब आधा दर्जन से अधिक शिवलिंग स्थापित हैं। मंदिर परिसर का मुख्य शिवलिंग स्फटिक का है जो अपनी चमत्कारिक शक्ति के लिए जाना जाता है।
मंदिर का समय
मंदिर के खुलने और बंद होने का समय
05:00 AM - 07:00 PMमंदिर का प्रसाद
बालेश्वर मंदिर में फल, फूल और मिठाई का भोग लगाया जाता है। साथ ही बेलपत्र, दूध, दही, शहद आदि भी भगवान भोलेनाथ को अर्पित किया जाता है।
यात्रा विवरण
मंदिर के लिए यात्रा विवरण नीचे दिया गया है