हिंदू धर्म में भगवान सत्यनारायण का विशेष महत्व है। स्कंद पुराण के अनुसार भगवान सत्यनारायण श्री हरि विष्णु के ही एक स्वरूप हैं। पंचांग के अनुसार हर पूर्णिमा को सत्य नारायण भगवान की पूजा उपासना की जाती है। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु के नारायण स्वरूप की पूजा की जाती है। पूर्णिमा का दिन भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है, इसलिए इस शुभ दिन में इनके स्वरूपों की विशेष पूजा की जाती है। माना जाता है कि शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण कथा करने का विशेष महत्व होता है। पुराणों में सत्यनारायण व्रत कथा का बहुत महत्व बताया गया है। सत्यनारायण कथा की महिमा स्वयं भगवान सत्यनारायण ने नारद मुनि को सुनाई थी। सत्यनारायण व्रत कथा में भगवान विष्णु के सत्य स्वरूप के बारे में बताया गया है। माना जाता है कि इस व्रत कथा को करने से घर में सुख और समृद्धि आती है, जिससे भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है।
शास्त्रों में वर्णित है कि सत्यनारायण कथा करने से व्यक्ति को हजारों वर्षों तक किए गए यज्ञ के बराबर फल मिलता है। ऐसा माना जाता है कि पूर्णिमा के दिन इस कथा को करने से सभी दुख एवं दरिद्रता दूर होती है और व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। इसके अलावा वह सभी कष्टों से मुक्त हो जाता है। वहीं, पूर्णिमा नवग्रह शांति पूजा करने के लिए भी एक शुभ दिन है। ऐसा माना जाता है कि यह पूजा कुंडली में ग्रह दोषों के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद करती है, जो व्यक्ति के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि पूर्णिमा पर नवग्रह शांति पूजा करने से व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ और समृद्ध हो सकता है। इसलिए पूर्णिमा तिथि पर सत्यनारायण कथा और नवग्रह शांति पूजा का आयोजन किया जा रहा है। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और समृद्धि और बेहतर भावनात्मक कल्याण का आशीर्वाद प्राप्त करें।