धार्मिक शास्त्रों के अनुसार यमराज को मृत्यु का देवता माना जाता है। मान्यता है कि मत्यु के पश्चात व्यक्ति की आत्मा यमराज के सामने पेश होती है और यमराज व्यक्ति के कर्मों के आधार पर उसकी आत्मा को स्वर्ग या नर्क भेजा जाता है। हिंदु धर्म में शुक्ल सप्तमी तिथि देव यमराज को समर्पित है। इसलिए यह तिथि पितृ दोष पूजा के लिए भी शुभ मानी जाती है। मान्यता है कि मृत्यु के देवता यमराज को समर्पित इस तिथि पर पितृ दोष निवारण पूजा करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। हिंदु धर्म ग्रंथों के अनुसार 'पितृ दोष' पूर्वजों की अधूरी इच्छाओं और नकारात्मक कर्मों के कारण होता है। इस दोष से पीड़ित जातक के जीवन में आर्थिक परेशानियां, रिश्तों में तनाव एवं विवाद और स्वास्थ्य संबधी समस्याओं का सिलसिला लगा ही रहता है। शास्त्रों के अनुसार इस दोष से राहत पाने के लिए मोक्ष स्थली गया में पितृ दोष निवारण पूजा करना चाहिए।
पुराणों में भी पितृ दोष पूजा के लिए मोक्ष स्थली गया को अत्यधिक प्रभावशाली माना गया है। हिंदू संस्कारों में पंचतीर्थ वेदी में धर्मारण्य वेदी की गणना की जाती है इसलिए यहां पितृ के निमित्त श्राद्ध करने का अधिक महत्व है। मान्यता है कि इस स्थान पर पितृ दोष निवारण पूजा करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और पूर्वजों द्वारा पारिवारिक विवादों को सुलझाने का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसलिए देव यमराज को समर्पित शुक्ल सप्तमी तिथि पर गया के धर्मारण्य वेदी पर पितृ दोष निवारण पूजा का आयोजन किया जा रहा है। श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजा में भाग लें और पितृ दोष के अशुभ प्रभावों से राहत पाने के लिए अपने पूर्वजों का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करें।